एक बार जो हमने कमिटमेंट कर दी... ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद वायुसेना चीफ का सलमान खान वाला संदेश
एयर चीफ मार्शल ने अपने संबोधन में 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को मजबूती से दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत को अपने रक्षा उपकरणों के लिए विदेशी निर्भरता को कम करना होगा।

भारतीय वायुसेना (IAF) प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में देश की रक्षा क्षमताओं और आत्मनिर्भरता पर जोर देते हुए एक अनोखा अंदाज अपनाया। उन्होंने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के मशहूर डायलॉग का इस्तेमाल कर भारत के आत्मनिर्भर बनने के संकल्प दोहराया। वायुसेना प्रमुख ने कहा कि भारत अब न सिर्फ रक्षा उपकरणों का निर्माण, बल्कि उनका डिजाइन और विकास भी खुद कर रहा है।
'कमिटमेंट के बाद पीछे नहीं हटते'
कनफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के एक कार्यक्रम में बोलते हुए एयर चीफ मार्शल सिंह ने बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की मशहूर डायलॉग का जिक्र करते हुए कहा, “एक बार जो हमने कमिटमेंट कर दिया, फिर तो हम खुद की भी नहीं सुनते।” इस डायलॉग के जरिए उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के प्रति सशस्त्र बलों की प्रतिबद्धता को दर्शाया।
'प्राण जाए पर वचन न जाए'
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि सिर्फ यह कहना काफी नहीं है कि हम भारत में रक्षा उपकरण बना रहे हैं, बल्कि हमें उन्हें डिजाइन और डेवलप भी यहीं करना होगा। उन्होंने कहा, “जब बड़ी संख्या में उत्पादन करना हो, तब हमारी उत्पादन क्षमता काम आती है।” उन्होंने यह भी कहा कि सेनाओं और उद्योग के बीच भरोसे, पारदर्शिता और संवाद की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें एक-दूसरे के साथ खुले और स्पष्ट रहने की जरूरत है ताकि यह रिश्ता कभी टूटे नहीं। उन्होंने कहा कि “प्राण जाए पर वचन न जाए।”
'ऑपरेशन सिंदूर' युद्ध के बदलते स्वरूप का प्रतीक
एयर चीफ मार्शल सिंह ने नौसेना प्रमुख की बात का समर्थन करते हुए कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ इस बात का स्पष्ट संकेत है कि अब युद्ध का स्वरूप बदल रहा है। यह ऑपरेशन हमें यह समझने में मदद करता है कि हमें भविष्य में किस दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारत में विकसित हो रहे एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) को निजी उद्योग की भागीदारी के लिए स्वीकृति मिल चुकी है। यह इस बात का प्रमाण है कि राष्ट्र को आज अपने निजी उद्योग पर कितना विश्वास है।
‘टाइमलाइन’ पर चिंता जताई
वायुसेना प्रमुख ने परियोजनाओं की समयसीमा पर चिंता जताई और कहा, “आज तक शायद ही कोई प्रोजेक्ट समय पर पूरा हुआ हो। हमें इस पर आत्ममंथन करना होगा।” पूर्व ब्रिटिश पीएम दिवंगत विंस्टन चर्चिल का हवाला देते हुए उन्होंने निजी उद्योग से अपील करते हुए कहा, “यह आपका सबसे शानदार वक्त हो सकता है।” उन्होंने कहा कि अगर भारत का उद्योग विश्वस्तरीय कारें, इलेक्ट्रॉनिक्स और उपकरण बना सकता है, तो वह विश्वस्तरीय सैन्य उपकरण भी बना सकता है- “भले ही उसमें उतना मुनाफा न हो, जितने की अपेक्षा हो।” अपने भाषण के अंत में उन्होंने उद्योग जगत से आह्वान किया- “आइए, साथ मिलकर इस देश को महान राष्ट्र बनाएं।”