हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा भारत : ओम बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। अब देश न केवल अपने लिए रक्षा उपकरण बना रहा है, बल्कि उनका निर्यात भी कर रहा है। उन्होंने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी...

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि भारत आज हर क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। रक्षा के क्षेत्र में पहले जहां हथियार आयात किए जाते थे, वहीं अब देश न केवल अपने लिए रक्षा उपकरण बना रहा है, बल्कि उसका निर्यात भी कर रहा है। वे रविवार को जमशेदपुर में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के प्लेटिनम जुबली पर लोयोला स्कूल के फेसी ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह को संबोधित कर रहे थे। टाटा की दूरदर्शिता ने जमशेदपुर को आकार दिया अपने संबोधन में उन्होंने टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा को याद करते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता ने जमशेदपुर जैसे सुंदर, हरित और वैश्विक स्तर के औद्योगिक नगर को आकार दिया।
भारत की युवा शक्ति, बौद्धिक क्षमता और उद्यमशीलता से देश को आगे ले जा रही है। दुनिया की बड़ी कंपनियों में भारतीय सीईओ नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बड़े सपने देखने होंगे, तभी बड़ा बदलाव संभव है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें व्यापार और उद्योग के हित में नीतियां बना रही हैं। संवाद ही देश के विकास का आधार बनेगा। चैंबर विकास का खाका तैयार करे : अर्जुन मुंडा पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स उद्योग के क्षेत्र में विकास का खाका तैयार करे। इसके लिए सबको मिलकर काम करना होगा, तभी बेहतर परिणाम सामने आएगा। बेहतर काम करने का नतीजा है कि आज भारत ने जापान को पीछे छोड़ दिया है। भारत चौथी महाशक्ति बना : संजय सेठ केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री संजय सेठ ने कहा कि यह संयोग है कि आज हम सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स का प्लेटिनम जुबली समारोह मना रहे हैं और देश जापान को पीछे छोड़ चौथी आर्थिक महाशक्ति बन गया है। 2027 तक भारत दुनिया की तीसरी आर्थिक महाशक्ति बनेगा। एक देश, एक चुनाव भी देश की जनता की इच्छा है। चुनाव पर खर्च होने वाले पैसे से इंफ्रास्क्ट्रचर विकसित होगा। चैंबर से झारखंड आंदोलन को भी समर्थन मिला : विद्युतवरण महतो सांसद विद्युतवरण महतो ने कहा कि सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स ने झारखंड आंदोलन का भी समर्थन किया। आंदोलन के दौरान सुबह और रात के शिफ्ट में कल-कारखाने चालू रहते थे, ताकि मजदूरों का पलायन न हो और उद्योग चलते रहें। साथ ही आंदोलन भी जारी रहे।
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