Savarkar had tried to deceive the British in Marseilles PM Modi reached there and paid tribute सावरकर ने फ्रांस के जिस शहर में की थी अंग्रेजों को चकमा देने की कोशिश, PM मोदी ने वहां दी श्रद्धांजलि, India News in Hindi - Hindustan
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सावरकर ने फ्रांस के जिस शहर में की थी अंग्रेजों को चकमा देने की कोशिश, PM मोदी ने वहां दी श्रद्धांजलि

  • वीर सावरकर का मार्सेली से कनेक्शन 1910 में जुड़ता है जब वह ब्रिटिशों द्वारा एक राजनीतिक कैदी के रूप में भारत ले जाए जा रहे थे। उन्होंने इस दौरान अंग्रेजों कि गिरफ्त से भागने का प्रयास किया था।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानWed, 12 Feb 2025 06:18 AM
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सावरकर ने फ्रांस के जिस शहर में की थी अंग्रेजों को चकमा देने की कोशिश, PM मोदी ने वहां दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को फ्रांस के शहर मार्सेली में स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को श्रद्धांजलि दी और इस शहर के भारत के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े महत्वपूर्ण इतिहास को याद किया। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, "मार्सेली का भारत की स्वतंत्रता की यात्रा में खास महत्व है। यहीं पर महान वीर सावरकर ने साहसिक पलायन का प्रयास किया था। मैं मार्सेली के लोगों और उस समय के फ्रांसीसी आंदोलनकारियों का भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने यह मांग की थी कि उन्हें ब्रिटिश अधिकारियों को नहीं सौंपा जाए। वीर सावरकर आज भी पीढ़ियों को प्रेरित करते हैं।"

वीर सावरकर का मार्सेली से कनेक्शन 1910 में जुड़ता है जब वह ब्रिटिशों द्वारा एक राजनीतिक कैदी के रूप में भारत ले जाए जा रहे थे। उन्होंने इस दौरान अंग्रेजों कि गिरफ्त से भागने का प्रयास किया था।

आपको बता दें कि सावरकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख नेता थे। उन्हें ब्रिटिश शासन के खिलाफ उनके क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए लंदन में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें ब्रिटिश जहाज एस.एस. मोरिया से भारत ले जाया जा रहा था। भारत में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना था।

जब जहाज 8 जुलाई 1910 को मार्सेली के बंदरगाह पर पहुंचा तो सावरकर ने भागने का एक अवसर देखा। उन्होंने एक पोर्टहोल के माध्यम से बाहर निकलने की कोशिश की और फ्रांस में शरण लेने की आशा में तट की ओर तैरने लगे। इससे पहले कि वह इसमें सफल होते उन्हें फ्रांसीसी अधिकारियों ने पकड़ लिया और ब्रिटिशों को वापस सौंप दिया। आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय कानून राजनीतिक शरणार्थियों को सुरक्षा देने का अधिकार देते थे।

इस विवादास्पद प्रत्यर्पण ने ब्रिटेन और फ्रांस के बीच एक कूटनीतिक विवाद को जन्म दिया। कई फ्रांसीसी क्रांतिकारियों और नेताओं ने ब्रिटिश बलों द्वारा फ्रांस की भूमि पर की गई कार्रवाई का विरोध किया और यह तर्क दिया कि सावरकर को वापस नहीं भेजा जाना चाहिए था।

यह मामला स्थायी मध्यस्थता न्यायालय तक पहुंचा, लेकिन अंततः सावरकर को ब्रिटिश हिरासत में भेज दिया गया और बाद में उन्हें अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की कुख्यात सेलुलर जेल में बंद कर दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी इस समय मार्सेली में भारतीय कांसुलेट का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे हैं।

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