झारखंड में आसमान से जमकर बरसी आफत, किसानों की फसलें बर्बाद; मुआवजे की मांग
- लावा निवासी तपन गोराई व लक्ष्मीकांत गोराई ने मिलकर 7 एकड़ में ढाई लाख खर्च करके खीरा की खेती की थी, जो ओलावृष्टि के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गई। तपन बताते हैं कि इस साल पहले तो टमाटर की कम कीमत ने मारा और अब प्रकृति की मार ने चिंता में डाल दिया है।

झारखंड के पटमदा एवं बोड़ाम में शुक्रवार शाम हुई ओलावृष्टि ने भारी तबाही मचाई। खासकर सब्जी की तैयार फसलें बर्बाद होने से किसानों को करोड़ों का नुकसान हुआ। पटमदा के लच्छीपुर निवासी किसान अमल कांत महतो ने बताया कि क्षेत्र में पहली बार ऐसी ओलावृष्टि हुई।
शनिवार सुबह खेतों में पहुंचने पर नुकसान का अंदाजा हुआ। उन्होंने बताया कि 10 बीघा जमीन पर तरबूज की खेती की गई थी, जो लगभग तैयार भी हो चुका था, अगले 15 दिनों में बाजारों में भेजने की तैयारी थी। खेती में करीब डेढ़ लाख खर्च किया था।
लावा निवासी तपन गोराई व लक्ष्मीकांत गोराई ने मिलकर 7 एकड़ में ढाई लाख खर्च करके खीरा की खेती की थी, जो ओलावृष्टि के कारण पूरी तरह से नष्ट हो गई। तपन बताते हैं कि इस साल पहले तो टमाटर की कम कीमत ने मारा और अब प्रकृति की मार ने चिंता में डाल दिया है।
चाड़रीकोल गांव में निर्मल की 4 एकड़ जमीन पर की गई खेती बर्बाद हो गई। यहां के गोकुल रजक, अंकुर रजक व अनिल महतो के मकानों में एस्बेस्टस उड़ जाने से वे बेघर हो गए हैं। चुड़दा गांव के रंजीत गोराई को भी लाखों का नुकसान हुआ। वहीं, लच्छीपुर, गोबरघुसी व जोड़सा पंचायत में पेड़ की डाली टूटकर गिरने से बिजली आपूर्ति ठप रही।