दिल्ली से लेकर मुंबई तक मई में मिली ठंडक, 1901 के बाद सबसे ज्यादा हुई बारिश; क्या है वजह?
बीते मई महीने में मौसम का मिजाज बेहद अलग रहा। आम तौर पर जहां मई में गर्मी का भीषण कहर दिखता है, वहीं इस साल पूरे देश में बारिश ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। इससे लोगों को राहत जरूर मिली है, पर बेमौसम रिकॉर्डतोड़ बारिश से कई जगहों पर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया।

झमाझम बारिश और भीषण गर्मी के महीने में असामान्य रूप से तापमान में गिरावट। ये छोटे स्तर पर भले ही लोगों को राहत दे रहे हो, लेकिन मौसम का इस तरह मिजाज बदलना, जलवायु परिवर्तन का बड़ा संकेत दे रहा है। इस कड़ी में हाल ही में भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने मई महीने में मौसम को लेकर विस्तृत रिकॉर्ड पेश किया है। इस साल मई का महीना असामान्य रूप से ठंडा रहा। मई के महीने में दिन का तापमान बेहद कम रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक पिछले चार सालों में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया है।
आईएमडी की रिपोर्ट में कहा गया है, “पूरे भारत में औसत अधिकतम तापमान 35.08 डिग्री सेल्सियस रहा जो 1901 के बाद से 7वां सबसे कम और औसत न्यूनतम तापमान 24.07 डिग्री सेल्सियस रहा। औसत तापमान महज 29.57 डिग्री सेल्सियस रहा। आईएमडी के आंकड़ों के मुताबिक 1917 में मई का महीना सबसे ज्यादा ठंडा रहा था। उस साल देश भर में औसत अधिकतम तापमान 33.09 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था।
रिकॉर्डतोड़ बारिश
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मई में देश भर में औसत बारिश 126.7 मिमी दर्ज की गई है। 1901 के बाद से इस महीने में सबसे ज्यादा बारिश हुई है। मई में भारी बारिश यानी 64.5 से 115.5 मिमी बारिश की सबसे ज्यादा घटनाएं दर्ज की गई हैं। वहीं बहुत भारी यानी 115.6 से 204.5 मिमी बारिश की भी कई घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसके अलावा अत्यधिक भारी बारिश (204.5 मिमी से अधिक) की बारिश की घटनाएं पिछले पांच सालों में सबसे ज्यादा रहीं।
क्यों बदला मौसम?
आईएमडी के वैज्ञानिक ओपी श्रीजीत ने इस साल मई में असामान्य ठंड महीने के पीछे बादल छाए रहने और बारिश की लंबी अवधि को कारण बताया है। उनके मुताबिक ऐसी असामान्य बारिश के पीछे तीन मुख्य कारण हैं। पहला, मानसून का जल्दी भारत आना। दूसरा अरब सागर और बंगाल की खाड़ी के ऊपर प्रेशर बनना और तीसरा पश्चिमी विक्षोभ (WDs) ने उत्तरी भारत को इस बार ज्यादा प्रभावित किया। पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव सामान्यतः दिसंबर, जनवरी और फरवरी के दौरान महसूस किया जाता है लेकिन इस साल यह मई के अंत तक सक्रिय रहे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ का बने रहना सामान्यतः मानसून के लिए प्रतिकूल माना जाता है।
कहां तक पहुंचा मॉनसून?
आईएमडी के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने पिछले सप्ताह बताया था कि इस साल ऐसी परिस्थितियां प्रबल हैं। उन्होंने कहा था, "पश्चिमी विक्षोभ इस साल गर्मियों तक बने रहेंगे। मानसून अभी उत्तर-पश्चिम भारत की ओर आगे नहीं बढ़ा है और इसलिए हम यह नहीं कह सकते कि यह इन पश्चिमी विक्षोभों से संपर्क करेगा या नहीं। उत्तर-पश्चिम भारत में अचानक, तीव्र आंधी-तूफान की गतिविधि का एक मुख्य कारण इन पश्चिमी विक्षोभों का असामान्य रूप से बने रहना है।" मॉनसून की बात करे तो दक्षिण-पश्चिम मानसून की उत्तरी सीमा मुंबई, अहिल्यानगर, आदिलाबाद, भवानीपटना, पुरी, सैंडहेड द्वीप से होकर गुजर रही है। आईएमडी ने कहा है कि पिछले सप्ताह से मॉनसून आगे नहीं बढ़ा है।