Then there may be a like Jallianwala Bagh again why the former judge of the Supreme Court warns तो फिर हो सकता है जलियांवाला बाग जैसा कांड, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने क्यों दी चेतावनी, India Hindi News - Hindustan
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तो फिर हो सकता है जलियांवाला बाग जैसा कांड, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने क्यों दी चेतावनी

  • जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने कहा, 'और अगर किसी कारण यह कभी खत्म हो भी जाता है तो फिर भगवान ही मालिक है। जलियांवाला बाग (जैसी घटना) की आशंका पैदा हो सकती है।'

Nisarg Dixit भाषाTue, 15 April 2025 07:46 AM
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तो फिर हो सकता है जलियांवाला बाग जैसा कांड, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने क्यों दी चेतावनी

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रोहिंटन नरीमन ने सोमवार को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर संविधान के ‘मूल ढांचे’ के सिद्धांत को किसी भी तरह कमजोर किया गया तो जलियांवाला बाग नरसंहार जैसी घटनाएं होने की आशंका है।

वर्ष1973 के केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ ने छह के मुकाबले सात के बहुमत से (संविधान के) 'मूल ढांचा' सिद्धांत को प्रतिपादित करते हुए कहा था कि संविधान की आत्मा में संशोधन नहीं किया जा सकता। यदि इसमें परिवर्तन किया जाता है तो इसकी न्यायिक समीक्षा की जा सकेगी।

इस फैसले ने संविधान में संशोधन करने के संसद के व्यापक अधिकार को सीमित कर दिया। फैसले में कहा गया कि संसद संविधान की बुनियादी विशेषताओं को 'निष्प्रभावी' नहीं कर सकती। साथ ही, इस फैसले ने संविधान के किसी भी हिस्से में संशोधन करने की संसद की शक्ति को सीमित करने के लिए हर संशोधन की समीक्षा करने का न्यायपालिका को अधिकार दिया।

न्यायमूर्ति नरीमन ने अपनी पुस्तक ‘बेसिक स्ट्रक्चर डॉक्ट्रिन: प्रोटेक्टर ऑफ कॉन्स्टीट्यूशनल इंटीग्रिटी’ के विमोचन के अवसर पर कहा, 'मैं बस इतना कह सकता हूं कि इस पुस्तक का उद्देश्य यह है कि यह सिद्धांत हमेशा के लिए है। यह कभी खत्म नहीं हो सकता।'

उन्होंने कहा, 'और अगर किसी कारण यह कभी खत्म हो भी जाता है तो फिर भगवान ही मालिक है। जलियांवाला बाग (जैसी घटना) की आशंका पैदा हो सकती है।'

न्यायमूर्ति नरीमन ने केशवानंद भारती मामले के बारे में बात की, जिसने मूल ढांचा सिद्धांत और संवैधानिक संशोधनों की शक्ति को सीमित करके मौलिक अधिकारों की रक्षा में इसके दीर्घकालिक निहितार्थों को स्थापित किया।

कार्यक्रम के दौरान एक परिचर्चा में उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन ने पुस्तक की 'अद्भुत स्पष्टता' की सराहना की।