लंगूर भी पहुंचा रहे फसलों को नुकसान
फोटो कांडी एक-पेड़ पर आश्रय लिए लंगूर प्रखंड के किसान अब तक नीलगाय के आतंक से परेशान थे। अब उन्हें लंगूरों का भी सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक महीना

कांडी, प्रतिनिधि। प्रखंड के किसान अबतक नीलगाय के आतंक से परेशान थे। अब उन्हें लंगूरों का भी सामना करना पड़ रहा है। पिछले एक महीने से बड़ी संख्या में लंगूर प्रखंड के विभिन्न गांवों और टोलों में देखे जा रहे हैं। लंगूर किसानों के महुआ की फसल को अधिक नुकसान पहुंचा रहे हैं। साथ ही सब्जियों को भी क्षति पहुंचा रहे हैं। महुआ की फसल क्षेत्र के किसानों के लिए शुद्ध मुनाफे की फसल माना जाता है। महुआ की फसल किसानों के लिए बिना पूंजी का आमदनी देने वाला फसल माना जाता है। महुआ फसल पैदा करने में किसानों को कोई पूंजी नहीं लगानी पड़ती है। झुंड में एक साथ लंगूर आ कर महुआ की फसलों को चट कर जा रहे हैं। लंगूर रातों में महुआ के पेड़ के नीचे आ रहे हैं। सुबह होने तक भारी मात्रा में महुआ खाकर निकल जा रहे हैं। जब अहले सुबह किसान महुआ पेड़ के नीचे आ रहे हैं तो महुआ की फसल को देखकर निराश हो रहे हैं। किसान कुलदीप राम, असगर अंसारी, शंभू साव, देवव्रत गुप्ता, असमोहम्मद अंसारी सहित अन्य ने बताया कि अब तक हमसभी किसान वर्षो से नीलगाय के आतंक से परेशान थे। बदले समय में अब और एक नयी मुसीबत लंगूर आ गए। वह फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
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