सोशल मीडिया पोस्ट के लिए भारत में गिरफ्तारियां
कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी ने अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस छेड़ दी है। उसे कथित तौर पर भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के बाद कई राज्यों में इस तरह की...

एक खास समुदाय के खिलाफ कथित रूप से भड़काऊ पोस्ट डालने के आरोप में कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर बहस छिड़ गई है.लोगों का कहना है कि कुछ मामलों में पुलिस ज्यादा सक्रिय नजर आती है.शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी की घटना भले ताजा हो, बीते महीने भारत-पाकिस्तान संघर्ष के बाद सोशल मीडिया पर कथित पाकिस्तान समर्थक पोस्ट डालने के आरोप में गिरफ्तारी कोई नई बात नहीं है.इससे पहले अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली ख़ान महमूदाबाद की गिरफ्तारी ने भी काफी सुर्खियां बटोरी थी.बाद में उनको सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल गई थी.शिकायत करने वाले के खिलाफ भी एफआईआरशर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस तेज हो गई है.उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार कर कोलकाता लाया गया.अदालत ने उसे 13 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.कोलकाता पुलिस ने इस गिरफ्तारी का बचाव करते हुए कहा है कि इससे अभिव्यक्ति की आजादी का कोई संबंध नहीं है.अब इस मामले में भी एक नया मोड़ आ गया है. जिस वजाहत खान रशीदी की शिकायत पर शर्मिष्ठा को गिरफ्तार किया गया था वह भी लापता है.उसके खिलाफ हिंदू देवी-देवताओं के अपमान के आरोप में कोलकाता और असम में एफआईआर दर्ज की गई है.असम के मुख्यमंत्री ने उसकी गिरफ्तारी के लिए पश्चिम बंगाल सरकार से मदद लेने की बात कही है.पश्चिम बंगाल पुलिस ने इससे पहले अपनी एक फेसबुक पोस्ट में पाकिस्तान और बांग्लादेश के झंडों के साथ पाकिस्तान का समर्थन करने के आरोप में मुंबई से शरीफ शेख नामक एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया था.पूर्व बर्दवान जिले के रहने वाले शेख के एक पड़ोसी ने इस बारे में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.सौ से ज्यादा लोग गिरफ्तारपश्चिम बंगाल के अलावा असम, मेघालय, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली और जम्मू-कश्मीर में ऐसे आरोप में सौ से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.इन गिरफ्तारियों के पक्ष और विपक्ष में तर्क देने वालो की तादाद भी लगातार बढ़ रही है.यह संयोग नहीं है कि ऐसी ज्यादातर गिरफ्तारियां उन राज्यों में ही हुई हैं जहां बीजेपी सत्ता में है.पूर्वोत्तर के राज्य असम ने तो इस मामले में नया रिकॉर्ड बना दिया है.बीते महीने से शुरू पुलिस के विशेष अभियान के तहत राज्य में अब तक 81 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने अपनी एक सोशल मीडिया पोस्ट में इसकी जानकारी दी है.इससे पहले डीडब्ल्यू से बातचीत में उन्होंने कहा था, "राज्य में यह अभियान लगातार जारी रहेगा और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी"सरमा ने अपनी पोस्ट में लिखा है, "हम सोशल मीडिया पर राष्ट्रविरोधी पोस्ट पर निगरानी रखते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं.ताजा मामले में दो और लोगों को गिरफ्तार किया गया है"विधायक भी गिरफ्तारदेशद्रोह के आरोप में बीते महीने आल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम की गिरफ्तारी ने सुर्खियां बटोरने के साथ ही उचित-अनुचित की बहस भी छेड़ दी थी.उन पर पहलगाम हमले को सरकार की साजिश बताने का आरोप था.उनको इस मामले में तो जमानत मिल गई थी.लेकिन तुरंत बाद राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत दोबारा गिरफ्तार कर लिया गया था.इसी तरह उत्तर प्रदेश में पुलिस ने इन आरोपों में 30 लोगों को गिरफ्तार किया है और 40 से ज्यादा सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसरों के खिलाफ मामले दर्ज कर उनकी जांच की जा रही है.मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी करीब एक दर्जन लोग गिरफ्तार किए गए हैं.इसी तरह गुजरात में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.भारत पाकिस्तान विवाद पर सोशल पोस्ट डालने वाली छात्रा को राहतराजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि हो सकता कुछ मामलों में सरकार विरोधियों को इस आरोप की आड़ में गिरफ्तार किया गया हो. अब खासकर शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मीडिया पर सही और गलत के सवाल पर बहस छिड़ी है.कुछ लोग इसकी तुलना अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने से कर रहे हैं तो कुछ लोगों का कहना है कि अपनी थाली में छेद करने वालों के खिलाफ ऐसी ही कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि दूसरों को सबक मिल सके.गिरफ्तारी पर राजनीतिक प्रतिक्रियाकुछ लोग शर्मिष्ठा के पक्ष में खड़े नजर आ रहे हैं.इनमें बंगाल बीजेपी के कुछ नेता भी हैं.विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने यहां पत्रकारों से कहा, "पश्चिम बंगाल में तुष्टिकरण की राजनीति हो रही है.एक खास तबके को खुश करने के लिए ही इस छात्रा को गिरफ्तार किया गया है जबकि उसने पहले ही माफी मांग ली थी.उसके बाद इस कार्रवाई की जरूरत नहीं थी"ऐसे मामलों में पुलिस की सक्रियता के कारण सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर डर गए हैं.कोलकाता के एक इन्फ्लुएंसर चिरंजीत बर्मन डीडब्ल्यू कहते हैं, "मैंने फिलहाल पोस्ट करना तो दूर किसी की पोस्ट पर टिप्पणी करना भी छोड़ दिया है.पता नहीं कब किस मामले में पुलिस घर तक पहुंच जाए.देश के किसी भी राज्य में कभी भी मामला दर्ज हो सकता है".