पाक को झटका, BRICS के मंच से पहलगाम हमले की निंदा; चीन के अलावा मुस्लिम देशों ने भी दिया साथ
अपने संबोधन में ओम बिड़ला ने कहा कि आतंकवाद आज वैश्विक संकट बन चुका है, जिसका सामना अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही किया जा सकता है। उन्होंने चार प्रमुख कदमों की वकालत की।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा जारी है। शुक्रवार को ब्रासीलिया में आयोजित BRICS संसदीय मंच ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करने का संकल्प लिया। यह पाकिस्तान के लिए एक बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि इसमें चीन के अलावा कई मुस्लिम देश भी शामिल हैं। इस मंच में भारत, ब्राजील, रूस, चीन, दक्षिण अफ्रीका के साथ-साथ ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र, इथियोपिया और इंडोनेशिया के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। बैठक में भारत का नेतृत्व लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने किया।
अपने संबोधन में ओम बिड़ला ने कहा कि आतंकवाद आज वैश्विक संकट बन चुका है, जिसका सामना अंतरराष्ट्रीय सहयोग से ही किया जा सकता है। उन्होंने चार प्रमुख कदमों की वकालत की। उनमें आतंकी संगठनों की आर्थिक मदद बंद हो, इंटेलिजेंस साझा करने की प्रक्रिया तेज हो, तकनीक के दुरुपयोग को रोका जाए और जांच और न्यायिक प्रक्रियाओं में सहयोग बढ़ाने जैसे मुद्दे शामिल हैं। ओम बिड़ला की इन बातों को बैठक में मौजूद सभी देशों ने एकमत से स्वीकार करते हुए अंतिम घोषणापत्र में शामिल किया।
आपको बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिनमें अधिकांश पर्यटक थे। इसके जवाब में भारतीय सुरक्षा बलों ने 6 और 7 मई की रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ढांचों पर जवाबी हमले किए। 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया। इन हमलों में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके बाद पाकिस्तान के सैनिकों ने भारत पर हमले की कोशिश की, लेकिन भारत ने ना सिर्फ उन्हें नाकाम किया बल्कि पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमला करते हुए कई एयरबेसों को तबाह कर दिया। इन हमलों में पाकिस्तान के 9 से अधिक जेट तबाह हो गए।
लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, संयुक्त घोषणापत्र में भारत के पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की गई और सभी BRICS देशों के संसदों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर काम करने की सहमति दी। बैठक में आतंकवाद के अलावा एआई, वैश्विक व्यापार, अंतर-संसदीय सहयोग, और अंतरराष्ट्रीय शांति व सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी विचार-विमर्श हुआ।
ओम बिड़ला ने न्यायसंगत और संतुलित वैश्विक व्यवस्था, तकनीकी नवाचार में भागीदारी, और लोकतांत्रिक संवादों के सशक्तिकरण की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्थिरता केवल सामूहिक प्रयासों से ही संभव है।