MCD से 75 रुपये लाख निजी खाते में ट्रांसफर कराए, मेट्रो अस्पताल के पूर्व कर्मचारी ने ऐसे किया फ्रॉड
नोएडा के एक निजी अस्पताल के पूर्व कर्मचारी ने फर्जी मेल के जरिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से करीब 75 लाख रुपये अपने पर्सनल खाते में ट्रांसफर करा लिए। जब कंपनी को समय पर भुगतान नहीं मिला तो जालसाजी का खुलासा हुआ।

नोएडा के एक निजी अस्पताल के पूर्व कर्मचारी ने फर्जी मेल के जरिए दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से 75 लाख रुपये अपने पर्सनल खाते में ट्रांसफर करा लिए। जब कंपनी को समय पर भुगतान नहीं मिला तो इस जालसाजी का खुलासा हुआ। अस्पताल की ओर से आरोपी पूर्व कर्मचारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
मेट्रो ग्रुप हॉस्पिटल और मेडिकल सर्विसेज के रिकवरी हेड गोविंद शर्मा ने नोएडा सेक्टर-24 थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने बताया कि मेट्रो ग्रुप की कैंसर हॉस्पिटल यूनिट में एमसीडी समेत कई सरकारी विभागों के कर्मचारियों का कैशलेस इलाज किया जाता है। इलाज के बाद एमसीडी बिल का भुगतान अस्पताल के बैंक खाते में करती है। बिलों के भुगतान के लिए अस्पताल ने गाजियाबाद के वसुंधरा निवासी वैभव कुमार को रिकवरी प्रबंधक के रूप में रखा था। वह 10 मार्च 2022 से काम कर रहा था। वैभव कुमार 21 अप्रैल 2025 को नौकरी छोड़कर चला गया। इस दौरान एमसीडी पर 74,90,866 रुपये का बकाया चल रहा था।
गोविंद शर्मा ने बताया कि 5 मई 2025 को जब दिल्ली के सिविक सेंटर स्थित निगम के कार्यालय गए तो वहां के अधिकारी ने बताया कि पूरी रकम का भुगतान किया जा चुका है। जांच में सामने आया कि यह रकम एक अन्य बैंक के खाते में ट्रांसफर की गई थी।
अन्य खाते में ट्रांसफर की रकम
शिकायतकर्ता ने बताया कि आरोपी वैभव कुमार ने धोखाधड़ी वाले खाते से रकम को अन्य बैंक खाते में ट्रांसफर कर लिया। इसके बाद उसे खाते से रकम को निकाल लिया। इसके चलते कंपनी को भारी नुकसान हुआ। उनका कहना है कि कंपनी पैनल के अन्य सरकारी विभागों से आने वाले भुगतान के बारे में भी जांच कर रही है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वैभव ने कंपनी को इसके अलावा कितना नुकसान पहुंचाया है। एडीसीपी सुमित कुमार शुक्ला का कहना है कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी।
खाता नंबर बदलवा लिया
एमसीडी की ओर से बताया गया कि जनवरी 2025 में वैभव कुमार ने ईमेल आईडी से कंपनी का पुराना खाता तकनीकी कारणों से काम नहीं करने की जानकारी दी। साथ ही भविष्य में भुगतान के लिए एक नया बैंक खाता नंबर और एक खाली चेक दिया। यह मेल कंपनी के अधिकृत मेल आईडी से भेजा गया था। एमसीडी ने उसी के अनुसार 7 मार्च 2025 को भुगतान ट्रांसफर किया।