मराठी भाषा अपना लो, नहीं तो आंदोलन और तेज होगा; राज ठाकरे का बैंकों को अल्टीमेटम
- पत्र में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों में क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग के बारे में एक परिपत्र जारी किया है, लिहाजा बैंकों में बोर्ड तीन भाषाओं में होने चाहिए।

महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के प्रमुख राज ठाकरे ने बैंकों को मराठी भाषा को अपनाने के लिए कड़ा अल्टीमेटम जारी किया है। उन्होंने भारतीय बैंक संघ को चेतावनी दी है कि यदि बैंकों ने तत्काल प्रभाव से मराठी भाषा को अपनी सेवाओं में शामिल नहीं किया, तो मनसे अपने आंदोलन को और तेज कर देगी। ठाकरे ने कहा कि इस मामले में किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी और गैर-अनुपालन की स्थिति में बैंकों को कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की जिम्मेदारी लेनी होगी।
तीन भाषा फॉर्मूले पर जोर
राज ठाकरे ने अपने बयान में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के उस निर्देश का हवाला दिया, जिसमें तीन भाषा फॉर्मूले- अंग्रेजी, हिंदी और क्षेत्रीय भाषा (महाराष्ट्र में मराठी)—को लागू करने की बात कही गई है। मनसे नेताओं द्वारा बुधवार को भारतीय बैंक संघ (आईबीए) को सौंपे गए पत्र में ठाकरे ने यह भी कहा कि यदि बैंक अपनी सेवाओं में तीन भाषा फार्मूले का पालन नहीं करते हैं तो कानून- व्यवस्था खराब होने के लिए बैंक स्वयं जिम्मेदार होंगे। राज ठाकरे ने कहा, "महाराष्ट्र में मराठी भाषा का सम्मान होना चाहिए। यदि बैंक मराठी में अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते, तो मनसे को मजबूरन अपने आंदोलन को और सख्त करना पड़ेगा।" ठाकरे ने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी का उद्देश्य केवल मराठी भाषा का उपयोग सुनिश्चित करना है, न कि किसी अन्य भाषा का विरोध करना।
पत्र में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र और निजी बैंकों में क्षेत्रीय भाषाओं के उपयोग के बारे में एक परिपत्र जारी किया है, लिहाजा बैंकों में बोर्ड तीन भाषाओं में होने चाहिए। पत्र में कहा गया है कि यहां तक कि सेवाएं भी तीन भाषाओं में होनी चाहिए। इससे पहले, ठाकरे ने शनिवार को मनसे कार्यकर्ताओं से बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में मराठी के उपयोग को लागू करने के लिए आंदोलन को फिलहाल रोकने के लिए कहा था। ठाकरे ने कहा था, "हमने इस मुद्दे पर पर्याप्त जागरूकता पैदा कर दी है।”
पहले भी उठ चुका है आंदोलन का मुद्दा
इससे पहले, 30 मार्च को गुड़ी पड़वा रैली में राज ठाकरे ने मराठी भाषा को आधिकारिक उपयोग में अनिवार्य करने की मांग को जोर-शोर से उठाया था। इसके बाद मनसे कार्यकर्ताओं ने कई बैंकों और अन्य प्रतिष्ठानों में जाकर मराठी के उपयोग की जांच की थी। इस दौरान कुछ जगहों पर मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा बैंक कर्मचारियों के साथ कथित तौर पर दुर्व्यवहार की घटनाएं भी सामने आईं, जिसके बाद बैंक यूनियनों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से हस्तक्षेप की मांग की थी।
आंदोलन को अस्थायी रूप से रोका गया था
हालांकि, व्यापक आलोचना और बैंक यूनियनों की शिकायतों के बाद राज ठाकरे ने 5 अप्रैल को अपने कार्यकर्ताओं से आंदोलन को अस्थायी रूप से रोकने का आह्वान किया था। उन्होंने तब कहा था कि इस मुद्दे पर पर्याप्त जागरूकता फैल चुकी है और अब सरकार को आरबीआई के नियमों को लागू करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। लेकिन ताजा बयान में ठाकरे ने फिर से आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि मराठी भाषा के मुद्दे पर उनकी पार्टी पीछे हटने के मूड में नहीं है।
बैंकों पर बढ़ा दबाव
मनसे की इस मांग के बाद बैंकों पर मराठी भाषा को अपनी सेवाओं में शामिल करने का दबाव बढ़ गया है। खासकर ग्रामीण और बुजुर्ग ग्राहकों के लिए, जो मराठी में संवाद करना अधिक सहज मानते हैं, इस मांग को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। मनसे का कहना है कि महाराष्ट्र में मराठी भाषा का उपयोग न केवल सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है, बल्कि यह ग्राहकों की सुविधा के लिए भी जरूरी है।