आपकी हिम्मत कैसे हुई? जो ऐसी याचिका दाखिल की; मर्डर के दोषी पर क्यों भड़क उठे मीलॉर्ड
याचिकाकर्ता ने इससे पहले पॉलिसी के मुताबिक अपनी समयपूर्व रिहाई की मांग करते हुए पहले दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। याचिका के अनुसार, उसने 14 साल से अधिक 16 साल की सजा काट ली है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को हत्या के एक दोषी की उस याचिका पर कड़ी आपत्ति जताई और याचिकाकर्ता दोषी को फटकार लगाई, जिसने जेल अधिकारियों के समक्ष सरेंडर करने के लिए तीन सप्ताह का समय विस्तार देने के लिए फिर से शीर्ष अदालत में अर्जी दायर की थी। विनोद उर्फ गांजा बनाम दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने पूछा कि जब फरलो के विस्तार की मांग वाली याचिका को जस्टिस एएस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने 14 मई को ही खारिज कर दिया था, तो दोबारा ऐसी याचिका क्यों दाखिल की गई?
जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह ने सुनवाई के दौरान फटकार लगाते हुए कहा, "आपकी हिम्मत कैसे हुई... जब जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसे खारिज कर दिया था.. अब आपने छुट्टी के दौरान इसे फिर से दायर करने का साहस कैसे किया।"
याचिकाकर्ता के वकील का क्या कहना?
बार एंड बेंच रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता गांजा की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट को बताया कि उनका मुवक्किल आत्मसमर्पण करने के लिए तीन और सप्ताह की मांग कर रहा है, जब तक कि दिल्ली हाई कोर्ट 10 जुलाई को समय से पहले रिहाई की उसकी याचिका पर फैसला नहीं कर लेता।
तुरंत सरेंडर करने का आदेश
इस पर पीठ ने कहा कि चूंकि वह पहले ही सुप्रीम कोर्ट आ चुका है और उसे राहत नहीं मिल सकी है, उसका अनुरोध खारिज किया जा चुका है, इसलिए फरलो नहीं बढ़ाया जा सकता। हालांकि, मल्होत्रा ने कहा कि जस्टिस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने उसके मुवक्किल को सरेंडर करने के लिए तीन हफ्ते का वक्त दिया है। इस पर कोर्ट सहमत नहीं हुआ तो मल्होत्रा ने कहा कि दोषी आज हर हाल में सरेंडर कर देगा लेकिन कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अब गुरुवार को आदेश पारित करेगा। हालांकि, कोर्ट ने दोषी को जेल अधिकारियों के सामने सरेंडर करने का आदेश दिया।