ईंट भट्ठों में ईंधन के लिए इस्तेमाल होगी धान की पराली, केंद्र का पंजाब-हरियाणा को निर्देश
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने आदेश में कहा है कि पंजाब और हरियाणा में ईंट भट्टों को अपने ईंधन मिश्रण में कम से कम 20 प्रतिशत धान की पराली से बने पेलेट का उपयोग करना होगा।

हर सर्दी में दिल्ली-एनसीआर की दमघोंटू हवा को लेकर उठते सवालों के बीच अब वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने पंजाब और हरियाणा सरकारों को निर्देश दिया है कि वे आगामी नंबर महीने से एनसीआर के बाहर स्थित जिलों में ईंट भट्टों में पराली से बने ‘बायोमास पेलेट’ का उपयोग अनिवार्य करें।
बायोमास पेलेट एक प्रकार का ठोस ईंधन होता है, जो लकड़ी, फसल अवशेषों और कृषि कचरे को संपीड़ित कर बनाए जाते हैं। आयोग का मानना है कि ये पेलेट कोयले का स्वच्छ और व्यावहारिक विकल्प हैं और इससे पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाकर वायु प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है।
क्या है आदेश
आदेश के अनुसार, ईंट भट्टों को अपने ईंधन मिश्रण में कम से कम 20 प्रतिशत धान की पराली से बने पेलेट का उपयोग करना होगा। इसके अलावा इसके उपयोग को एक नवंबर 2026 से इसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत, एक नवंबर 2027 से बढ़ाकर 40 प्रतिशत और एक नवंबर 2028 से बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाना चाहिए। यह आदेश सभी ईंट भट्टों पर लागू होगा, जिनमें ‘जिग-जैग फायरिंग’ तकनीक का उपयोग करने वाले भी शामिल हैं।
क्या कहते हैं आकड़े
यह पहली बार है जब एनसीआर के बाहर के जिलों को भी इस दिशा में नियमबद्ध किया गया है। आयोग ने पहले केवल दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के ईंट भट्टों में स्वच्छ ईंधन के उपयोग की सिफारिश की थी। आंकड़ों के अनुसार, NCR में अभी भी 3,000 से अधिक ईंट भट्टे चलते हैं, जिनमें अधिकांश कोयले पर निर्भर हैं। पराली आधारित बायोमास के उपयोग से इन भट्टों के प्रदूषण स्तर को काफी हद तक कम किया जा सकेगा।
गौरतलब है कि यह निर्णय न केवल प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में एक अहम कदम है, बल्कि पराली जलाने की समस्या का व्यावसायिक और टिकाऊ समाधान भी पेश करता है, जिससे किसान, उद्योग और पर्यावरण – तीनों को लाभ मिलेगा।