बोले रामगढ़: बोले लोग,दो जिलों के झमेले से निकालो, रामगढ़ में मिलाओ
People said, get rid of the hassle of two districts and merge them with Ramgarh
केदला। रामगढ़ जिला अंतर्गत मांडू प्रखंड में पिंडरा पंचायत है। इसकी आबादी लगभग 13 हजार होगी। इस पंचायत में रहने वाले लोगों का कोई भी सरकारी प्रमाण पत्र नहीं बनता है। इसका मुख्य कारण यह है कि पंचायत तो जरुर रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड में है। लेकिन थाना चरही पड़ता है जो हजारीबाग जिला में है। जिसके कारण जब भी कोई वेरीफिकेशन करने पुलिस आती है तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। पंचायत आज भी सराकरी उपेक्षा का शिकार है। हिन्दुस्तान के बोले रामगढ़ टीम से यहां के लोगों ने अपनी परेशानी साझा की। रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड अंतर्गत पिंडरा पंचायत है।
जिसकी कुल आबादी लगभग 13 हजार होगी। इस पंचायत में सीसीएल की कोयला खदाने भी चलती है जिसके राजस्व से प्रदेश और देश प्रगति के कई इबादतें लिख रही है। लेकिन यहां रहने वाले ग्रामीणों का सुध लेने वाला कोई नहीं है। इस पंचायत में रहने वाले लोगों का जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, आचरण प्रमाण पत्र, पासपोर्ट आदि सरकारी कागजात नहीं बनता है। यह पंचायत तो जरुर रामगढ़ जिला के मांडू प्रखंड में है। लेकिन थाना चरही पड़ता है जो हजारीबाग जिला में है। जिसके कारण जब भी कोई वेरीफिकेशन करने पुलिस आती है तो उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्योंकि सभी का आधार कार्ड में पंचायत पिंडरा, प्रखंड मांडू और जिला रामगढ़ लिखा होता है। झारखंड राज्य को बने लगभग 25 वर्ष होने को है। दो अगस्त 2000 को भारत की संसद ने बिहार पुनर्गठन विधेयक पारित कर झारखंड राज्य का निर्माण किया था। जिसके तहत 15 नवंबर 2000 को बिहार से 18 जिले के साथ झारखंड राज्य बना। जब बिहार से यह राज्य अलग बना तो यहां के लोगों ने नए प्रदेश के नयी सरकार से बहुत सारी उम्मीदें लगा रखी थी। आज झारखंड में जिलों की संख्या 18 से बढ़कर 24 हो गया है। इन्ही जिलों में से एक जिला है रामगढ़। 12 सितंबर 2007 को हजारीबाग को काटकर रामगढ़ को जिला बनाया गया। जिसमें रामगढ़, गोला, मांडू और पतरातू ब्लॉक शामिल थे। दुलमी और चित्तरपुर ब्लॉक बाद में बनाए गए। इसका उद्घाटन झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने किया था। यह समस्या जब से रामगढ़ जिला बना है तब से लोगों को हो रहा है। वहीं पंचायत के आस पास कोयला खदान होने के कारण यहां पानी की बहुत बड़ी समस्या है। खुली खदान होने के कारण पानी का लेयर नीचे चला गया है। सरकारी चापानल के लिए जो बोरिंग होता है वह 180-200 फीट होता है। वहीं दूसरी ओर सीसीएल की खदानें 300-400 फीट गहरी है। एसे में चापानल और कुआं का पानी का लेयर स्वाभाविक रुप से नीचे चला जाता है। गर्मी आते ही चापानल और कुआं दोनो जवाब दे देते हैं। वहीं पंचायत में एक भी जल मिनार नहीं है। सरकार की हर घर नल जल योजना भी आज तक यहां नहीं पहुंची है। वहीं पिंडरा पंचायत में पिंडरा, उल्हारा, बरशम और रौता चार गांव है जो रोड और पानी के लिए बेहाल है। सबसे बुरा हाल रौता गांव का है जो चरही-केदला मुख्य मार्ग से लगभग सात किमी की दूरी पर है। यहां की आबादी लगभग 1200 होगी। यह आदिवासी बहुल गांव है। आजादी से लेकर आज तक गांव के लिए सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। इस सड़क के बनने से कीमो, हरली, बसबनवा, लुकैया, डुमरबेडा आदि गांव के लोग जुड़ जाएंगे। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीणों को बरसात में होता है। यहां के रहने वाले ग्रामीणों के कमाई का मुख्य श्रोत है मजदूरी। वहीं जंगल में फलने वाले मुहआ, केंद, पियार और दातुन भी इनके कमाई का एक सहारा बनता है। खेती बारी इनके पास बहुत कम है। जो है उसमें थोड़ा बहुत लोग धान और मकई का फसल लगाते हैं। ग्रामीण आज भी मुलभूत सुविधाओं से महरुम हैं। इनकी आर्थिक मजबूरी इन्हें आगे बढ़ने से रोक देती है। सोलर जलमीनार बना दूर की जा सकती है पानी की समस्या पिंडरा पंचायत में पानी की समस्या भी बरकरार है। पंचायत के वैसे गांव जो सीसीएल की खदानों के आस पास में है। वहां के ग्रामीण लोगों को पीने की पानी की सबसे बड़ी समस्या है। पीने के पानी का कोई व्यवस्था नहीं है। यहां के लोग गांव के आस पास बहने वाले नदी नाला पर आश्रित हैं। पानी को लेकर सबसे ज्यादा परेशानी लोगों को गर्मी के समय झेलना पड़ता है। सोलर जलमीनार से समाधान संभव है। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए एक हाई स्कूल की है जरुरत अभिभावकों को अपने बच्चों को बाहर पढ़ने के लिए भेजने में सुरक्षा को लेकर चिंता लगी रहती है। बच्चियों को लेकर उनकी चिंता ज्यादा रहती है। लोगों का कहना है कि आज कल के बच्चे कब, कहां, कैसे किस समस्या में पड़ जाएं कहना मुश्किल है। क्योंकि बच्चों के उपर अभिभावक का नजर नहीं होता है। कहीं जाने अंजाने कोई गलती कर जाते हैं तो उसकी सजा सिर्फ वही नहीं पूरा परिवार को भुगतना पड़ता है। पंचायत के दो गांव रामगढ़ और तीन हजारीबाग में आते हैं पंचायत के दो गांव और सीसीएल की प्रेमनगर कॉलोनी है। जिसमें रौता और बरसम गांव रामगढ़ जिला के घाटो ओपी क्षेत्र में आता है। वहीं पंचायत पिंडरा, उल्हारा और प्रेमनगर कॉलोनी चरही ओपी के हजारीबाग जिला में आता है। यह समस्या रामगढ़ जिला बनने के बाद परिसीमन के कारण हुआ है। अधिनियम के अनुसार संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाओं को निर्धारित करता है। प्रमाणपत्र नहीं बनने से पिछड़ गए कई लोग पिंडरा पंचायत के मुखिया देवलाल चौहान ने बताया कि प्रशासनिक महकमों की गैर जिम्मेदाराना रवैये के कारण आज हमारे पंचायत के कई युवक और युवतियों का प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण उनका भविष्य खराब हो गया। आज पिंडरा पंचायत में विकास का कार्य रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड से होता है। लेकिन पुलिस का कार्य चरही थाना से संचालित होता है। कोई भी घटना दुर्घटना होने पर चरही थाना में मामला दर्ज होता है। जब पंचायत के लोगों को जन्म प्रमाण पत्र, मृत्यु प्रमाण पत्र, आचरण प्रमाण पत्र, पासपोर्ट बनाने के लिए वेरीफिकेशन की बारी आती है तो चरही पुलिस साफ अपना पल्ला झाड़ते हुए कहती है कि यह कार्य मांडू थाना या वेस्ट बोकारो ओपी करेगा। प्रदूषण से परेशान हैं पिंडरा के लोग यहां रहने वाले ग्रामीणों ने बताया कि पास में ही सीसीएल हजारीबाग कोयला क्षेत्र की तापिन नॉर्थ परियोजना खुली खदान चलता है। इस खदान में प्रबंधन ने दो क्रशर मशीन लगाए हुए है। इस क्रशर से कोयला को तोड़ने का काम किया जाता है। इस दौरान व्यापक पैमाने पर उड़ने वाला कोयला का धूलकण हमारे घरों में ही नहीं हमारे सांसो के माध्यम से शरीर के अंदर भी जा रहा है। इससे लोगों में कई तरह की बिमारी भी हो रही है। एक ही पंचायत में कुछ कार्य रामगढ़ और कुछ कार्य हजारीबाग में होने से ग्रामीणों को परेशानी होती होगी। यह मुद्धा प्रदेश स्तर का है। अधिकारियों से बात कर समाधान करने का प्रयास करुंगा। गांव के विकास के लिए सड़क एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सड़क को जल्द बनवाने का काम किया जाएगा। -मनीष जयसवाल, सांसद, हजारीबाग लोकसभा यह समस्या मांडू प्रखंड के बुमरी, मंझला चुंबा, बड़का चुंबा, मनुआ फुलसराय, हेसला में भी था। पिछले दिनों इन सभी पंचायतों को रामगढ़ और मांडू थाना में लाने का काम किया हूं। अगली विधानसभा सत्र के दौरान इस पर चर्चा कर तापिन और पिंडरा पंचायत को भी रामगढ़ जिला के मांडू थाना क्षेत्र में लाने का काम किया जाएगा। -निर्मल उर्फ तिवारी महतो, विधायक मांडू विस क्षेत्र सड़क, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, बेरोजगारी सहित कई अन्य समस्याएं है। समस्याओं को दूर करने के लिए धरातल पर आना होगा। -बिनोद सिंह पंचायत में सीसीएल की तापिन नॉर्थ उत्खनन परियोजना कोलियरी चलती है। इससे उड़ने वाला धूलकण से यहां के ग्रमाीण परेशान है। -राजकुमार साव गांव तक पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा की व्यवस्था देना सरकार की जिम्मेवारी है। सिर्फ वोट लेने से काम नहीं चलेगा। -रमेश सोरेन जनता ठगा सा महसूस करती है। इसका मुख्य कारण है सरकार की नीति। नीति और नियत साफ रहने से जनता खुशहाल रहती है। -राजेद्र प्रजापति पिंडरा पंचायत दो थाना के बीच में बंटा हुआ है जिसका नुकसान यहां के लोगों को उठाना पड़ रहा है। पदाधिकारी पहल करें। -जितेंद्र कुमार पीने के पानी की बहुत समस्या है। लोग बोतल का पानी खरिद कर पीते हैं। सीसीएल से मिलने वाला पानी सिर्फ नहाने धाने का काम आता है। -विकास कुमार देश के कोने कोने से यहां काम करने लोग आते हैं। लेकिन यहां के ग्रामीण बच्चों को पढ़ने के लिए एक उच्च विद्यालय नहीं है। -राजकुमार चौहान पंचायत में कई विद्यालय हैं जिसमें पहली से लेकर पांचवी तक की पढ़ाई होती है। लेकिन इन विद्यालयों में शिक्षकों का अभाव है। -प्रभु रविदास यहां रहने वाले लोगों को प्रमाण पत्र से लेकर पासपोर्ट तक बनाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। -सुबाश चौहान कई ऐेसे गांव है जहां आजादी से लेकर आज तक सड़क का निर्माण नहीं हुआ है। सड़क किसी भी क्षेत्र के लिए विकास का मुख्य स्रोत है। -संजय चौहान सुदूर गांव तक राज्य सरकार सुविधा नहीं पहुंचा पाई है। मानिंदो को धरातल पर उतर कर सच्चाई से अगवत होना होगा। -देवलाल चौहान, मुखिया, पिंडरा
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