Maoists are our own citizens fighting for poor Telangana Congress chief demands ceasefire माओवादी हमारे अपने नागरिक, गरीबों के लिए लड़ रहे हैं; कांग्रेस के बड़े नेता ने की 'सीजफायर' वाली मांग, India News in Hindi - Hindustan
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माओवादी हमारे अपने नागरिक, गरीबों के लिए लड़ रहे हैं; कांग्रेस के बड़े नेता ने की 'सीजफायर' वाली मांग

ऑपरेशन कागर छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के घने जंगलों में माओवादी नेटवर्क को खत्म करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की संयुक्त कार्रवाई है। इस ऑपरेशन के तहत कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, हैदराबादSat, 7 June 2025 07:57 AM
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माओवादी हमारे अपने नागरिक, गरीबों के लिए लड़ रहे हैं; कांग्रेस के बड़े नेता ने की 'सीजफायर' वाली मांग

22 मई को माओवादियों के साथ मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नंबाला केशव राव उर्फ ​​बसवराजू को मार गिराया था। यह नक्सलवाद के खिलाफ बहुत बड़ी सफलता मानी जा रही है। इसके बाद, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दोहराया कि 31 मार्च, 2026 तक देश से नक्सलवाद का खात्मा हो जाएगा। हालांकि तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष बी. महेश कुमार गौड़ ने केंद्र सरकार से माओवादियों के साथ शांति वार्ता शुरू करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि माओवादी देश के अपने नागरिक हैं, जो गरीबों और सामाजिक अन्याय के खिलाफ लड़ रहे हैं। गौड़ ने केंद्र सरकार से अपील की है कि माओवादियों के खिलाफ चल रहे ऑपरेशन को तत्काल रोककर उनके साथ शांति वार्ता शुरू की जाए और सीजफायर की घोषणा की जाए। कांग्रेस शासित तेलंगाना के अध्यक्ष का कहना है कि सरकार को माओवादियों का सफाया करने के लिए कठोर कदम नहीं उठाने चाहिए, बल्कि उनसे “कानूनी और संवैधानिक तरीकों” से निपटना चाहिए।

"सरकार शांति वार्ता करने में क्यों हिचकिचा रही है?"

इंडियन एक्सप्रेस को दिए इंटरव्यू में तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "जीवन का अधिकार एक मौलिक अधिकार है। जीवन के अधिकार पर अंकुश लगाने का अधिकार किसी को नहीं है। ऑपरेशन कगार के संबंध में क्या हो रहा है? कांग्रेस आतंकवाद का समर्थन नहीं करेगी, चाहे वह नक्सलियों की तरफ से हो या सरकार की तरफ से। कांग्रेस पार्टी का मूल सिद्धांत अहिंसा है। अब, मेरा केंद्र सरकार से अनुरोध है कि वह शांति वार्ता के लिए आगे बढ़े, क्योंकि जो भी व्यक्ति आत्मसमर्पण करने, अपने हथियार डालने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए तैयार है, उसे ऐसा करने का अवसर दिया जाना चाहिए। सरकार शांति वार्ता करने में क्यों हिचकिचा रही है?" उन्होंने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा, "जंगलों के अंदर बहुत से नागरिक हैं, जंगलों के अंदर नागरिक आदिवासी हैं, माओवादियों को काबू करने के लिए हज़ारों सुरक्षाकर्मी तैनात हैं। क्या होगा अगर हम गोलीबारी या मुठभेड़ में नागरिकों को खो दें?"

"नक्सली हमारे अपने नागरिक हैं"

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा कि जब पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कांग्रेस इसका समर्थन करने वाली पहली पार्टी थी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी समेत हमारे नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध का समर्थन किया। लेकिन अचानक सरकार ने युद्ध विराम की घोषणा कर दी। हम इस युद्ध विराम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भागीदारी का कड़ा विरोध करते हैं क्योंकि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा था। लेकिन...उन्हें (सरकार को) हमारे अपने नागरिकों के साथ शांति वार्ता करने में समस्या है। नक्सली हमारे अपने नागरिक हैं, हालांकि उन्होंने एक अलग रास्ता और विचारधारा अपना ली है। आखिरकार, वे गरीबों के लिए लड़ रहे हैं। यही कारण है कि हम केंद्र से माओवादियों के साथ शांति वार्ता करने का आग्रह कर रहे हैं।"

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"कांग्रेस माओवादियों की हिंसक राजनीति के खिलाफ"

उन्होंने कहा, "जब कांग्रेस (तत्कालीन अविभाजित) आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी, तब हमारे तत्कालीन मुख्यमंत्री मर्री चेन्ना रेड्डी और वाईएस राजशेखर रेड्डी ने नक्सलियों के साथ शांति वार्ता की थी। काफी हद तक ये वार्ता सफल रही। कई नक्सली तब खुले तौर पर मुख्यधारा में शामिल हो गए थे, अपने हथियार डाल दिए थे और अभी शांतिपूर्ण जीवन जी रहे हैं।" हालांकि उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस माओवादियों की हिंसक राजनीति के खिलाफ है। उन्होंने कहा, "हम अभी भी उन्हें आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा मानते हैं। मैं उन नक्सलियों द्वारा की गई हत्याओं का समर्थन नहीं कर रहा हूं जो चरमपंथी हैं। मैं खुद नक्सलियों का शिकार हूं क्योंकि मैंने अपनी संपत्ति खो दी और मेरे पिता पर 1989 में नक्सलियों ने जानलेवा हमला किया था। अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन जब माओवादी शांति वार्ता का अनुरोध करते हैं, तो हमें इस पर विचार करना चाहिए क्योंकि जीवन को बचाया जाना चाहिए। नक्सलवाद असमानता का प्रोडक्ट था - देश के एक प्रतिशत अमीरों के पास देश की लगभग 40% संपत्ति है और दलितों के पास केवल 3% संपत्ति है।"

गौरतलब है कि नक्सलियों और उनकी माओवादी विचारधारा को खत्म करने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन कगार शुरू किया है। जिसके तहत भारत सरकार नक्सलवाद के खिलाफ अपने अभियानों को और तेज कर दिया है। छत्तीसगढ़ के सुकमा और लातेहार जैसे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों ने नक्सलियों के कई ठिकानों को ध्वस्त किया है। ऑपरेशन के तहत कर्रेगुट्टा पहाड़ी क्षेत्र में हजारों सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया है कि सरकार नक्सलियों को हथियार छोड़ने और मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है, साथ ही सख्त कार्रवाई भी जारी रखेगी।

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