Monsoon Brings Relief and Danger to Jharkhand s Jharia Coal Region Amid Gas Leaks and Land Subsidence मॉनसून के साथ भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों की परेशानी बढ़ी, Dhanbad Hindi News - Hindustan
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मॉनसून के साथ भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों की परेशानी बढ़ी

झरिया में मॉनसून की पहली बारिश ने गर्मी से राहत दी, लेकिन भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों में गैस रिसाव और भू-धंसान की घटनाओं का खतरा बढ़ गया है। स्थानीय लोग पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादWed, 18 June 2025 06:07 AM
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मॉनसून के साथ भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों की परेशानी बढ़ी

धनबाद/झरिया, हिन्दुस्तान टीम। मॉनसून ने दस्तक दे दी है। सोमवार को धनबाद में मॉनसून की पहली बारिश ने लोगों को गर्मी से राहत दी, लेकिन झरिया कोयला क्षेत्र के भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों के लिए मुसीबत लेकर आई है। बारिश के साथ भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्रों में गैस रिसाव शुरू हो गया है। बारिश में रिसाव तेज हो जाता है। लगातार बारिश से भू-धंसान की घटनाएं भी होती हैं। झरिया कोयला क्षेत्र के चारों ओर भूमिगत आग है। कई फायर प्रोजेक्ट चल रहे हैं। दर्जनों क्षेत्र आग और भू-धंसान प्रभावित हैं। इन क्षेत्रों में गैस रिसाव तेज हो गया है। लोगों में डर का माहौल है।

भूं-धसान का खतरा बढ़ गया है। लोग सुरक्षित जगह पर विस्थापन की मांग काफी समय से कर रहे हैं, लेकिन अब भी कई बस्तियां है, जहां हजारों की आबादी रह रही है। इंदिरा चौक, लिलोरीपथरा, बालूगद्दा, कुजामा, मोहरीबांध, घनुडीह, चौथाई कुल्ही, बेरा, दोबारी, सहाना पहाड़ी, बोका पहाड़ी, एना, इंडस्ट्री, बस्ताकोला, राजापुर, लोदना, बागडिगी, जयरामपुर, नॉर्थ तिसरा, साउथ तिसरा, बरारी, जीनागोरा, भौंरा, सुदामडीह सहित कई प्रभावित क्षेत्रों में गैस रिसाव देखा जा सकता है। नदी पार कुजामा के दयानंद पासवान कहते हैं कि यह क्षेत्र पूरी तरह से आग प्रभावित है। बीते कई सालों से यहां के लोग पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। वहीं रतन कुमार ने कहा कि यहां पर जो लोग रह रहे हैं उनका जल्द पुनर्वास हो। विनोद कुम्हार कहते है कि बरसात में कहीं भी फायर एरिया रहने लायक नहीं है। कब व कहां गोफ और भू-धंसान की घटना हो जाए कह नहीं सकते। पूर्व में बरसात में कई घटनाएं हो गई हैं। गोफ बनने, घरों में दरार पड़ने, घर ढहने की घटनाएं तो आमबात हैं। कई जानें भी जा चुकी हैं। अतिसंवेदनशील क्षेत्र से नहीं हो रहा पुनर्वास: कोयला मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव रूपिंदर बरार ने झरिया कोयला क्षेत्र के अति खतरनाक भू-धंसान व भूमिगत आग प्रभावित क्षेत्र से लोगों के पुनर्वास में तेजी लाने को लेकर बीसीसीएल और जेआरडीए के अधिकारियों के साथ एक पखवाड़ा पहले 29 मई को बैठक की थीं। एक पखवाड़े के अंदर एक भी परिवार का पुनर्वास नहीं हुआ है। लोग भी संशोधित मास्टर प्लान की स्वीकृति के इंतजार में हैं। मुआवजे सहित क्या सुविधाएं मिलेंगी यह जाने बिना कैसे चले जाएं। बेलगड़िया में 18,272 नए आवास बन रहे हैं, जिनमें 6480 आवास लगभग तैयार हैं, जहां शिफ्टिंग की जा सकती है। बाकी आवासों को जल्द रहने लायक बनाने का निर्देश दिया गया था। बेलगड़िया में जबतक लोग शिफ्ट नहीं होते कौशल विकास की योजनाएं शुरू करने में भी परेशानी है। मालूम हो कि झरिया क्षेत्र में कुल 595 अग्नि प्रभावित क्षेत्र हैं। इनमें 81 क्षेत्र अतिसंवेदनशील हैं। पहले चरण में 81 सबसे संवेदनशील क्षेत्रों का सर्वेक्षण किया गया है, जहां से सबसे पहले लोगों को बीसीसीएल व जेआरडीए प्राथमिकता के आधार पर शिफ्ट करना है। अतिसंवेदनशील क्षेत्रों में 14,460 परिवार रहते हैं, जिनमें 1,860 रैयत व करीब 12,600 परिवार अवैध कब्जेधारी हैं। उन्हें शिफ्ट करने की जिम्मेदारी बीसीसीएल व झरिया पुनर्वास व विकास प्राधिकार की है।

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