Declining Library Numbers in Jamshedpur A Shift from Traditional Reading to Digital बोले जमशेदपुर : समय के साथ लाइब्रेरी की संख्या हो गई कम, मोबाइल के कारण पढ़ने वाले भी घटे, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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बोले जमशेदपुर : समय के साथ लाइब्रेरी की संख्या हो गई कम, मोबाइल के कारण पढ़ने वाले भी घटे

जमशेदपुर में लाइब्रेरी की संख्या कम हो गई है, और मोबाइल के बढ़ते उपयोग ने पढ़ने वालों की संख्या को भी घटाया है। केवल दो लाइब्रेरी सक्रिय हैं, जिनमें बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। पुस्तक मेला दर्शाता है कि...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरThu, 24 April 2025 06:12 AM
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बोले जमशेदपुर : समय के साथ लाइब्रेरी की संख्या हो गई कम, मोबाइल के कारण पढ़ने वाले भी घटे

शहर में समय के साथ लाइब्रेरी की संख्या कम हो गई है। मोबाइल के आगमन के बाद पढ़ने वाले भी कम हो गए हैं। पहले लाइब्रेरी में जाकर पढ़ने वालों की संख्या काफी अधिक होती थी। इनमें न्यमित तौर पर पाठक होते थे। अब तो लाइब्रेरी ऐसे लोग ही जाते हैं, जिनको पाठ्य-पुस्तक की जरूरत है। यानी विद्यार्थी। जमशेदपुर में लाइब्रेरी की संख्या धीरे-धीरे घटती चली गई। वर्तमान में दो लाइब्रेरी ही चल रही है, लेकिन वहां भी बड़े-बुजुर्गों की संख्या कम ही है। यहां बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। बाराद्वारी स्थित सोबरन माझी जिला पुस्तकालय और बिष्टूपुर स्थित मुस्लिम लाइब्रेरी में बच्चों की भीड़ जुटती है। यहां रोज 50 से 60 बच्चे पढ़ाई के लिए आते हैं। हिन्दुस्तान ने शहर की विभिन्न लाइब्रेरी का जायजा लिया तो कई समस्याएं दिखीं।

शहर में हर साल पुस्तक मेला लगता है। काफी लोग इस पुस्तक मेले में आते हैं। इससे साबित होता है कि यहां अब भी पुस्तकों के शौकीन लोग तो हैं, लेकिन नियमित पढ़ाई के लिए यहां लाइब्रेरी की कमी दिख रही है। यहां दो ही लाइब्रेरी सक्रिय हैं। इनमें एक बाराद्वारी स्थित पीपुल्स एकेडमी परिसर में मौजूद सोबरन मांझी जिला पुस्तकालय और दूसरा बिष्टुपुर स्थित मुस्लिम लाइब्रेरी है। मुस्लिम लाइब्रेरी शहर की सबसे पुरानी लाइब्रेरी में से एक है। यहां प्रतिदिन 50 से 60 की संख्या में बच्चे पढ़ाई करने के लिए आते हैं। वहीं, बाराद्वारी स्थित सोबरन मांझी जिला पुस्तकालय भी दो वर्ष से ज्यादा समय से बेहतर तरीके से संचालित हो रहा है। यहां भी रोज 55 से 60 बच्चे पढ़ाई करने आते हैं। इन लाइब्रेरी में हर तरह की प्रतियोगी पुस्तकें उपलब्ध हैं। खास बात यह है कि यहां बैठकर पढ़ाई करने के लिए किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है। हालांकि, आने वाले सभी बच्चों का रिकॉर्ड रखा जाता है। सोबरन मांझी लाइब्रेरी में नियमित आने वाले बच्चों को किताबें घर ले जाने की भी सुविधा होती है। वहीं, मुस्लिम लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ाई करना पूरी तरह से नि:शुल्क है, लेकिन अगर आप पढ़ाई करने के लिए कोई किताब घर ले जाना चाहते हैं तो 100 रुपये शुल्क का भुगतान करना होगा।

8वीं से लेकर यूपीएससी तक की पुस्तकें हैं उपलब्ध

सोबरन मांझी पुस्तकाल की स्थापना वर्ष 2022 में हुई थी। उस वक्त इसका नाम जिला सार्वजनिक पुस्तकालय था। बाद में वर्तमान झारखंड सरकार ने राज्य में सरकारी फंड से चलने वाली लाइब्रेरी का नाम बदलकर सोबरन मांझी जिला पुस्तकालय कर दिया गया। बाराद्वारी स्थित सोबरन मांझी पुस्तकालय में क्लास 8 से 12वीं तक की सभी एनसीईआरटी पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां सीडीएस, एनडीए, जेईई मेंस, जेईई एडवांस्ड, यूपीएससी, सीए सहित अन्य प्रतियोगी पुस्तकें हैं।

लाइब्रेरी के म्यूजियम में हैं पुरानी किताबें

इस लाइब्रेरी में कई दूसरी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। यहां एक म्यूजियम भी है, जहां हर तरह की धार्मिक और अन्य लेखकों की पुरानी किताबें हैं। इसके अलावा लाइब्रेरी में कम्पलीट वर्क्स ऑफ डीडी उपाध्याय नाम पुस्तक की दो सेट उपलब्ध है। इसके एक सेट में 15 किताबें हैं। इस लाइब्रेरी में करीब 2500 पुस्तकें हैं। यहां साहित्यकार और कवि भी आते हैं। शहर के साहित्यकार अपनी किताब प्रकाशित होने के बाद एक प्रति इस लाइब्रेरी को भी देते हैं।

झारखंड की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है मुस्लिम लाइब्रेरी

बिष्टूपुर स्थित मुस्लिम लाइब्रेरी सबसे पुरानी और बड़ी लाइब्रेरी है। इसकी स्थापना 17 अप्रैल 1932 को हुई थी। लाइब्रेरी के लिए मुस्लिम अंसारी नामक व्यक्ति ने जमीन डोनेट की थी। इसके बाद ट्रस्ट बनाकर वहां लाइब्रेरी बनाई गई। उनके नाम पर ही इसका नाम मुस्लिम लाइब्रेरी पड़ा। मुस्लिम लाइब्रेरी में करीब 35 हजार किताबें हैं। खास बात यह है कि यहां झारखंड के सारे अखबारों के साथ ही करीब 25 अखबार प्रतिदिन आते हैं। इसके अलावा हर तरह की मैगजीन भी यहां उपलब्ध है। लाइब्रेरी में कुरान, गीता और बाइबल के साथ ही हर धर्म की धार्मिक पुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके अलावा यहां हर तरह की प्रतियोगी परीक्षा की किताबें भी उपलब्ध हैं। यहां बैठकर पढ़ाई करना नि:शुल्क है, जबकि किताब घर ले जाने के लिए 100 रुपये प्रति महीने के आधार पर शुल्क का भुगतान करना होता है।

मुस्लिम लाइब्रेरी का नया भवन बनाने की योजना पर चल रहा काम

मुस्लिम लाइब्रेरी भवन काफी पुराना हो चुका है। इस कारण अब इसमें सुधार की जरूरत भी महसूस की जा रही है। इसके लिए पुरानी बिल्डिंग को गिराकर नई बिल्डिंग का निर्माण होना है। यहां से किराएदारों को भी शिफ्ट करना होगा। इसमें बेसमेंट और बैंक्वेट हॉल भी बनाने की योजना है।

डीएम लाइब्रेरी और जगतबंधु पुस्तकालय सुविधाविहीन

इसी तरह साकची स्थिति एक पुरानी डीएम लाइब्रेरी अब बंद हो चुकी है। डीएम लाइब्रेरी के नए भवन का कुछ वर्ष पहले ही निर्माण हो चुका है, लेकिन अबतक इसे शुरू नहीं किया जा सका है। इस कारण इस क्षेत्र के पाठकों और बच्चों को परेशानी हो रही है। इसी तरह जुगसलाई स्थित जगतबंधु पुस्तकालय भी अक्सर बंद ही रहता है। ऐसे में लोगों को लाइब्रेरी की सुविधा नहीं मिल पा रही है।

समस्या

- शहर में लाइब्रेरी की कमी है। केवल दो ही चालू हालत में है। इससे अन्य जगह के पाठकों को दिक्कत होती है।

- दूर रहने वाले बच्चों को लाइब्रेरी की कमी के कारण परेशानी होती है।

- डीएम लाइब्रेरी बनने के बाद से बंद है। इस कारण साकची और आसपास के बच्चों को काफी परेशानी होती है।

- जुगसलाई क्षेत्र भी लाइब्रेरी से अछूता है। एकमात्र लाइब्रेरी भी सही तरीके से संचालित नहीं हो रही है।

- लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ी कई किताबों की कमी महसूस होती है। नए एडिशन की भी जरूरत है।

समाधान

- बनने के बाद से बंद साकची स्थित डीएम लाइब्रेरी को दोबारा चालू करने की जरूरत है, ताकि वहां परीक्षा की तैयारी करने वाले बच्चे और दूसरे पाठक जा सकें।

- जुगसलाई स्थित जगतबंधु सेवा सदन पुस्तकालय की व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है।

- शहर से सटे आस-पास के क्षेत्र के बच्चों और प्रबुद्ध लोगों के लिए लाइब्रेरी की सुविधा मुहैया करानी चाहिए।

- लाइब्रेरी में प्रतियोगी परीक्षा के लिए नए एडिशन की पुस्तकें उपलब्ध होने से बच्चों को तैयारी में सुविधा होगी।

- शहर में अत्याधुनिक और बड़ी लाइब्रेरी बननी चाहिए। जमशेदपुर जैसे शहर को इसकी जरूरत है।

लाइब्रेरी का नया भवन बनेगा। अस्थायी तौर पर दूसरी जगह शिफ्टिंग के लिए जगह की तलाश की जा रही है। अगर टाटा कंपनी से एक साथ दो-तीन क्वार्टर भी मिल जाए तो वहां इसे शिफ्ट किया जा सकता है। किराएदारों को भी शिफ्ट करना होगा। नई बिल्डिंग में बेसमेंट और बैंक्वेट हॉल के सााथ ही अन्य सुविधाएं भी होंगी।

-हिदायतुल्लाह खान, चेयरमैन, मुस्लिम लाइब्रेरी

पुस्तकालय में नामांकन नि:शुल्क है। विद्यार्थियों के लिए प्रति माह करियर काउंसिलिंग का आयोजन कर उनका डाउट क्लियर किया जाता है। यहां ई-लाइब्रेरी, शीतल पेयजल समेत अन्य सुविधा उपलब्ध है। सभी वर्गों के विद्यार्थी यहां स्व-अध्ययन कर सकते हैं।

- कौशिक दत्ता, पुस्तकालयाध्यक्ष, मास्टर सोबरन मांझी जिला पुस्तकालय

मुस्लिम लाइब्रेरी झारखंड की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है। यहां 35 हजार से ज्यादा किताबें उपलब्ध हैं। यहां हर धर्म से जुड़ी धार्मिक पुस्तकों के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ी किताबें भी हैं।

- गुलाम मुस्तफा

मैं मास्टर सोबरन मांझी लाइब्रेरी में नियमित आती हूं और विभिन्न पुस्तकों का लुत्फ उठाती हूं। मुझे इस पुस्तकालय में आना काफी पसंद है, क्योंकि शोरगुल से काफी दूर है।

- आरती कुमारी

प्रतिदिन यहां बच्चों के साथ ही दूसरे लोग भी आते हैं। यहां हमारे लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध है। किताबों की जरूरत होने पर एक पुस्तिका में दर्ज की जाती है और फिर ये पुस्तकें लाइब्रेरी में उपलब्ध कराई जाती है।

- अभिषेक शुक्ला

हमारे लिए यह लाइब्रेरी काफी सहयोगी है। यहां आकर हम अपनी जरूरत के हिसाब से पुस्तकें पढ़ सकते हैं। महंगी किताबें खरीदने की जरूरत नहीं होती।

- सूरज हेंब्रम

आजकल के बच्चे डिजिटल माध्यम पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, लेकिन लाइब्रेरी का महत्व अलग ही होता है। प्रशासन को नई लाइब्रेरी खोलने की दिशा में काम करना चाहिए।

- आकाश कुमार

सोबरन मांझी लाइब्रेरी में म्यूजियम जैसा अनुभाग बहुत अच्छा लगा। किताबों से जुड़ने का एक और जरिया है ये। शहर में ऐसी और जगहें होनी चाहिए।

- सुनैना कुमारी

डीएम लाइब्रेरी जैसी लाइब्रेरी बन तो गई, पर अबतक शुरू नहीं हुई। यह प्रशासन की लापरवाही है। हम जैसे छात्रों को ऐसी जगहों की जरूरत है।

- राजेश महतो

सोबरन मांझी लाइब्रेरी में पढ़ने का माहौल बहुत शांत है। यहां हर तरह की तैयारी के लिए किताबें उपलब्ध हैं। लेकिन शाम के समय बैठने की जगह कम पड़ जाती है।

- अमित महतो

शहर में युवाओं की संख्या बहुत है, लेकिन पढ़ने के लिए संसाधन सीमित हैं। डीएम और जगतबंधु लाइब्रेरी को फिर से शुरू किया जाना चाहिए।

- अमन हर्ष

हर साल पुस्तक मेले में हजारों लोग आते हैं, जिससे ये साफ है कि लोगों में किताबों के प्रति रुचि है। पर इस रुचि को बनाए रखने के लिए लाइब्रेरी का नेटवर्क मजबूत करना होगा।

- राहुल चंद्रा

शहर में लाइब्रेरी की काफी कमी है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए और पुराने लाईब्रेरी को अपग्रेड करना चाहिए।

- प्रिंस कुमार

कई लाइब्रेरी अपनी आखिरी सांसें गिन रहीं हैं, पर आज भी कई लोग इन्हीं पर निर्भर है। जल्द ही लाईब्रेरी के लिए कुछ करने की जरूरत है।

- राहुल कुमार महतो

हम लाइब्रेरी में ही आकर पढ़ते हैं। अब डिजिटल युग का जमाना है। लाइब्रेरी को भी डिजिटल करने की जरूरत है।

- ऋतु कुमारी

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