JMM महाधिवेशन; असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल तक विस्तार का ऐलान, वक्फ ऐक्ट पर बड़ा बयान
झामुमो के दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन की शुरुआत सोमवार को रांची में हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में पार्टी ने राज्य के गांव-गरीब और आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के दो दिवसीय केंद्रीय महाधिवेशन की शुरुआत सोमवार को रांची में डॉ. भीमराव अंबेडकर प्रांगण में हुई। झामुमो कार्यकारी अध्यक्ष एवं मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अगुवाई में पार्टी ने राज्य के गांव-गरीब और आदिवासी समाज के अधिकारों की रक्षा का संकल्प लिया। महाधिवेशन में पार्टी की 108 पन्नों की सांगठनिक रिपोर्ट पेश की गई। विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जा रही है।
बदलाव का संकल्प
कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि झामुमो ने एक लंबा संघर्ष तय कर यह मुकाम हासिल किया है। अब पार्टी का लक्ष्य झारखंड के कोने-कोने तक बदलाव लाना है। हम जीवन और जीविका की रक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हैं।
निशाने पर भाजपा
झामुमो अध्यक्षीय समिति के सदस्य स्टीफन मरांडी ने कहा कि भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ राजनीतिक कुचक्र रचे, सीबीआई, ईडी और इनकम टैक्स जैसी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग किया। मनगढ़ंत आरोप लगाकर उन्हें राजभवन से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए काला अध्याय है। यह कार्रवाई संविधान और लोकतंत्र पर हमले के रूप में दर्ज रहेगी।
प्रवासी श्रमिकों का जिक्र
महाधिवेशन में झारखंड के प्रवासी मजदूरों की सकुशल वापसी, राज्य खजाने की स्थिति में सुधार और कोरोना काल में सरकार के प्रयासों को उपलब्धि के रूप में प्रस्तुत किया गया। हेमंत सोरेन ने कहा कि झारखंड मॉडल देशभर में उदाहरण बना है।
असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल पर नजरें
महाधिवेशन में घोषणा की गई कि झामुमो अब असम, ओडिशा और पश्चिम बंगाल की सीटों पर भी अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाएगा। असम में सूबे के प्रवासियों को संगठित कर चुनाव लड़ने की योजना है।
वक्फ पर राजनीतिक प्रस्ताव
वक्फ संशोधन अधिनियम पर विरोध जताते हुए महाधिवेशन में कहा गया कि इससे अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन हो रहा है। भूमि राज्य का विषय है, लेकिन केंद्र ने वक्फ संशोधन से पहले राज्य से सलाह नहीं ली। धर्म और जाति के नाम पर आतंक का वातावरण बनाया जा रहा है। झारखंड में इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए।
आदिवासी अधिकारों पर बल
झामुमो ने आदिवासी और मूलवासी समुदाय के भूमि अधिकारों की बात दोहराई। पार्टी ने ‘जल, जंगल, जमीन’ पर समुदाय के अधिकार को फिर से रेखांकित किया और भूमि वापसी अधिनियम बनाने, जंगल में रहने वालों को स्थायी पट्टा देने और परिसीमन के विरोध का ऐलान किया। पार्टी ने कहा कि प्रस्तावित परिसीमन की आड़ में जनजातियों के राजनीतिक प्रतिनिधित्व को कम करने की साजिश रची जा रही है।
लोकसभा चुनाव का लक्ष्य
महाधिवेशन में यह भी तय हुआ कि पार्टी पंचायत से लेकर लोकसभा तक हर स्तर पर भाजपा की असमानता और लोकतंत्र विरोधी नीतियों के खिलाफ लड़ेगी। 56 विधायकों की एकता को भाजपा की 56 इंच वाली राजनीति पर तीर के तौर पर बताया गया। महाधिवेशन का समापन 15 अप्रैल को होगा।