सिद्धारमैया के 20 कॉल पर भी नहीं बदला मेरा फैसला… पूर्व कमिश्नर ने बताया- बेंगलुरु भगदड़ का दोषी कौन
कर्नाटक के पूर्व पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने कहा कि बेंगलुरु भगदड़ में गलती सरकार की थी और दोष पुलिस पर मढ़ा गया। उन्होंने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार सिद्धारमैया के पीए ने मुझे 20 बार कॉल किया, लेकिन मैं नहीं माना।

बेंगलुरु में 4 जून को रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) की जीत के जश्न के दौरान हुई भगदड़ में 11 लोगों की मौत पर सियासी और प्रशासनिक घमासान तेज हो गया है। इस घटना के बाद बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर बी दयानंद समेत कई वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित किए जाने पर राज्य के पूर्व पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इसे "कांग्रेसी सरकार की घबराहट में लिया गया गलत फैसला" बताया। उन्होंने पुरानी घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक बार सिद्धारमैया के पीए ने 20 बार कॉल किया, लेकिन मैं नहीं माना।
भास्कर राव ने NDTV से बातचीत में कहा कि अगर मुख्यमंत्री के आदेश से कानून-व्यवस्था बिगड़ने का अंदेशा हो, तो "उस आदेश को ठुकरा देना चाहिए।" उन्होंने याद करते हुए बताया कि साल 2013 में बेलगावी में बतौर IG उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का आदेश मानने से इनकार कर दिया था।
मुझे CM के पीए ने 20 बार फोन किया
राव ने कहा, “सिद्धारमैया उस समय भी मुख्यमंत्री थे। एक व्यक्ति ने ज़हर खाकर विधानसभा के बाहर आत्महत्या कर ली थी। सीएम ने शव को विधानसौधा लाने का आदेश दिया, लेकिन मैंने मना कर दिया क्योंकि वहां तनाव फैलने की आशंका थी। अगर शव वहां लाया जाता, तो हालात इतने बिगड़ सकते थे कि हमें फायरिंग करनी पड़ती। मैंने शव को चुपचाप अस्पताल के पीछे के रास्ते से उसके गांव भेज दिया।” भास्कर राव ने कहा, "राजनीतिज्ञ मानसिक रूप से कमजोर होते हैं और दबाव में तुरंत घबरा जाते हैं।" उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी और संवैधानिक अधिकारों की समझ होनी चाहिए, ताकि नेताओं के दबाव में न आएं।
RCB समारोह में सरकार की चूक
उन्होंने RCB की जीत पर हुए समारोह को लेकर कहा, "सरकार की मूर्खता थी कि उन्होंने मैच के 24 घंटे के अंदर कार्यक्रम करने की ज़िद की। पुलिस ने पहले ही चेताया था कि इतना बड़ा आयोजन तुरंत करना ठीक नहीं होगा।" राव ने कहा कि जिन पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उन्हें कोर्ट जाना चाहिए। उनका कहना है, “ये निलंबन पूरी तरह अनुचित और बिना आधार के है। सरकार को फटकार लगेगी। छुट्टी पर भेज सकते थे, ट्रांसफर कर सकते थे, लेकिन निलंबन क्यों?”