कम लागत, अधिक लाभ के लिए धान की सीधी बुआई तकनीक अपनाएं किसान भाई
Gorakhpur News - गोरखपुर में धान की सीधी बुआई विधि (डीएसआर) को जलवायु परिवर्तन, मानसून की अनिश्चितता और श्रमिकों की कमी के समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया है। इस तकनीक से पानी, श्रम और समय की बचत होती है। किसानों...
गोरखपुर। मुख्य संवाददाता जलवायु परिवर्तन, मानसून की अनिश्चितता और श्रमिकों की कमी जैसे मौजूदा संकटों के बीच धान की सीधी बुआई विधि (डायरेक्ट सीडिंग आफ राइश-डीएसआर) एक किफायती, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल विकल्प के रूप में उभर कर सामने आई है। संयुक्त कृषि निदेशक डॉ अरविंद कुमार सिंह मण्डल के किसानों से इस तकनीक को अपनाने की सलाह दे रहे हैं। धान की पारंपरिक रोपाई विधि यानी रोपाई अब जलवायु परिवर्तन, घटती जल उपलब्धता और बढ़ती मजदूरी लागत के कारण किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण बन गई है। इन चुनौतियों के समाधान के रूप में वैज्ञानिकों और कृषि विशेषज्ञों ने धान की सीधी बुआई विधि को कारगर, सस्ती और संसाधन-संरक्षण तकनीक के रूप में सुझा रहे हैं।
डीएसआर विधि में धान की नर्सरी, पौध उखाड़ने और रोपाई जैसी श्रमसाध्य प्रक्रियाओं की आवश्यकता नहीं होती। इसके तहत बीज को सीधे खेत में मशीन से बोया जाता है जिससे पानी, श्रम और समय तीनों की बचत होती है। मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखने वाली यह तकनीक नमी संरक्षण में भी सहायक है। सरकार अनुदान पर सुपर सीडर मशीनें और तकनीकी सहयोग उपलब्ध करा रही है। विकास खंड स्तर पर यह मशीनें किसानों के पास मौजूद हैं, जिनसे संपर्क कर किसान प्रशिक्षण और सहायता प्राप्त कर सकते हैं। अनुदान पर सुपर सीडर लेने वाले एफपीओ और किसानों के लिए जुताई की दरें कृषि विभाग ने 2100 रुपये प्रति एकड़ निर्धारित कर रखी हैं। ऐसे करें बुआई की तैयारी खेत की तैयारी के बाद बीजों को 10 से 12 घंटे पानी में भिगो कर छायादार स्थान पर अंकुरण के लिए रखा जाता है। इसके बाद सीड-कम-फर्टी ड्रिल या सुपर सीडर मशीन से बीजों को 03 से 05 सेमी गहराई पर और 20 सेमी की पंक्ति दूरी पर बोया जाता है। बीज के साथ आवश्यक रासायनिक उर्वरक भी मिलाए जाते हैं, जिससे खाद की पूरी उपयोगिता सुनिश्चित होती है। बुआई के तुरंत बाद करें छिड़काव खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई के तुरंत बाद पेंडीमेथालिन (30 फीसदी ईसी) की 1.25 लीटर मात्रा को 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाता है। 20-25 दिन बाद बिस्पाइरीबैंक सोडियम सॉल्ट (100 मिमी) का 120 लीटर पानी में छिड़काव करने से खेत खरपतवारमुक्त रहता है। ज्यादा मिलता है उत्पादन इस तकनीक से प्रति पौधे 40 से 45 तक कल्ले निकलते हैं, जिससे उपज में उल्लेखनीय वृद्धि होती है। पारंपरिक विधि की तुलना में फसल 8-10 दिन पहले तैयार हो जाती है, जिससे अगली फसल के लिए समय मिल जाता है। साथ ही मिथेन और नाइट्रस ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसों के उत्सर्जन में भी कमी आती है। खेती किसानी 2100 रुपये प्रति एकड़ अनुदानित सुपर सीडर से बुआई की दर निर्धारित डीएसआर तकनीक से बुआई किफायती, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल ‘किसानों से अपील है कि इस समय धान की सीधी बुआई का अनुकूल मौसम चल रहा है। कम लागत, कम पानी और अधिक लाभ देने वाली इस विधि को अपनाकर न केवल आमदनी बढ़ाई जा सकती है, बल्कि जल और पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सकता है। धन्नजय सिंह, उप कृषि निदेशक
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