तोड़-मरोड़कर पेश किया सेना प्रमुख का बयान, रक्षा मंत्री ने राहुल गांधी को दिलाई 1962 की याद
- राहुल गांधी ने अपने 45 मिनट के भाषण में सिर्फ चीन मसले पर ही नहीं, बल्कि बेरोजगारी और औद्योगिक विकास को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा।

लोकसभा में सोमवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा भारत-चीन सीमा विवाद पर दिए गए बयान को लेकर मंगलवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कड़ा प्रहार किया। उन्होंने राहुल गांधी पर सेना प्रमुख के बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करने और संसद में "झूठ बोलने" का आरोप लगाया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "सेना प्रमुख के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने केवल पारंपरिक गश्त में आई बाधाओं की बात की थी, जिसे हालिया समझौतों के तहत बहाल कर दिया गया है। राहुल गांधी इस संवेदनशील मुद्दे पर गैर-जिम्मेदाराना राजनीति कर रहे हैं।"
राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला
राहुल गांधी ने अपने भाषण में चीन के आक्रामक रुख और भारत की औद्योगिक क्षमता को जोड़ते हुए कहा था कि "युद्ध सिर्फ सेना और हथियारों से नहीं, बल्कि औद्योगिक प्रणालियों के बीच लड़े जाते हैं। चीन का औद्योगिक तंत्र भारत की तुलना में कहीं अधिक मजबूत है।" उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम की विफलता ने चीन को आक्रामक होने का मौका दिया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने भले ही चीन की घुसपैठ से इनकार किया हो, लेकिन भारतीय सेना चीन के साथ लगातार बातचीत कर रही है और सेना प्रमुख ने खुद स्वीकार किया है कि "चीनी सेना भारतीय सीमा में मौजूद है।"
राजनाथ सिंह ने कांग्रेस को 1962 युद्ध की याद दिलाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने राहुल गांधी को इतिहास याद दिलाते हुए कहा कि अगर किसी भारतीय क्षेत्र में चीन की घुसपैठ हुई है, तो वह अक्साई चिन में 38,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है, जो 1962 के युद्ध के बाद चीन के कब्जे में गया था। इसके अलावा, 1963 में पाकिस्तान ने 5,180 वर्ग किलोमीटर भारतीय भूमि को अवैध रूप से चीन को सौंप दिया था।
राहुल गांधी ने बेरोज़गारी पर भी उठाए सवाल
राहुल गांधी ने अपने 45 मिनट के भाषण में सिर्फ चीन मसले पर ही नहीं, बल्कि बेरोजगारी और औद्योगिक विकास को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने राष्ट्रपति के अभिभाषण को "सरकार की उपलब्धियों की सूची मात्र" करार देते हुए कहा कि इसमें भारत की असली चुनौतियों – उद्योग विस्तार, तकनीकी क्रांति और युवाओं के भविष्य – का कोई जिक्र नहीं था।
भारत-चीन संबंधों में हल्की नरमी
राहुल गांधी के इस बयान से पहले भारत और चीन के संबंधों में हाल के दिनों में कुछ नरमी देखने को मिली है। पिछले पांच वर्षों से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव बना हुआ था, लेकिन हाल ही में कुछ क्षेत्रों में सैनिकों की वापसी और बातचीत के माध्यम से हल निकालने की कोशिशें जारी हैं।