Eid al-Adha Celebration Significance and Preparations for Upcoming Festival उत्साह: दिखा चांद , सात जून को मनाई जाएगी बकरीद माम, हबीबपुर मस्जिद, Sahibganj Hindi News - Hindustan
Hindi NewsJharkhand NewsSahibganj NewsEid al-Adha Celebration Significance and Preparations for Upcoming Festival

उत्साह: दिखा चांद , सात जून को मनाई जाएगी बकरीद माम, हबीबपुर मस्जिद

साहिबगंज में बकरीद (कुर्बानी) 7 जून को मनाई जाएगी। चांद देखने के बाद लोग बकरों की खरीदारी में जुट गए हैं। बाजार में 10 हजार से 40 हजार तक के बकरे उपलब्ध हैं। कुर्बानी का सिलसिला हजरत इब्राहीम और हजरत...

Newswrap हिन्दुस्तान, साहिबगंजThu, 29 May 2025 01:22 AM
share Share
Follow Us on
उत्साह: दिखा चांद , सात जून को मनाई जाएगी बकरीद माम, हबीबपुर मस्जिद

साहिबगंज। त्याग व बलिदान का त्योहार बकरीद (कुर्बानी) आगामी सात जून को मनाई जाएगी। बुधवार को बकरीद का चांद देखा गया है। यह त्योहार हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल की याद में मुस्लिम समुदाय के लोग मनाते हैं। उधर, चांद देखने के बाद यहां लोग बकरे की खरीदारी में जुट गए हैं। साहिबगंज गोड़ाबाड़ी हाट, बरहेट, बोरियो, पीरपैंती, कालियाचक, उधवा आदि हाट में बकरे का बाजार गर्म है। लोग उमदा से उमदा(अच्छा) बकरे की खरीदारी कर रहे हैं। कोई बकरे की खूबसूरती पर बोली लगा रहे हैं तो कोई फिटनेश पर। इस बार बाजार में 10 हजार से लेकर 40 हजार तक के बकरे उपलब्ध है।

लोगों का कहना है कि बकरीद तक अभी तीन साप्ताहिक हाट बाकी है। इसमें दो गुरुवार व एक रविवार का हाट होगा। हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम की याद में दी जाती है कुर्बानी कुर्बानी हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम की याद में कुर्बानी दी जाती है। मौलानाओं के अनुसार कुर्बानी का सिलसिला हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम के जमाने में शुरू हुई है। उन्हीं की याद में कुर्बानी यानि की बकरीद मनाई जाती है। मौलाना ने बताया कि अल्लाह के हुक्म पर हजरत इब्राहीम अलैहिस्लाम ने अपने एकलौते बेटे को कुर्बान करने के लिए फौरन तैयार हो गए थे। लेकिन यह अल्लाह की तरफ से महज आजमाईस थी। मौलाना के अनुसार कुर्बानी अल्लाह का हुक्म है। जबकि हजरत इब्राहिम अलैहिस्लाम व पैगंबर मोहम्मद साहब की सुन्नत है। बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के साल का आखिरी महीना है। इसे जिल हिज्जा भी कहा जाता है। मौलाना ने कहा कि इसमें रोजा रखने का भी एक अलग महत्व है। इस महीने के 10 तारीख तक हज भी होता है। कुर्बानी देने वालों के लिए खास हिदायत मौलानाओं के अनुसार कुर्बानी अल्लाह का हुक्म है। कुर्बानी देने वाले इस बात का ख्याल रखे कि जिनके नाम से कुर्बानी है , वे चांद दिखने के बाद से कुर्बानी देने तक अपने बाल न बनाये। न ही नाखून काटे। कुर्बानी देने के बाद ही बाल बनाये। वहीं जो कुर्बानी नही दे रहे वे भी अगर इसका पालन करें तो उसे भी सवाब मिलेगा। क्या कहते है पेशइमाम लोग दिल खोलकर अल्लाह के हुक्म को पूरा करें। कुर्बानी हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम की याद में दी जाती है। इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम के दौर में कुर्बानी शुरू हुई थी। हाफिज अब्दुल बारी पेशइमाम, हबीबपुर मस्जिद बकरीद यानि कुर्बानी हजरत इब्राहीम व हजरत इस्माइल अलैहिस्लाम की याद में दी जाती है। ये अल्लाह का हुक्म है। इसे पूरा करें। दिल खोलकर कुर्बानी दें। हाफिज मो. अबरार हुसैन पेशइमाम, कूलीपाड़ा मस्जिद

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।