Hazariabad Bridge Disaster Incomplete Construction and Poor Safety Measures Endanger Lives बोले हजारीबाग : सर्विस रोड पर नहीं जलती लाइट, उड़ती धूल भी परेशानी का सबब, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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बोले हजारीबाग : सर्विस रोड पर नहीं जलती लाइट, उड़ती धूल भी परेशानी का सबब

हजारीबाग के ओरिया-सिंघानी ओवरब्रिज और अप्रोच सड़क पर अधूरे निर्माण और सुरक्षा प्रबंधों की कमी के कारण स्थानीय लोगों का जीवन संकट में है। पिछले तीन महीनों में दो दर्जन से अधिक हादसे हो चुके हैं। अंधेरे...

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागThu, 12 June 2025 11:31 PM
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बोले हजारीबाग : सर्विस रोड पर नहीं जलती लाइट, उड़ती धूल भी परेशानी का सबब

रांची-पटना एनएच 33 पर स्थित हजारीबाग के ओरिया-सिंघानी ओवरब्रिज और अप्रोच सड़क क्षेत्र के लोगों के लिए हादसों और परेशानियों का केंद्र बन गया है। अधूरा निर्माण, जर्जर सड़क, अंधेरा और धूलभरी हवा ने स्थानीयों की रोजमर्रा की जिंदगी को संकट में डाल दिया है। सुरक्षा प्रबंधों का अभाव और प्रशासन की अनदेखी के कारण अब लोग आंदोलन की चेतावनी तक दे चुके हैं। रोजगार और सुगमता का सपना लिए शुरू हुई यह योजना अब जानलेवा साबित हो रही है। बोले हिन्दुस्तान कार्यक्रम में लोगों ने अपनी समस्याएं साझा की। हजारीबाग। रांची-पटना राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच-33) के किनारे बसे ओरिया, सिंघानी और चानो गांव के लोगों को जब फोरलेन सड़क का निर्माण शुरू हुआ था, तब उम्मीद थी कि क्षेत्र में विकास की बयार बहेगी।

लोगों को रोजगार मिलेगा, यात्रा आसान होगी और आसपास की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। लेकिन एक दशक बीतने के बाद भी यहां की स्थिति विकास के बजाय त्रासदी की तस्वीर पेश कर रही है। अधूरे निर्माण, एनएचएआई की लापरवाही, और सुरक्षा उपायों की घोर अनदेखी ने इस क्षेत्र को दुर्घटनाओं, बीमारियों और भय का केन्द्र बना दिया है। ओवरब्रिज का निर्माण कार्य वर्ष 2014 में शुरू हुआ था, लेकिन 2025 में भी इसका पूरा होना बाकी है। इतना ही नहीं, जो हिस्सा बनकर तैयार हुआ, उसमें भारी वाहनों के गुजरते ही दरारें आ गईं, जिससे ओवरब्रिज पर आवागमन दोबारा बंद कर दिया गया। यह अनियमितता और निर्माण में बरती गई लापरवाही सुरक्षा मानकों की पोल खोलती है। इस बीच, स्थानीय लोगों को अधूरे निर्माण और बुरी तरह क्षतिग्रस्त अप्रोच सड़क का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। यह सड़कें इतनी बदहाल हैं कि इन पर चलना किसी चुनौती से कम नहीं। हर रोज किसी न किसी की बाइक गड्ढों में फंस जाती है और पीछे से आ रही भारी वाहन की चपेट में आकर जान चली जाती है। बीते तीन महीने में दो दर्जन से अधिक हादसे हो चुके हैं जिनमें कई लोगों की जान जा चुकी है और कई गंभीर रूप से घायल हुए हैं। सबसे चिंताजनक स्थिति रात के समय होती है, जब ओवरब्रिज और अप्रोच सड़क दोनों पर अंधेरा पसरा रहता है। यहां लाइट के खंभे तो लगाए गए हैं लेकिन लाइट अब तक शुरू नहीं की गई। टेस्टिंग के नाम पर महज खानापूरी की गई और लाइटें खंभों पर बस शोभा की वस्तु बनकर रह गईं। अंधेरे के साथ-साथ उड़ती धूल लोगों के लिए और भी खतरनाक साबित हो रही है। कई बार ओवरब्रिज पर इतनी धूल होती है कि सामने से आती गाड़ी तक नहीं दिखती, जिससे टक्कर की आशंका हमेशा बनी रहती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हर दिन इस मार्ग पर चलना डरावना हो गया है, मानो कोई मौत को न्योता दे रहा हो। सड़क के बुरी तरह टूटने और गड्ढों से भर जाने के कारण जब कोई ट्रक या भारी वाहन गुजरता है, तो तेज़ी से धूल का गुबार उठता है, जो आसपास के घरों और दुकानों में भर जाता है। दुकानदारों को दुकानें बंद करनी पड़ रही हैं और घरों में लगातार सफाई के बावजूद धूल जमा हो जाती है। स्वास्थ्य पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। कई स्थानीय लोग सांस संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं। स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि सामान्य जीवन बाधित हो चुका है। रात के समय लाइट न जलने की वजह से यह इलाका अपराधियों के लिए सुरक्षित ज़ोन बन गया है। यहां चोरी, छीना-झपटी और डकैती की घटनाएं आम हो गई हैं। राहगीरों और दुकानदारों को निशाना बनाया जा रहा है। कई बार शिकायतों के बावजूद पुलिस गश्त या सीसीटीवी जैसी बुनियादी व्यवस्थाएं नहीं की गई हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अंधेरे में चलते हुए हर समय डर बना रहता है न सिर्फ दुर्घटना का, बल्कि अपराध का भी। बरसात में स्थिति और भयावह हो जाती है। 11 वर्षों से अधूरा है अप्रोच रोड ओरिया-सिंघानी ओवरब्रिज और अप्रोच मार्ग का निर्माण वर्षों से अधूरा है। 2014 में शुरू हुआ ओवरब्रिज 2025 तक भी पूरा नहीं हो पाया है। अप्रोच सड़कों पर बड़े-बड़े गड्ढे हैं और निर्माण अधूरा है, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है। अधूरे निर्माण के बीच से जब भारी वाहन गुजरते हैं, तो गड्ढों और धूल के कारण बाइक सवार असंतुलित होकर गिर जाते हैं और पीछे से आ रही गाड़ियां उन्हें कुचल देती हैं। बीते कुछ महीनों में दो दर्जन से अधिक लोग हादसों के शिकार हुए हैं। स्थानीय लोगों का जीवन हर दिन खतरे में है। अंधेरे में होती लूटपाट की घटनाएं ओवरब्रिज और आसपास के इलाकों में लगाए गए स्ट्रीट लाइट के खंभे केवल दिखावे के लिए हैं। टेस्टिंग के बाद भी लाइटें चालू नहीं की गईं। अंधेरा इतना गहरा होता है कि राहगीरों को कुछ दिखाई नहीं देता। इसी का फायदा उठाकर इलाके में चोरी, लूट और छीना-झपटी जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। अपराधियों को पकड़ने या रोकने के लिए कोई कैमरा या सुरक्षा गार्ड नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई सुधार नहीं हुआ। अब वे आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं। लाइट नहीं जलना अब केवल असुविधा नहीं, बल्कि जान का खतरा बन गया है। उड़ती धूल से व्यापारी परेशान अप्रोच मार्ग और ओवरब्रिज से गुजरते भारी वाहनों से धूल का इतना गुबार उठता है कि आसपास की दुकानें और घरों में भर जाता है। दुकानदारों को अपनी दुकानें बंद करनी पड़ती हैं। घरों में खिड़की-दरवाजा बंद करने के बावजूद धूल अंदर भर जाती है। लगातार धूल के संपर्क में रहने से बच्चों, बुजुर्गों और सामान्य लोगों में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ती जा रही हैं। व्यापारी वर्ग का कहना है कि व्यापार पूरी तरह प्रभावित हो चुका है। होटल, किराना और अन्य छोटे व्यवसाय ठप पड़ गए हैं। अगर समय रहते समाधान नहीं हुआ तो लोग क्षेत्र छोड़ने को मजबूर हो जाएंगे। सड़क पर जलजमाव से हादसे की आशंका बरसात के मौसम में ओवरब्रिज से पानी ऐसे गिरता है जैसे कोई अगरी फूट पड़ा हो। ऊपर से गिरता पानी सीधे सड़क पर भर जाता है, जिससे गड्ढों का पता नहीं चलता। अप्रोच सड़कों पर जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। बाइक, पैदल यात्री और वाहन चालक पानी में रास्ता नहीं देख पाते और दुर्घटनाएं होती हैं। बरसात में तो यह मार्ग पूरी तरह जानलेवा बन जाता है। लोगों को मजबूरी में जान जोखिम में डालकर यात्रा करनी पड़ती है। नालियों का बहाव नहीं होने से पानी का निकास रुक जाता है और पूरा इलाका कीचड़ और फिसलन में तब्दील हो जाता है। स्थानीय लोगों ने एप्रोच सड़क के किनारे पानी निकासी के लिए नाली बनवाने की मांग की है। आंदोलन की चेतावनी स्थानीय लोग लगातार एनएचएआई और जिला प्रशासन से लिखित और मौखिक शिकायतें कर चुके हैं, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ आश्वासन मिला। विष्णु कुमार जैसे लोगों ने कई बार आवेदन दिए लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। अब लोग कह रहे हैं कि अगर जल्द से जल्द सड़क की मरम्मती, लाइट की व्यवस्था और सुरक्षा उपाय नहीं किए गए, तो वे सड़क पर उतरकर आंदोलन करेंगे। लोगों का कहना है कि ओवरब्रिज जो कभी उम्मीद की किरण था, अब खौफ का कारण बन गया है। प्रशासन की चुप्पी लोगों में गुस्सा भर रही है। समस्याएं 1. ओवरब्रिज के निर्माण के बीच वाहन चलाना लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। 2. लाइट पोल लगे हैं लेकिन आज तक चालू नहीं हुए। रात में पूरा इलाका अंधेरे में डूबा रहता है। 3. सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हैं, जिनसे वाहन फंसकर गिरते हैं। बरसात में जलजमाव से परेशानी। 4. अंधेरा और निगरानी के अभाव में छिनतई और चोरी जैसी घटनाएं आम हो गई हैं। 5. सड़क का निर्माण कार्य जारी रहने से उड़ती धूल से लोगों को परेशानी होती है। सुझाव 1. निर्माण एजेंसियों को स्पष्ट समय-सीमा दी जाए और कार्य में तेजी लाई। 2. सभी लाइट पोलों की टेस्टिंग कराकर जल्द से जल्द लाइट चालू करायी जानी चाहिए। 3. गड्ढों को भरा जाए, कचरा हटाया जाए और नियमित अंतराल पर पानी का छिड़काव हो। 4. महत्वपूर्ण स्थानों पर सुरक्षा गार्ड तैनात किए जाएं और सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएं। 5. स्थानीय स्तर पर जनसुनवाई आयोजित की जाए जहां लोग अपनी समस्याएं रख सकें। इनकी भी सुनिए फोरलेन बनने के बाद से अब तक लाइट चालू नहीं की गई है। अंधेरे के कारण सर्विस लेन में छिनतई और चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं। सर्विस लेन की हालत इतनी यदि नेशनल हाईवे अथॉरिटी या नगर निगम समय रहते इस पर ठोस कदम नहीं उठाते हैं तो ग्रामीण आंदोलन करेंगे। -अशोक कुमार यादव, सरपंच, ओरिया सिंघानी ओवरब्रिज के दोनों ओर एप्रोच पथ के निर्माण को लेकर प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अब इस पथ को पीसीसी से बनाने का निर्णय लिया गया है।पहले इस मार्ग को बिटुमिस सड़क के रूप में तैयार करने की योजना थी।तकनीकी और स्थायित्व के दृष्टिकोण से योजना में बदलाव किया गया है। -मनोज कुमार पांडेय, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई लोगों की सुरक्षा के लिए सीसीटीवी लगे दोनों ओर से अप्रोच रोड सही ढंग से नहीं बनी है, जिससे वाहन चालकों को जान जोखिम में डालकर आवाजाही करनी पड़ती है। निर्माण एजेंसियों की लापरवाही साफ दिख रही है। -गोविंद यादव अप्रोच रोड की स्थिति बेहद खराब है। बड़े-बड़े गड्ढों से वाहन चालकों को झटका लगता है और कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। बरसात में यह सड़क दलदल बन जाती है और सूखे में धूल उड़ती है। -संजय साव ओवरब्रिज पर लाइट पोल तो लगाए गए हैं, लेकिन उनमें लाइट चालू नहीं है। टेस्टिंग के बाद भी बिजली व्यवस्था बहाल नहीं हुई। इससे रात के समय अंधेरा छा जाता है, जो हादसों का डर बना रहता है। -मुन्ना साव रात में अंधेरे और निगरानी के अभाव में इलाके में चोरी, छिनतई की घटनाएं बढ़ गई हैं। लोग घर से निकलने में डर महसूस करते हैं। दुकानदारों को रात में दुकान बंद करने के बाद भी सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है। -विष्णु कुमार इलाके में न तो कहीं सुरक्षा गार्ड हैं और न ही सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। अपराध होने के बाद कोई निगरानी नहीं होती। पुलिस गश्ती भी नाममात्र की होती है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं। -तुलसी गोप स्थानीय लोग अब आंदोलन की तैयारी में हैं। यदि जल्द सड़क मरम्मत, लाइट चालू और सुरक्षा प्रबंध नहीं किए गए, तो उग्र आंदोलन करेंगे। हम अब स्वास्थ्य व सुरक्षा से समझौता को तैयार नहीं हैं। -आकाश आनंद लगातार उड़ती धूल और जमा कचरे से क्षेत्र में बीमारियों के फैलने का खतरा बढ़ गया है। गंदगी के कारण मच्छर और मक्खी बढ़ गए हैं, जिससे डेंगू, मलेरिया जैसी बीमारियों की आशंका बनी हुई है। -सुधीर यादव हम लोगों ने एनएचएआई और जिला प्रशासन को कई बार आवेदन दिए, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। अधिकारियों की चुप्पी और लापरवाही लोगों में आक्रोश का कारण बन रही है। -बोधी साव बरसात में ओवरब्रिज और अप्रोच रोड पर पानी भर जाता है। पुल से पानी इस तरह गिरता है जैसे ऊपर से बाल्टी उड़ेली जा रही हो। इससे सड़कों पर फिसलन हो जाती है व हादसे का डर रहता है। -रामेश्वर साव धूल और गंदगी के कारण इलाके के दुकानदारों का व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ है। ग्राहक दुकान पर आना नहीं चाहते। आर्थिक नुकसान व स्वास्थ्य समस्या ने व्यापारियों की कमर तोड़ दी है। -सुरेश कुमार बीते तीन महीनों में दो दर्जन से अधिक लोग इस क्षेत्र में दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। खराब सड़क, अंधेरा और उड़ती धूल दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण हैं। कुछ लोगों की मौत भी हो चुकी है। -अर्जुन कुमार साव भारी वाहनों के गुजरने से दिन-रात धूल उड़ती है। स्थानीय लोगों को सांस, आंख और त्वचा संबंधी बीमारियां हो रही हैं। बच्चों व बुजुर्गों की सेहत पर इसका बुरा असर दिखने लगा है। -शंभू साव

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