चरित्रवन की संगति से होता है पुण्य का उदय : आचार्य
Mirzapur News - डंगहर गांव में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन, हरिद्वार से आए कथावाचक डा. दुर्गेश आचार्य ने श्रीकृष्ण जन्म और वामन अवतार की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि कैसे कंस ने देवकी के बच्चों को मारने की कोशिश की...

जिगना। क्षेत्र के डंगहर गांव में चल रही भागवत कथा के चौथे दिन हरिद्वार से आए तपोनिष्ठ कथावाचक डा. दुर्गेश आचार्य ने श्रीकृष्ण जन्म व वामन अवतार की कथा सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कहा कि सत्कर्मवान व चरित्रवान की संगति में पूण्य उदय होता है। द्वापर में कंस अपनी चहेती बहन देवकी के साथ रथ पर सवार होकर कहीं जा रहा था। तभी आकाशवाणी हुई कि देवकी की आठवीं संतान तेरा संहार करेगी। भयभीत कंस ने बहन को मारने के लिए तलवार निकाल लिया। समझाने पर उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। श्रीहरि ने स्वयं देवकी के उदर से आठवीं संतान के रूप में जन्म लिया।
देवकी के दूसरे जन्म में माता अदिति के गर्भ से बिष्णु भगवान ने बामन के रूप में अवतार लेकर राजा बलि का उद्धार किया था। कारागार में कंस ने देवकी की गोद से नवजात शिशु को छीन लिया। भूमि पर पटककर मारने ही वाला था। तभी कन्या उसके हाथ से छूटकर उड़ गई। योगमाया ने आकाश में अट्टहास किया। रे मूर्ख कंस तुझे मारने वाला धरती पर जन्म ले चुका है। मंदबुद्धि निर्दोष, दीन, असहायों की हत्या करना छोड़ दें। कथावाचक ने सचेत किया कि रावण, कंस और कौरवों की कुसंगति में राक्षसी मनोवृत्तियों का प्रादुर्भाव हो जाता है। कुल पुरोहित आचार्य अशोक शुक्ला, यजमान रामेश्वर नाथ तिवारी, आदित्यनाथ, अवधेश, दिनेश, प्रदीप, संतोष, संदीप, आशीष, जय कृष्ण, सिद्धार्थ ने वेद ग्रंथों की आरती उतारकर स्वयं को कृतार्थ किया। अंत में बालकृष्ण भगवान की मनोहारी झांकी निकाली गई।
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