बोले पलामू : 55 करोड़ खर्च के बाद भी नहीं मिला नल से जल
पलामू जिले के पांकी कस्बे और आसपास के 48 गांवों में शुद्ध पेयजल की गंभीर समस्या है। जल जीवन मिशन के तहत करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद, पाइपलाइन में लिकेज और जलशोधन की कमी से पानी की आपूर्ति नहीं...
घनघोर नक्सलवाद से जूझकर बाहर निकले पलामू जिले के पांकी प्रखंड मुख्यालय कस्बा और 48 गांव में शुद्ध पेयजल अबतक नहीं मिल पा रहा है। जल जीवन मिशन की 55 करोड़ रुपये की लागत से योजना का क्रियान्वयन कराया गया है। पाइप लाइन में लिकेज, पानी की आपूर्ति से पहले शोधन और आम उपभोक्ताओं को पर्याप्त पानी की आपूर्ति से संबंधित परेशानी बरकरार है। इसके कारण उपभोक्ता परेशान है। हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू अभियान के दौरान पांकी निवासी उपभोक्ताओं ने पेयजल संकट से जुड़ी परेशानियों को साझा किया और निदान की मांग की। मेदिनीनगर, प्रतिनिधि। पलामू जिला प्रत्येक गर्मी में गंभीर जल-संकट से जूझता है। गर्मी बढ़ने के साथ इस वर्ष भी जलसंकट गहराने लगा है। जिले में विकास की दौड़ में काफी पीछे छूट गए पांकी प्रखंड का मुख्यालय कस्बा क्षेत्र का बड़ा बाजार है। इस कस्बे की आबादी लगातार बढ़ रही है। इसके कारण भूमिगत जलस्तर पर दबाव बढ़ा है और प्रत्येक गर्मी में जल-संकट बढ़ जाता है।
पांकी कस्बे के निवासी और आसपास के गांव के लोगों को पाइप लाइन से जलापूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बहुग्राम जलापूर्ति योजना का निर्माण करवाया गया है। इनटेक वेल अमानत बराज के अपस्ट्रीम में बनाया गया है जबकि जलशोधन प्लांट हरैया गांव में बनाया गया है। तीन जलमीनार बनाया गया जिसमें चोरहा में 2.6 लाख, सोरठ में 8.6 लाख और माड़न में 12.6 लाख लीटर क्षमता का जलमीनार बनाया गया है जहां से प्रत्येक घर को जलापूर्ति की जानी है, परंतु निर्माण के एक साल बाद भी योजना का समुचित लाभ आम ग्रामीणों को नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण जनता में काफी क्षोभ है।
मेदिनीनगर-पांकी-बालूमाथ स्टेट हाइवे के निर्माण से पांकी कस्बा बेहतरीन सड़क से जुड़ गया है और मेदिनीनगर की तुलना में रांची के ज्यादा करीब हो गया है। यहां से रांची के लिए सीधी बस सेवा भी उपलब्ध है। नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण के बाद पांकी कस्बे में कारोबार भी काफी बढ़ा है। यह कस्बा अब नगर निकाय बनने की ओर तेजी से अग्रसर है। पांकी में शुक्रवार को बाजार लगता है। इस दिन काफी संख्या में लोग खरीद-बिक्री के लिए जुटते हैं। पांकी कस्बा का तेजी से विस्तार अमानत नदी के बांए तटीय क्षेत्र में हो रहा है। इसके कारण बुनियादी सुविधाओं की मांग ग्रामीण क्षेत्र में भी तेजी से बढ़ी है। परंतु पानी की समस्या से दूर नहीं होने के कारण आम परिवार परेशान रहता है।
हिन्दुस्तान अखबार के साथ चर्चा के क्रम में पांकी और आसपास के 48 गांव के लोगों ने कहा कि बहुग्राम जलापूर्ति योजना का निर्माण शुरू होने से उनमें काफी उत्साह था। गत वर्ष योजना बनकर तैयार होने से सर्वाधिक खुशी ग्रामीणों को हुई थी परंतु ट्रायल एवं मरम्मत कार्य सालभर चलने के बावजूद परेशानी दूर नहीं होने और आच्छादित गांव के सभी परिवारों को पाइप लाइन से जलापूर्ति नहीं होने से आम जनता में निराशा बढ़ रही है। गर्मी तेज होने से जल-संकट गहराने लगा है जिससे आम नागरिकों का क्षोभ काफी बढ़ रहा है। ग्रामीणों ने कहा कि 400 फीट बोर कराने के बाद भी पानी नहीं मिल पा रहा है। यह परेशानी का सबब बनता जा रहा है। गर्मी में लोगों को अन्य जलस्रोत पर निर्भर रहना विवशता है।
मानक के अनुसार नहीं डाला जाता है केमिकल
बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना पांकी के जलसोधन संयंत्र में नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए मानक के अनुसार फिटकरी, चूना, ब्लीचिंग पाउडर और क्लोरिन नहीं डाला जाता है। शुद्ध पेयजल के नाम पर लोगों को गुमराह किया जा रहा है। पानी शुद्ध करने के लिए नाममात्र के केमिकल का उपयोग किया जाता है। योजना का लाभ ले रहे परिवारों को नदी का पानी ही आपूर्ति कर दिया जा रहा है। विभाग को पर्याप्त मात्रा में केमिकल उपलब्ध कराना चाहिए। जिससे पानी को पूरी तरह शुद्ध किया जा सके जिससे ग्रामीणों को शुद्ध पानी मिले।
पाइपलाइन क्षतिग्रस्त होने से बहता है पानी
पांकी बहुग्राम जलापूर्ति योजना में पाइप लाइन टूट जाने, पानी बेकार में बह जाने आदि की भी समस्या आ रही है। आच्छादित गांव के निवासियों ने कहा कि एक तरफ लोग परेशानी के लिए परेशान हैं दूसरी तरफ पानी बर्बाद हो रहा है। योजना के निर्माण में डीपीआर का अनुपालन नहीं किया गया है। पाइप पर्याप्त गहराई में नहीं बिछाई गई है। इसके कारण परेशानी खत्म होने की जगह लगातार बढ़ती जा रही है। अबतक पांकी बहुग्राम जलापूर्ति योजना लक्ष्य की तुलना में असफल साबित हो रहा है। विभाग को इस ओर ध्यान देने की जरूरी है। साथ ही गर्मी में लोगों को पानी की किल्लत न हो इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की जरूरत है।
गर्मी में सूख जाती है नदी
पांकी में शुद्ध पेयजल के लिए बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना तो स्थापित कर दिया गया लेकिन उसके लिए सालों भर पानी कहां से मिलेगा? इसकी उपलब्धता सुनिश्चित नहीं किया गया है। अमानत बराज के भरोसे इंटकवेल का निर्माण किया गया है लेकिन नदी में पानी नहीं होने पर पानी की सप्लाई नहीं हो पाता है। इसके लिए जरूरी है जल्द से जल्द अमानत बराज के अधूरे काम को पूरा किया जा सके। नदी से पानी नहीं मिलने के स्थिति में वैकल्पिक व्यवस्था अबतक नहीं की गई है। इसके कारण जलापूर्ति ठप हो जाता है। जलापूर्ति के लिए पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को तत्परता दिखाने की जरूरत है।
जलसंकट से विकास बाधित
पलामू जिला मुख्यालय सिटी मेदिनीनगर से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पांकी की पहचान एक संवेदनशील कस्बा सह प्रखंड की रही है। दशक भर पहले सूर्यास्त होते ही रास्ते विरान हो जाते थे। आकस्मिक स्थितियों को छोड़कर लोग घर से नहीं निकलते थे। अब सुरक्षा का माहौल बदला है और पांकी कस्बा तेजी से आगे बढ़ रहा है। परंतु बुनियादी सुविधाओं की अभी घोर अभाव है। लोगों स्वच्छ पेयजल ही नहीं मिल पा रहा है। बहुग्राम जलापूर्ति योजना के क्रियान्वयन में हुई अनियमितता के कारण सभी परिवारों को अभी तक लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसका नकारात्मक प्रभाव विकास पर भी पड़ रहा है।
समस्याएं
1. बहुजल आपूर्ति योजना से 48 गांव में जलापूर्ति करना है लेकिन सभी को कनेक्शन मिला है।
2. पानी फिल्टर के लिए जल शोधन संयंत्र में मानक के अनुसार आपूर्ति नहीं हो रही है।
3. पांकी के लोगों को बहु-ग्रामीण जलापूर्ति योजना से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा।
4. इंटकवेल निर्माण अमानत नदी में बराज के अपस्ट्रीम में है, नदी में पानी नहीं होने से आपूर्ति ठप।
5. भूमिगत जलस्तर गिरने से परेशान लोग डीप बोर कराने के लिए विवश हो रहे हैं।
सुझाव
1. पांकी के गांव के प्रत्येक परिवार को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति सुनिश्चित किया जाए।
2. नदी के पानी को फिल्टर करने के लिए ट्रीटमेंट प्लांट में मानक का पालन सुनिश्चित हो।
3. पेयजल की आपूर्ति रोजाना सुनिश्चित हो, ताकि लोगों को पानी के लिए भटकना न पड़े।
4. पांकी के अमानत बराज के अधूरे काम को जल्द से जल्द पूरा किया जाए।
5. पांकी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना के अधूरे काम को शीघ्रता से पूरा किया।
ग्रामीणों ने कहा- गर्मी से पहले योजना का मिले लाभ
पांकी बहु ग्रामीण जलापूर्ति योजना से आच्छादित परिवार को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करने में विभाग अबतक विफल रहा है। इस योजना में केवल खानापूर्ति किया गया है। -श्रवण दुबे
नल जल योजना से पाइपलाइन घर तक पहुंचा दिया गया है लेकिन आज तक पानी नहीं आया है। जनप्रतिनिधि और अधिकारियों से शिकायत करने के बाद भी कोई
पहल नहीं हुआ। -राजकुमार यादव
पेयजल के लिए लगाया गया पाइपलाइन टूटने लगा है। लगातार पानी बाहर बहता रहता है। संवेदक ने पाइपलाइन कनेक्शन के लिए भी लोगों से पैसे की वसूली किया है। -जयकिशोर प्रसाद
नल से जल के लिए सड़कों के किनारे वाले गांव में कुछ ही लोगों को कनेक्शन लगाया है। गांव के अंदर वाले घरों में कनेक्शन नहीं दिया गया है। सप्ताह में ए- दो बार ही पानी मिलता है। -कृष्ण ठाकुर
पांकी को शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए करोड़ों खर्च कर दिया गया है। लेकिन संवेदक केवल खानापूर्ति करके छोड़ दिया है। विभाग भी सक्रिय नहीं है। अधूरा काम किया गया है। -छोटू शर्मा
पानी नियमित नहीं आता है, घरों में केवल कनेक्शन दिया गया है। जलकर भी वसूला जाने लगा है। कहीं-कहीं बेकार पानी बहते रहता है। विभाग उसे देखने तक नहीं आता है। -सौरभ कुमार सिंह
पाइपलाइन से पानी बहुत कम मिल रहा है। शुद्ध जल नहीं मिल रहा है। पानी फिल्टर करने के लिए जलशोधन संयंत्र में एलम, चूना और ब्लीचिंग पाउडर भी पर्याप्त मात्रा में नहीं डाला जाता है। -मनोज कुमार दुबे
लोगों को शुद्ध जल के नाम पर मूर्ख बनाया गया है। केवल विभाग और संवेदक पैसों का बंदरबाट कर लिया है। पांकी को शुद्ध जल सपना ही रह गया है। पांकी के जनता प्यासी ही रह गई है। -रामचन्द्र सिंह
सरकार की योजना को विभाग ने धरातल पर नहीं उतार पाया। बाहरी संवेदक को पांकी के लोगों का दुख कैसे समझ सकता है? जरूरत वाले लोगों को पानी नहीं मिल रहा है। -जीतन भुईयां
गांव में कनेक्शन कर दिया है लेकिन पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिलता है। पानी का स्वाद से पता चलता है कि पानी बिना शुद्ध किए हुए सीधे गांवों में आपूर्ति कर दिया जा रहा है। -अवध बिहारी ओझा
पीने के लिए शुद्ध जल की समस्या भयावह बना हुआ है। गर्मी आ गई है। चापाकल, बोरिंग सूखने लगे है। इस स्थिति में बहु जलापूर्ति योजना का लाभ नहीं मिलने चिंता बढ़ रही है। -पंकज कुमार शर्मा
चापाकल सूखने लगा है। पानी के लिए घर से दूर जाना पड़ता है। बहु जलापूर्ति योजना से भी गांव में कनेक्शन नहीं दिया गया है। पानी के लिए 500 मीटर दूर जाना पड़ता है। -बिंदु राम भुईयां
इनकी भी सुनिए
पानी टंकी से दूर तक पाइपलाइन बिछा दिया गया है। हालात यह है कि टंकी के करीब वाले गांव में भी कनेक्शन नहीं दिया गया है और पानी आपूर्ति भी नहीं हो रहा है। लोग पानी के लिए परेशान हैं। भूमिगत जल का स्तर गिरने से चापाकल व बोरिंग भी डेड हो रहे हैं। - विजय सिंह
छूटे हुए गांव में भी कनेक्शन देने का काम चल रहा है। पानी के लिए इंटकवेल से पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं मिल रहा। एक साल से ट्रायल एंड मेंटेनेंस चल रहा है। काम पूरा होने के बाद इसे समिति को सौंपा जाएगा। - राजेश कुमार सिंह, सहायक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, पलामू
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