बच्चों में अगर कोरोना के लक्षण दिखें तो उन्हें स्कूल न भेजें, इस राज्य में आदेश जारी
कोरोना से बचाव के लिए जरूरी है कि मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। हाथों को साफ रखें। अपने हाथ बार-बार साबुन और पानी से कम से कम 20 सेकंड तक हाथ धोएं। इसके लिए आप अल्कोहल-बेस्ड सैनिटाइजर का उपयोग कर सकते हैं।

कर्नाटक में कोरोना वायरस की स्थिति और स्कूलों को फिर से खोलने के मद्देनजर राज्य सरकार ने सर्कुलर जारी किया है। इसमें अभिभावकों से कहा गया कि अगर उनके बच्चों में बुखार, खांसी, जुकाम और अन्य लक्षण हैं तो वे उन्हें स्कूल न भेजें। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण आयुक्त ने सरकारी व निजी स्कूलों में बरती जाने वाली सावधानियों के लिए देर रात लेटर जारी किया। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में 26 मई को आयोजित कोरोना वायरस की स्थिति की समीक्षा बैठक के दौरान यह निर्देश दिया गया था। सर्कुलर में कहा गया, 'अगर स्कूली बच्चों में बुखार, खांसी, जुकाम और अन्य लक्षण पाए जाते हैं, तो बच्चों को स्कूल न भेजें और डॉक्टर की सलाह के अनुसार उचित उपचार और देखभाल के उपाय अपनाएं।'
सर्कुलर में बच्चों को पूरी तरह ठीक होने के बाद ही स्कूल भेजने का निर्देश दिया गया है। इसमें कहा गया कि अगर बच्चे बुखार, खांसी, जुकाम और अन्य लक्षणों के साथ स्कूल आते हैं तो उनके माता-पिता को सूचित करें और उन्हें घर वापस भेज दें। स्वास्थ्य विभाग ने आगे कहा कि अगर स्कूल के शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों में ये लक्षण पाए जाते हैं तो उन्हें उचित एहतियाती उपायों का पालन करने की सलाह दी जानी चाहिए। इसमें कहा गया, 'कुल मिलाकर स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य के हित में कोरोना वायरस के एहतियाती उपायों का सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया है।'
कर्नाटक में कोरोना वायस के 234 एक्टिव केस
कर्नाटक में शुक्रवार शाम तक कोरोना वायस के 234 मामले उपचाराधीन हैं। 1 जनवरी से अब तक कोरोना से संक्रमित तीन मरीजों की मौत हो चुकी है, जिन्हें अन्य बीमारियां भी थीं। पूरे देश में कोरोना वायरस के सक्रिय मामले 2710 से 3207 के बीच हैं। केरल में सबसे अधिक 1,147 सक्रिय मामले हैं। इसके बाद महाराष्ट्र में 424 और दिल्ली में 294 केस हैं। पिछले कुछ हफ्तों में मामलों में तेजी देखी गई है। खासतौर से JN.1 वेरिएंट और इसके सब-वेरिएंट्स NB.1.8.1 और LF.7 के कारण। ये वेरिएंट अधिक संक्रामक हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में लक्षण हल्के हैं और अस्पताल में भर्ती होने की दर कम है।