भूमि सर्वेक्षण के काम को तेजी से आगे बढ़ाएं : हाईकोर्ट
अदालत में मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी, तकनीक के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश

रांची, संवाददाता। राज्य में हो रहे भूमि सर्वेक्षण को लेकर गोकुल चंद द्वारा दायर जनहित याचिका पर मंगलवार को झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव व जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने राज्य सरकार को बिहार समेत तीन राज्यों के साथ भूमि सर्वेक्षण तकनीक के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में तेजी लाने और भूमि सर्वेक्षण के काम को तेजी से आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी। सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार ने कोर्ट को बताया कि भूमि सर्वेक्षण के लिए तीन टीमें बिहार, आंध्र प्रदेश व कर्नाटक से तकनीक सीख रही हैं।
पिछले दिनों एक टीम कर्नाटक गई थी, जिसने आंध्र प्रदेश में एक सम्मेलन में भाग लिया और तकनीक को अपडेट करने के बारे में जानकारी ली। इसके अलावा दो अन्य टीमें बिहार व कर्नाटक से भूमि सर्वेक्षण की नई तकनीक सीखेंगी। जिससे झारखंड में भी भूमि सर्वेक्षण की तकनीक अपग्रेड होगी और भूमि सर्वेक्षण के काम में तेजी आएगी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रत्यूष शौनिक्य ने पक्ष रखा। दरअसल पिछली सुनवाई में झारखंड सरकार ने कोर्ट को बताया था कि झारखंड में वर्तमान में भूमि सर्वेक्षण के लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है, वह काफी पुरानी है, इसलिए भूमि सर्वेक्षण पूरा करने में परेशानी हो रही है। इस पर कोर्ट ने भूमि राजस्व सुधार विभाग के प्रधान सचिव को हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा था कि भूमि सर्वेक्षण पूरा करने के लिए अमीन व अन्य कर्मियों की नियुक्ति कब होगी। साथ ही भूमि सर्वेक्षण के लिए पुरानी तकनीक को कब उन्नत किया जाएगा। इससे पहले खंडपीठ ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से पूछा था कि झारखंड में भूमि सर्वेक्षण का काम कब पूरा होगा। समय पर भूमि सर्वेक्षण पूरा होने से सरकारी जमीन के साथ-साथ आम लोगों की जमीन की सुरक्षा संभव हो सकेगी।
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