INS विक्रांत से लेकर ब्रम्होस तक, मोदी सरकार के 11 साल में कितनी मजबूत हुई रक्षा शक्ति
भारत के रक्षा निर्यात ने भी वैश्विक स्तर पर अपनी धाक जमाई है। साल 2014-15 में जहां रक्षा निर्यात 1,940 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत का रक्षा क्षेत्र आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। स्वदेशी तकनीक, निर्यात और रणनीतिक क्षमताओं में काफी वृद्धि हुई है। इस तरह, भारत अब डिफेंस सेक्टर में केवल सपना नहीं देखता, बल्कि उसे वास्तविकता में बदल रहा है। भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय की ओर से मंगलवार को किए गए पोस्ट में ये बातें कही गईं। इसमें कहा गया, '11 वर्षों के सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण के मंत्र के साथ भारत ने रक्षा क्षेत्र में कई ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की हैं।' इनमें कुछ का जिक्र यहां जरूरी हो जाता है।
स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत का फ्लाइट डेक 2 फुटबॉल मैदानों जितना बड़ा है। भारत के समुद्री इतिहास में अब तक का यह सबसे बड़ा और जटिल युद्धपोत है। 2200 कमरों के साथ यह तैरता हुआ शहर है, जो भारत की तकनीकी क्षमता का प्रतीक है। दूसरी ओर, एलसीएच प्रचंड भारत का पहला स्वदेशी मल्टी-रोल कॉम्बैट हेलीकॉप्टर है। इसे मॉडर्न स्टील्थ, मजबूत कवच और नेविगेशन सिस्टम के साथ बनाया गया है। यह जमीन और हवाई युद्ध में शक्तिशाली क्षमता प्रदान करता है।
मिसाइल ताकत नई ऊंचाइयां छू रही
भारत की मिसाइल ताकत भी नई ऊंचाइयों को छू रही है। ब्रह्मोस मिसाइल के विस्तारित रेंज वैरिएंट सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान से सफल परीक्षण किया गया है। पृथ्वी-II बेहद सटीकता के साथ लक्ष्य भेदने में सक्षम है। इसके अलावा, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-3 का प्रशिक्षण प्रक्षेपण भी सफल रहा, जो भारत की न्यूनतम विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता को दर्शाता है।
रक्षा निर्यात लगातार बढ़ रहा
भारत के रक्षा निर्यात ने भी वैश्विक स्तर पर अपनी धाक जमाई है। साल 2014-15 में जहां रक्षा निर्यात 1,940 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे स्वदेशी हथियारों ने वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत किया है। यह प्रगति न केवल भारत की तकनीकी और रणनीतिक ताकत को दर्शाती है, बल्कि 'विकसित भारत' के अमृत काल की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। आत्मनिर्भर भारत का यह युग रक्षा क्षेत्र में नई संभावनाओं को उजागर कर रहा है।