मुख्य सचिव ने झारखंड के लिए विशेष पैकेज पर दिया जोर
झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने 16वें वित्त आयोग की बैठक में राज्य के आर्थिक व संरचनात्मक चुनौतियों को उजागर किया। उन्होंने बताया कि झारखंड को विशेष दर्जा नहीं मिला है और वामपंथी उग्रवाद भी विकास...

रांची। हिन्दुस्तान ब्यूरो झारखंड की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने शुक्रवार को रांची में आयोजित 16वें वित्त आयोग की बैठक में राज्य के समक्ष मौजूद आर्थिक व संरचनात्मक चुनौतियों को प्रमुखता से रखा। उन्होंने बताया कि झारखंड का गठन वर्ष 2000 में वित्तीय दायित्वों के साथ हुआ था, लेकिन केंद्र सरकार द्वारा राज्य को न तो विशेष श्रेणी का दर्जा दिया गया और न ही कोई विशेष पैकेज। साथ ही राज्य वामपंथी उग्रवाद से भी जूझ रहा है, जो विकास को प्रभावित करता है। राज सरकार की ओर से राजस्व वृद्धि के प्रयासों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि वर्ष 2019-20 से 2025-26 के बीच टैक्स और नॉन-टैक्स राजस्व में 16.5% की वृद्धि दर्ज की गई है।
नीति आयोग के राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक 2025 में झारखंड 18 सामान्य श्रेणी के राज्यों में चौथे स्थान पर है। मुख्य सचिव ने वित्त आयोग से 50 प्रतिशत वर्टिकल डेवोल्यूशन की मांग करते हुए, हॉरिजांटल डेवोल्यूशन के फॉर्मूले में जनसंख्या, विकसित राज्यों से आय का अंतर, वन क्षेत्र और जीएसटी क्षति जैसे कारकों को शामिल करने की सिफारिश की। स्थानीय निकायों को मिले अधिक अधिकार मुख्य सचिव ने पंचायती राज संस्थाओं और स्थानीय निकायों को अधिक लोकतांत्रिक अधिकार और अनुदान दिए जाने की वकालत की। भारत को वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रत्येक राज्य का समावेशी विकास जरूरी है और झारखंड इस दिशा में निर्णायक भूमिका निभा सकता है, यदि उसे उसके संसाधनों के अनुरूप न्यायोचित हिस्सा मिले। झारखंड को उसका समुचित लाभ नहीं मिल रहा मुख्य सचिव ने अपने उद्बोधन में झारखंड को 'बहुतायत के विरोधाभास' और 'प्राकृतिक संसाधनों के अभिशाप' का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि राज्य के कुल भूभाग का 30 प्रतिशत हिस्सा वनों से आच्छादित है, जिससे बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पर्यावरणीय स्वीकृति की जटिल प्रक्रिया के कारण विलंबित होती हैं और लागत बढ़ती है। खनिज संसाधनों से समृद्ध राज्य होने के बावजूद, झारखंड को उसका समुचित लाभ नहीं मिल रहा है। उन्होंने जीएसटी प्रणाली पर भी सवाल उठाते हुए बताया कि उपभोक्ता राज्यों को लाभ पहुंचने के कारण झारखंड जैसे उत्पादक राज्यों को वर्ष 2025-26 से 2029-30 तक लगभग ₹61,677 करोड़ का नुकसान हो सकता है। राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव मुख्य सचिव ने यह भी रेखांकित किया कि राज्य की 39 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और आदिम जनजातियों से संबंधित है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य जैसे सामाजिक सूचकों पर काफी पिछड़ी हुई है। राज्य सरकार महिला सशक्तिकरण और समतामूलक विकास के लिए 'मंईयां सम्मान योजना' जैसी कई योजनाएं चला रही हैं, जिससे राज्य पर अतिरिक्त वित्तीय दबाव है।
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