जिले के शैक्षणिक विकास में कोचिंग संस्थानों की भूमिका अहम : एसडीएम
गढ़वा में एसडीएम संजय कुमार ने कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों से संवाद किया। उन्होंने समस्याएँ सुनीं और सुझावों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया। कोचिंग संस्थानों के पंजीकरण की आवश्यकता पर चर्चा हुई, साथ...

गढ़वा, प्रतिनिधि। सदर एसडीएम संजय कुमार के साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम कॉफी विद एसडीएम कार्यक्रम में बुधवार को अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न कोचिंग संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उस दौरान न केवल सहभागियों ने अपनी निजी समस्याएं रखीं। न सिर्फ कोचिंग संस्थानों के हितों की बात रखी बल्कि क्षेत्र के विकास व बेहतरी को लेकर अपने सुझाव भी दिए। एसडीएम की ओर से उनकी समस्याओं और सुझावों पर ससमय पहल करने का भरोसा दिया गया। बकौल एसडीएम जिले के शैक्षणिक विकास में कोचिंग संस्थाओं की भूमिका भी अहम है। मौके पर नीरज कुमार ने सुझाव दिया कि कोचिंग संस्थानों का पंजीकरण होना चाहिए।
बिना पंजीकरण किए हुए कोई भी कोचिंग खोल ले रहा है। फलत: गंभीरता से इस क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की भी छवि प्रभावित होती है। उस पर एसडीएम की ओर से कहा गया कि यह उन सबका निजी मामला है हालांकि उन्होंने भी सुझाव दिया कि सभी लोग कम से कम नगर परिषद से अपना पंजीकरण जरूर करवा लें। वहीं कॉमर्स के वरिष्ठ शिक्षक लखन कश्यप ने कहा कि उक्त लोग सिर्फ पैसे के लिए ही काम नहीं करते हैं बल्कि अपने छात्र-छात्राओं के बेहतर भविष्य के लिए दिन रात चिंता करते हैं। ऐसे में सभी कोचिंग संस्थानों को यह अपेक्षा होती है कि अगर उनकी रात दिन की मेहनत से उनके छात्रों का बेहतर परिणाम आता है तो संस्थानों को भी इसका श्रेय मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर प्रशासन की ओर से अच्छा परिणाम देने वाले कोचिंग संस्थानों को सम्मानित किया जाए तो उससे कोचिंग संस्थानों के बीच में एक सकारात्मक प्रतिस्पर्धा बनेगी और मेहनत करने वाले शिक्षक खुद को अभिप्रेरित भी महसूस करेंगे। उसपर एसडीएम ने कहा कि वह जरूर पहल करेंगे। मौके पर अमित कश्यप, रंजन कुमार, चंदू चंद्रवंशी सहित अन्य ने दर्द बयां करते हुए कहा कि कोरोना के बाद से कोचिंग संस्थानों के सामने अस्तित्व का संकट आ पड़ा है। अब बहुत कम कोचिंग संस्थान ऐसे हैं जिनमें छात्र-छात्राओं की संख्या जरूरत के अनुसार पर्याप्त है। ज्यादातर छात्र-छात्राएं कोविड के बाद आए ऑनलाइन कोचिंग सिस्टम में खुद को ढाल चुके हैं। मौके पर कोचिंग संस्थाओं का संघ होने पर बल दिया गया। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर बड़े प्रशासनिक व पुलिस पदाधिकारी कभी-कभी कोचिंग संस्थानों में समयानुरूप क्लास लें तो उससे बच्चे प्रोत्साहित होंगे। उसपर एसडीएम ने कहा कि समय मिलने पर जरूर कुछ कोचिंग कक्षाओं में पढ़ाने पहुंचेंगे। ::बॉक्स::शहर का मास्टर प्लान बने कोचिंग संस्थानों से जुड़े लोगों ने कहा कि वह शहर के अंदर जो समस्याएं देखते हैं व्यस्तता के चलते वे प्रशासन के समक्ष नहीं रख पाते हैं। उन सभी का एक सामूहिक सुझाव है कि शहर के विकास को लेकर एक नियोजित मास्टर प्लान बनना चाहिए तभी विकास दिखेगा। अन्यथा अभी विभागों के बीच समन्वय की कमी रहने के कारण कहीं कुछ तो कहीं कुछ छूट जाता है। उधर कुछ कोचिंग संचालकों ने बताया कि सुबह 7 से 9 बजे और शाम को 4 से 6 बजे तक कोचिंग कक्षाओं का पीक टाइम रहता है। उस समय सुरक्षा के लिहाज से कोचिंग संस्थान वाले इलाके में सुरक्षा सुनिश्चित हो। उसके अलावा कई लोगों ने निजी समस्याएं भी रखी। कार्यक्रम में लखन कश्यप, आदित्य चौधरी, रवि रंजन, चंदन महतो, देववंश यादव, प्रभात कुमार, दीपा कुमारी, राज नारायण मिश्रा, प्रवीण मिश्रा, नीरज कुमार, मिथिलेश कुमार सहित अन्य ने अपने-अपने विचार रखे।
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