नेपाली छात्रा के सुसाइड के लिए KIIT यूनिवर्सिटी ही दोषी, मानवाधिकार आयोग ने सुनाया फैसला
- राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने नेपाली छात्रा की मौत के लिए KIIT विश्वविद्यालय को दोषी ठहराया है। आयोग ने संस्थान पर आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप लगाए हैं।

भुवनेश्वर स्थित KIIT विश्वविद्यालय बीते महीने तब सुर्खियों में आ गई थी जब यहां की एक हॉस्टल में एक 20 वर्षीय नेपाली छात्रा मृत अवस्था में पाई गई थी। छात्रा का शव उसके हॉस्टल के कमरे से बरामद हुआ था जिसके बाद यूनिवर्सिटी के रवैये को लेकर सवाल भी उठे। इस पूरे घटनाक्रम पर अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी NHRC ने अपना फैसला सुनाया है। NHRC ने संस्थान विश्वविद्यालय को सुसाइड के जिम्मेदार ठहराया है। आयोग के मुताबिक संस्थान ने छात्रा को आत्महत्या करने के लिए मजबूर किया।
गौरतलब है कि बीटेक की छात्रा को 16 फरवरी की दोपहर को अपने छात्रावास के कमरे के पंखे से लटका हुआ पाया गया था। छात्रा ने 21 साल के अपने पूर्व प्रेमी पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था। आरोपी तीसरे वर्ष के बीटेक छात्र अदविक श्रीवास्तव को भुवनेश्वर पुलिस ने भागने की कोशिश करते वक्त हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद यह घटना अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गई थी। छात्रा की मौत पर शुरू हुए विरोध प्रदर्शन कर बाद विश्वविद्यालय के अधिकारियों पर 1000 से अधिक नेपाली छात्रों पर नस्लीय टिप्पणी करने के बाद बाहर निकालने के आदेश जारी करने के आरोप भी लगे थे।
अनुच्छेद 14, 15 और 21 का उल्लंघन
विश्वविद्यालय के छात्रों ने संस्थान के अधिकारियों पर मामले के प्रति उदासीनता और लापरवाही को लेकर प्रदर्शन किए थे। NHRC ने भुवनेश्वर के एक शख्स की शिकायत के बाद इस महीने आत्महत्या और उसके बाद विश्वविद्यालय द्वारा नेपाली छात्रों के उत्पीड़न की जांच शुरू की थी। इस रिपोर्ट में NHRC ने कहा है कि आरोपी ने पीड़िता का यौन उत्पीड़न किया था और उसके बावजूद विश्वविद्यालय की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आयोग ने कहा कि महिला के सम्मानपूर्वक जीने के अधिकार को छीना गया और यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है।
KIIT विश्वविद्यालय की असंवेदनशीलता
एनएचआरसी ने आगे कहा कि KIIT विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि 17 फरवरी को लगभग 1000-1100 छात्र अपना हॉस्टल छोड़कर चले गए थे। छात्राओं को जल्दबाजी में हॉस्टल से निकाला गया जिससे कोई अन्य अप्रिय घटना हो सकती थी, लेकिन कॉलेज के अधिकारियों ने छात्राओं की सुरक्षा के बारे में चिंता नहीं की और उन्हें परिसर से बाहर निकाल दिया। रिपोर्ट में कहा गया है, "दुर्भाग्य से विश्वविद्यालय को कोई पछतावा भी नहीं था। यह सरासर असंवेदनशीलता को दर्शाता है।"
कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज पर लगे आरोप
एनएचआरसी की टीम ने कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज पर लगे आरोपों की भी जांच की। इस विश्वविद्यालय पर आदिवासी बच्चों के शोषण और उनके मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगे हैं। समूह ने बताया है कि 2017 में बाल कल्याण समिति की रिपोर्ट में बताया गया था कि संस्थान में बेहद गंदगी है और बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। आयोग ने इसे लेकर संस्थान को फटकार लगाई है।