जिसकी वजह से हारा बेटा, उसी से राज ठाकरे करेंगे गठबंधन? डिनर पार्टी के बाद क्यों अटकलें तेज
महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने पिछले मंगलवार यानी 15 अप्रैल को राज ठाकरे के घर पर जाकर मुलाकात की थी और उनके साथ रात्रिभोज भी किया था। तभी से अटकलों का बाजार गर्म है।

महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने पिछले दिनों महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के चीफ राज ठाकरे के घर जाकर ना सिर्फ मुलाकात की बल्कि लंबी चर्चा के बाद रात्रिभोज भी किया। इसके बाद से ही महाराष्ट्र में अटकलों का बाजार गर्म है कि शिवसेना और MNS आगामी निकाय चुनावों के लिए गठबंधन कर सकते हैं। ये चुनाव 2022 से ही लंबित हैं।
हालांकि, दोनों खेमों ने आधिकारिक तौर पर स्पष्ट किया है कि रात्रिभोज पर हुई इस मुलाकात के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं हैं। इस बीच,शिवसेना के सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की कि दोनों नेताओं के बीच बातचीत कुछ समय से चल रही थी। एक सूत्र ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सबसे पहले, राज्य के उद्योग मंत्री और शिवसेना नेता उदय सामंत ने राज ठाकरे से से मुलाकात की थी, फिर मंगलवार को जब एकनाथ शिंदे राज ठाकरे के घर आए तो उनके साथ सामंत भी थे। उस बैठक में राज ठाकरे के साथ MNS नेता संदीप देशपांडे और अभिजीत पानसे भी मौजूद थे।
विधानसभा चुनाव के बाद आ गई थीं दूरियां?
दरअसल, यह मुलाकात इसलिए अहम है क्योंकि पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद से सियासी गलियारों में यह चर्चा हो रही थी कि एकनाथ शिंदे और राज ठाकरे के बीच रिश्तों में तल्खी आ गई है। इसके पीछे की वजह माहिम सीट है। राज ठाकरे ने माहिम विधानसभा सीट पर अपने बेटे अमित ठाकरे को उम्मीदवार बनाया था। भाजपा ने तो इस सीट पर ठाकरे की मदद की लेकिन एकनाथ शिंदे ने वहां से अपना उम्मीदवार उतार दिया। बहुत देर तक इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि शिंदे अपने उम्मीदवार सदा करवणकर की उम्मीदवारी वापस ले लेंगे और अमित ठाकरे चुनाबी बाजी मार लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
दोनों को चुभ रही ये हार
इस सीट पर हुए त्रिकोणीय मुकाबले में राज ठाकरे के बेटे अमित ठाकरे उद्धव ठाकरे की शिवसेना (UBT) गुट के उम्मीदवार महेश सावंत से हार गए। यहां दिलचस्प ये रहा कि उद्धव के उम्मीदवार को जहां 50,213 वोट मिले, वहीं शिंदे के उम्मीदवार को 48,897 वोट और राज ठाकरे के बेटे को 33,062 वोट मिले। यानी सिर्फ 1316 वोट के चलते उद्धव के उम्मीदवार यहां से जीत गए। राज ठाकरे को तो इस हार की कसक रही है, एकनाथ शिंदे को भी यह हार चुभने लगी।
दोनों बाला साहेब के रहे वफादार सैनिक
इस चुनाव के बाद कहा जाने लगा कि तल्ख तेवर वाले राज ठाकरे एकनाथ शिंदे से नाराज हैं लेकिन पिछले मंगलवार को जिस तरह खुद शिंदे ने राज ठाकरे के घर आकर मुलाकात की, उससे सियासी गलियारों में दोनों नेताओं के एकजुट होने यानी दोनों के बीच गठबंधन होने की सुगबुगाहट के तौर पर देखा जा रहा है। इन दोनों में एक समानता यह भी है कि दोनों ही बाला साहेब ठाकरे की बनाई शिवसेना के सैनिक हैं। एकजुट शिवसेना में दोनों साथ थे।
निकाय चुनावों पर है नजर
इस मुलाकात पर भाजपा के एक नेता ने कहा है कि इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दोनों नेताओं ने निकाय चुनावों पर चर्चा नहीं की हो। संभावना इस बात की भी है कि दोनों नेताओं ने BMC चुनाव को लेकर रणनीति पर भी चर्चा की हो। यह मुलाकात इसलिए भी अहम है क्योंकि नई सरकार के गठन होने के बाद से कहा जा रहा है कि एकनाथ शिंदे हाशिए पर चल रहे हैं और फडणवीस सरकार में सबकुछ सामान्य नहीं है। पिछले दिनों एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से भी इस बावत मुलाकात की थी। तब ऐसी चर्चा होने लगी थी कि वह अपनी शिकवा-शिकायत लेकर पहुंचे हैं।
सेना vs सेना की लड़ाई में ये दोस्ती कैसे अहम?
दूसरी तरफ, शिवसेना के अंदरूनी सूत्रों ने कहा है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने इस मुलाकात के जरिए राज ठाकरे के साथ अपने मतभेदों को दूर करने की कोशिश की है क्योंकि वह अपने गृह क्षेत्र ठाणे में सीधे "सेना vs सेना" की लड़ाई चाहते है और इस लड़ाई में MNS निर्णायक भूमिका निभा सकती है, क्योंकि राज ठाकरे ने उस इलाके में अपनी मराठी पहचान और मराठी अस्मिता की राजनीति को प्रमुखता से खेला है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि गठबंधन के सवाल पर शिंदे और ठाकरे दोनों का वेवलेंथ एक जैसा है, इसलिए कल की तारीख में गठबंधन हो जाए तो कोई आश्चर्यनहीं होगा।