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बिहार का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट 2 महीने में होगा चालू, कितनी बिजली मिलेगी

Floating Power Plant: फ्लोटिंग सोलर सिस्टम या ‘फ्लोटोवोल्टाइक’ में सोलर मॉड्यूल को पानी पर तैरने के लिए बनाया जाता है। पैनल ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, जो पानी के नीचे के तारों के माध्यम से ट्रांसमिशन टावर तक पहुंचता है। पहली तैरती हुई सौर संरचना 2007 में जापान में बनी थी।

Nishant Nandan हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटनाSun, 8 June 2025 07:10 AM
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बिहार का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट 2 महीने में होगा चालू, कितनी बिजली मिलेगी

Floating Power Plant: बिहार का सबसे बड़ा तैरता हुआ बिजली घर (फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट) बनकर तैयार हो गया है। नवादा के फुलवारिया जलाशय में बन रहे इस बिजली घर का काम लगभग पूरा हो गया है। अगले महीने यहां से 10 मेगावाट बिजली उत्पादित होने लगेगी। राज्य का यह तीसरा तैरता हुआ बिजली घर होगा। बिजली कंपनी अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार नवादा के फुलवरिया जलाशय में बीते कई महीने से काम चल रहा था। रेस्को मोड के तहत इस बिजली घर का निर्माण हो रहा है। यानी निर्माण एजेंसी पूरी राशि खर्च कर रही है और कंपनी उत्पादित बिजली को 3.87 रुपए यूनिट की दर से खरीद करेगी। कंपनी ने एजेंसी को जुलाई तक काम पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू करने का लक्ष्य दिया है।

इसके साथ ही राज्य के अन्य जिलों में भी फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट पर काम शुरू कर दिया गया है। कैमूर के दुर्गावती जलाशय में 10 मेगावाट का ही फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाया जाएगा। इसके लिए कंपनी ने निविदा जारी कर दी है। जबकि नीचे मछली-ऊपर बिजली योजना के तहत उत्तर-दक्षिण बिहार में दो-दो मेगावाट का बिजली घर बनाने के लिए सर्वे शुरू है। राज्य में दरभंगा में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट चालू है और यहां से 1.6 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। जबकि सुपौल के राजापोखर तालाब में भी फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाया गया है। यहां से 525 किलोवाट बिजली उत्पादित हो रही है।

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क्या होता है फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट

फ्लोटिंग सोलर सिस्टम या ‘फ्लोटोवोल्टाइक’ में सोलर मॉड्यूल को पानी पर तैरने के लिए बनाया जाता है। पैनल ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, जो पानी के नीचे के तारों के माध्यम से ट्रांसमिशन टावर तक पहुंचता है। पहली तैरती हुई सौर संरचना 2007 में जापान में बनी थी। लेकिन प्लांट बहुत छोटा था और इसे मात्र 20 किलोवाट के लिए डिजाइन किया गया था। सात साल बाद 2014 में इसकी औसत क्षमता बढ़कर 0.5 मेगावाट हो गई।

एक साल बाद जापान में ही इस तकनीक से 7.55 मेगावाट बिजली उत्पादन होने लगा। उसके बाद कई देशों, खासकर एशिया में मल्टी-मेगावाट क्षमता वाले प्लांट स्थापित किए जाने लगे। बिहार में 3300 से अधिक तालाब व जलाशय हैं। अगर इनमें फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाए जाएं तो सैकड़ों मेगावाट बिजली उत्पादित हो सकती है। बिजली कंपनी इसी रणनीति पर काम कर रही है।

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