क्या है हाइब्रिड और ग्रे वारफेयर, जिस पर सेना को अलर्ट कर रहे PM मोदी और रक्षा मंत्री
- हाइब्रिड वारफेयर की परिभाषा देते हुए ऑस्ट्रेलिया के ख्यातिप्राप्त रक्षा विशेष एलन ड्यूपोंट कहते हैं, ‘20वीं सदी में राज्य से राज्य के संघर्ष की जगह अब हाइब्रिड वॉर लेते जा रहे हैं। अब असिमेट्रिक वॉर की स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें सैनिक और नागरिक के बीच का भेद समाप्त होता दिखता है।

पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर डिफेंस मिनिस्टर राजनाथ सिंह तक कई बार भविष्य के युद्धों के लिए सेना से तैयार रहने की बात कह चुके हैं। राजनाथ सिंह तो अकसर हाइब्रिड वारफेयर, साइबर और स्पेस वारफेयर और ग्रे जोन वारफेयर की बात करते रहे हैं। अब उन्होंने एक बार फिर से इसके खतरों को लेकर अलर्ट किया है। तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित डिफेंस कॉलेज में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि सेना को फ्यूचर रेडी रहना होगा। राजनाथ सिंह ने कहा कि अब युद्ध की प्रकृति बदल गई है। परंपरागत जंग नहीं होतीं बल्कि अब ग्रे जोन वारफेयर, हाइब्रिड वारफेयर होते हैं। ऐसी जंगों में स्पेस वारफेयर, साइबर अटैक और डिसइन्फॉर्मेशन कैंपेन जैसी चीजें शामिल हैं। इकनॉमिक वारफेयर भी इसका एक हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि नए दौर के युद्ध की प्रकृति ऐसी है कि बिना कोई गोली चलाए ही जंग शुरू की जा सकती है और उसका नतीजा भी बदला जा सकता है। इस दौरान उन्होंने कई वैश्विक उदाहरण भी दिए और बताया कि कैसे दुनिया भर में नई तरह की जंगों से परिणाम बदल रहे हैं। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि हमें यह समझना होगा कि तकनीक से जंग की दिशा भी बदल सकती है। राजनाथ सिंह ने कहा कि तीन चीजों से आज वैश्विक भू-राजनीति के समीकरण बदल सकते हैं। ये हैं- राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना, तकनीकी सुनामी और इनोवेशन को बढ़ावा। यदि हम इन तीन मसलों का अच्छे से अध्ययन करें और उस पर अमल करें तो बहुत आगे निकल सकते हैं। आइए जानते हैं, आखिर क्या है हाइब्रिड वारफेयर और ग्रे वारफेयर, जिनसे बदली है युद्ध की परिभाषा...
नए दौर के युद्धों को लेकर पॉलिटिकल वारफेयर, असिमिट्रिक वारफेयर, ग्रे जोन कन्फ्लिक्ट जैसी शब्दावली प्रचलन में है। लेकिन इन सभी में युद्ध की किसी खास प्रकृति की प्रतिध्वनि आती है। लेकिन युद्ध रणनीति के जानकार मानते हैं कि हाइब्रिड वारफेयर शब्द में इन सभी को समाहित माना जाता सकता है। आधुनिक दौर में फ्रैंक जी हॉफमैन को हाइब्रिड वारफेयर टर्म का जनक माना जाता है। उन्होंने सर्वप्रथम 2007 में अपने एक शोध पत्र 'Conflict in the 21st Century: The Rise of Hybrid Wars' में वह कहते हैं कि हाइब्रिड वारफेयर में युद्ध के परंपरागत तरीके, लीक से हटकर रणनीति, आतंकी गतिविधियां, हिंसा फैलाने और अपराध को बढ़ावा देना शामिल है।
नॉन-स्टेट ऐक्टर्स भी थोप देते हैं हाइब्रिड वारफेयर
वह कहते हैं, 'हाइब्रिड वॉर किसी राज्य अथवा नॉन-स्टेट एक्टर्स के द्वारा भी थोपी जा सकती है। इस तरह के युद्ध को अलग-अलग यूनिट्स या फिर एक ही यूनिट द्वारा छेड़ा जा सकता है। वह कहते हैं कि हाइब्रिड वॉर में युद्ध में जो सामने प्रतिद्वंद्वी होता है, उससे इतर भी एक अदृश्य दुश्मन होता है।' वह हाइब्रिड वारफेयर में किसी देश की सेना के अलावा नॉन स्टेट एक्टर्स को भी शामिल करते हैं, जो दूसरे देश में अराजकता फैलाने, आतंकवाद आदि में सक्रिय होते हैं। इससे एक देश आंतरिक तौर पर कमजोर होता है और ऐसी स्थिति में प्रतिद्वंद्वी कई बार बिना युद्ध के ही जीत की अवस्था में खुद को पाता है।
कैसे नागरिक और सैनिक के बीच का भेद ही हो रहा खत्म
हाइब्रिड वारफेयर की परिभाषा देते हुए ऑस्ट्रेलिया के ख्यातिप्राप्त रक्षा विशेष एलन ड्यूपोंट कहते हैं, ‘20वीं सदी में राज्य से राज्य के संघर्ष की जगह अब हाइब्रिड वॉर लेते जा रहे हैं। अब असिमेट्रिक वॉर की स्थिति पैदा हो गई है, जिसमें सैनिक और नागरिक के बीच का भेद समाप्त होता दिखता है। इसके अतिरिक्त संगठित हिंसा, आतंकवाद, अपराध और युद्ध में भी अंतर करना मुश्किल हो सकता है।'