अवैध प्रमाण पत्र पर बहाल करीब 800 पारा शिक्षकों को हटाने की कार्रवाई नहीं, विभाग नाराज
झारखंड में लगभग 800 पारा शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्र मान्यता प्राप्त नहीं हैं। शिक्षा विभाग ने ऐसे शिक्षकों को हटाने और कार्रवाई का निर्देश दिया है, लेकिन किसी जिले से रिपोर्ट नहीं आई है। शिक्षा...

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। झारखंड के पारा शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्र की मान्यता नहीं होने के बाद भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। उत्तर प्रदेश के कई संस्थानों की डिग्री की मान्यता नहीं है, बावजूद इसके उन संस्थानों के प्रमाणपत्रों पर राज्य में करीब 800 पारा शिक्षक कार्यरत हैं। स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने ऐसे पारा शिक्षकों को सेवा से हटाने और कार्रवाई का निर्देश दिया था, लेकिन किसी भी जिले से इसकी रिपोर्ट नहीं आई है। इस पर शिक्षा विभाग ने नाराजगी जताई है। शिक्षा विभाग ने 12 अप्रैल तक की टाइमलाइन दी है और कार्रवाई की रिपोर्ट मांगी है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक एचडी तिग्गा ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी व जिला शिक्षा अधीक्षक को निर्देश दिया है कि प्रयाग महिला विद्यापीठ इलाहाबाद, भारतीय शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश, राजकीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश, हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद और हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग के प्रमाण पत्र वैध नहीं हैं। इस संबंध में सभी जिलों से इन संस्थानों से डिग्री के आधार पर बहाल पारा शिक्षकों पर कार्रवाई करने को कहा गया था। साथ ही, कार्रवाई की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया था। अभी तक जिलों की ओर से रिपोर्ट नहीं आई है, जो खेदजनक है। जिले झारखंड सहायक अध्यापक सेवाशर्त नियमावली के तहत कार्रवाई करना सुनिश्चित करें। सभी जिलों को संबंधित पारा शिक्षक के नाम, स्कूल और कोटि की पहली से पांचवीं के या फिर छठी से आठवीं में कार्यरत हैं, उसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही, संबंधित संस्थान का नाम जहां से उन्होंने डिग्री ली और वह मैट्रिक, इंटरमीडिएट या फिर बीए की है, इसकी भी रिपोर्ट देनी होगी। राज्य के पारा शिक्षकों के शैक्षणिक व प्रशैक्षणिक प्रमाणपत्रों के सत्यापन के दौरान संबंधित संस्थानों व बोर्ड की डिग्री वैध नहीं होने का पता चला था।
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