सुलह हुई तो साथ में चुनाव भी लड़ेंगे उद्धव और राज ठाकरे? MNS ने कह दी बड़ी बात
- शनिवार को मनसे प्रमुख राज ने कहा कि वह मराठी मानुष की खातिर छोटे-मोटे विवादों को दरकिनार करते हुए अपने चचेरे भाई व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाने को तैयार हैं।

महाराष्ट्र के ठाकरे परिवार में सुलह की चर्चाएं हैं। अटकलें हैं कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच बातचीत चल रही है। फिलहाल, यह भी साफ नहीं है कि यह साझेदारी चुनावी मैदान में भी नजर आएगी या नहीं। फिलहाल, राज की पार्टी यानी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ऐसी संभावनाओं से इनकार कर रही है।
मनसे नेता संदीप देशपांडे ने एक्स पर लिखा, 'महाराष्ट्र के लिए एक होने का मतलब यह नहीं है कि ऐसा सिर्फ चुनाव के लिए किया जा रहा है। महाराष्ट्र के हित मके लिए मराठी भी साथ आ सकते हैं। जैसे तमिलनाडु में कावेरी के मुद्दे पर तमिल दल एकजुट हुए थे। मराठी पार्टियों के साथ आने में परेशानी क्या है। चुनाव के लिए गठबंधन करना संकीर्ण मानसिकता है।'
दरअसल, शनिवार को मनसे प्रमुख राज ने कहा कि वह मराठी मानुष की खातिर छोटे-मोटे विवादों को दरकिनार करते हुए अपने चचेरे भाई व शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाने को तैयार हैं। मनसे प्रमुख की टिप्पणी अभिनेता और राज ठाकरे के मित्र महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में आई थी। मनसे प्रमुख ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए।
शिवसेना यूबीटी ने क्या कहा
शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी और मनसे के बीच गठबंधन की कोई घोषणा नहीं हुई है, लेकिन उन्होंने दावा किया कि दोनों के बीच “भावनात्मक बातचीत” जारी है। राउत ने पत्रकारों से कहा कि शिवसेना (उबाठा) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मनसे के अध्यक्ष और अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ सुलह के लिए कोई पूर्व शर्त नहीं रखी है।
राज के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उद्धव ने शिवसेना (उबाठा) कार्यकर्ताओं से कहा, ‘‘मैं भी मामूली मुद्दों को किनारे रखने के लिए तैयार हूं और मैं सभी से मराठी मानुष के लिए एक साथ आने की अपील करता हूं।’’
उद्धव ने अपनी पार्टी के एक कार्यक्रम में मनसे अध्यक्ष का नाम लिए बगैर कहा कि अगर महाराष्ट्र के निवेश और कारोबार को गुजरात में स्थानांतरित करने का विरोध किया गया होता, तो दिल्ली और महाराष्ट्र में राज्य के हितों का ख्याल रखने वाली सरकार बनती।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ ऐसा नहीं हो सकता कि आप (लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा का) समर्थन करें, फिर (विधानसभा चुनाव के दौरान) विरोध करें और फिर समझौता कर लें। ऐसे नहीं चल सकता। ’’
शिवसेना (उबाठा) अध्यक्ष ने कहा, ‘‘पहले यह तय करें कि जो भी महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करेगा, उसका घर में स्वागत नहीं किया जाएगा। आप उनके घर जाकर रोटी नहीं खाएंगे। फिर महाराष्ट्र के हितों की बात करें।’’
लोकसभा चुनाव के दौरान राज ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बिना शर्त समर्थन देने की घोषणा की थी।
उद्धव ने कहा कि वह छोटी-मोटी असहमतियों को नजरअंदाज करने के लिए तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं कह रहा हूं कि मेरा किसी से झगड़ा नहीं है और अगर कोई है तो मैं उसे सुलझाने को तैयार हूं। लेकिन पहले इस (महाराष्ट्र के हित) पर फैसला करें। फिर सभी मराठी लोगों को तय करना चाहिए कि वे भाजपा के साथ जाएंगे या मेरे साथ।’’
मनसे को रास नहीं आई बात
मनसे प्रवक्ता संदीप देशपांडे ने एक बयान में असहमति जताते हुए कहा कि 2014 के विधानसभा चुनाव और 2017 के नगर निकाय चुनावों के दौरान उनकी पार्टी का उद्धव ठाकरे के साथ खराब अनुभव रहा था, जब यह मांग जोर पकड़ रही थी कि दोनों चचेरे भाइयों को फिर से एक हो जाना चाहिए।
देशपांडे ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इतने बुरे अनुभव के बाद (राज) साहब ने गठबंधन का कोई प्रस्ताव दिया है। अब वे हमसे कह रहे हैं कि भाजपा से बात न करें। (लेकिन) अगर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्धव को बुलाएं तो वे दौड़कर भाजपा के पास चले जाएंगे।’’