Is Government considering levying GST on UPI transactions over Rs 2000 क्या अब UPI से 2000 से ज्यादा भेजने पर लगेगा जीएसटी? वित्त मंत्रालय ने दिया जवाब, India Hindi News - Hindustan
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क्या अब UPI से 2000 से ज्यादा भेजने पर लगेगा जीएसटी? वित्त मंत्रालय ने दिया जवाब

  • मंत्रालय की ओर से कहा गया, 'यह दावा कि सरकार 2 हजार रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शंस पर GST लगाने की सोच रही है, पूरी तरह से झूठ है। यह भ्रामक बात है और बिना किसी आधार के अफवाह उड़ाई गई है।'

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 18 April 2025 07:57 PM
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क्या अब UPI से 2000 से ज्यादा भेजने पर लगेगा जीएसटी? वित्त मंत्रालय ने दिया जवाब

क्या यूपीआई के जरिए 2,000 रुपये से ज्यादा भेजने पर जीएसटी लगेगा? इस तरह का दावा सोशल मीडिया पर किया जा रहा है। अब वित्त मंत्रालय ने खुद इसकी सच्चाई बता दी है। शुक्रवार को मिनिस्ट्री की ओर से बयान जारी हुआ। इसमें कहा गया, 'यह दावा कि सरकार 2 हजार रुपये से ज्यादा के UPI ट्रांजैक्शंस पर GST लगाने की सोच रही है, पूरी तरह से झूठ है। यह भ्रामक बात है और बिना किसी आधार के अफवाह उड़ाई गई है। अभी सरकार के सामने ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।'

जीएसटी मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) जैसे कुछ खास शुल्कों पर लगाया जाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने जनवरी 2020 से ग्राहक से व्यापारी (पी2एम) के बीच यूपीआई लेनदेन पर एमडीआर हटा दिया है। मंत्रालय ने कहा, 'चूंकि इस समय UPI लेनदेन पर कोई एमडीआर नहीं लगाया जाता है, इसलिए इन लेनदेन पर कोई जीएसटी लागू नहीं है।' मालूम हो कि यूपीआई लेनदेन में तेजी से वृद्धि देखी गई है, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गया। मंत्रालय ने यह भी कहा कि सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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देश में बढ़ता जा रहा UPI लेनदेन

भारत में UPI लेनदेन में तेजी से वृद्धि देखी गई है। वित्त वर्ष 2019-20 में यूपीआई के जरिए कुल भुगतान 21.3 लाख करोड़ रुपये से था, जो चालू मार्च 2025 को समाप्त वित्त वर्ष में बढ़कर 260.56 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया । पिछले वित्त वर्ष के अंत तक पी2एम लेनदेन 59.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। सरकार ने पी2एम लेनदेन को साल 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना चालू की है। इस योजना के तहत वित्त वर्ष 2021-22 में 1,389 करोड़ रुपये, 2022-23 में 2,210 करोड़ रुपये, 2023-24 में 3,631 करोड़ रुपये आवंटित किए गए।

जीएसटी के बारे में जानें

गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) देश में 1 जुलाई 2017 को लागू हुआ, जो इनडायरेक्ट टैक्स सिस्टम है। यह विभिन्न केंद्रीय और राज्य करों जैसे वैट, सर्विस टैक्स, एक्साइज ड्यूटी आदि को मिलाकर सिंगल टैक्स सिस्टम बनाता है। जीएसटी का मकसद कर प्रणाली को सरल, पारदर्शी और कारोबार के लिए आसान बनाना है। इसे 'वन नेशन, वन टैक्स' के सिद्धांत पर लागू किया गया, जिससे पूरे देश में वस्तुओं और सेवाओं पर एकसमान टैक्स लगता है।

GST को 4 स्लैब्स में बांटा गया है जो कि 5%, 12%, 18%, और 28% हैं। कुछ वस्तुएं 0% टैक्स के दायरे में भी आती हैं, जैसे खाद्य अनाज। लग्जरी और हानिकारक उत्पादों पर 28% तक टैक्स लगता है। जीएसटी ने कारोबार को डिजिटल बनाया है क्योंकि रजिस्ट्रेशन, रिटर्न फाइलिंग और पेमेंट ऑनलाइन होते हैं। हालांकि, शुरुआत में छोटे कारोबारियों को तकनीक संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ा। माना जाता है कि जीएसटी ने अंतरराज्यीय व्यापार को आसान बनाया है और टैक्स चोरी पर काफी हद तक लगाम लगी है।