Women reservation should be implemented in my lifetime SC judge Nagarathna expressed hope मेरे जीवनकाल में ही लागू हो महिला आरक्षण; SC की जज नागरत्ना ने जताई आशा, India Hindi News - Hindustan
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मेरे जीवनकाल में ही लागू हो महिला आरक्षण; SC की जज नागरत्ना ने जताई आशा

  • कार्यक्रम में जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि संविधान में समानता का अधिकार केवल कागज़ों पर नहीं, बल्कि व्यवहारिक रूप में भी दिखना चाहिए।

Himanshu Jha लाइव हिन्दुस्तानSat, 19 April 2025 11:42 AM
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मेरे जीवनकाल में ही लागू हो महिला आरक्षण; SC की जज नागरत्ना ने जताई आशा

सुप्रीम कोर्ट की जज बीवी नागरत्ना ने शुक्रवार को लोकसभा और राज्य की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण को जल्द लागू किए जाने की पुरजोर वकालत की है। उन्होंने आशा जताई कि यह ऐतिहासिक कदम उनके जीवनकाल में ही साकार हो और यह दिन भारत के संविधान निर्माताओं द्वारा देखे गए वास्तविक समानता के सपने की पूर्णता का प्रतीक बनेगा।

जस्टिस नागरत्ना सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनने जा रही हैं। वह Women Laws - From the Womb to the Tomb नामक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में बोल रही थीं। यह पुस्तक वरिष्ठ अधिवक्ता महालक्ष्मी पावनी द्वारा लिखी गई है।

पुरुषों की जगह नहीं छीन रहे, बल्कि अपना हक वापस ले रहे

उन्होंने कहा, "नारी शक्ति वंदन अधिनियम, 2023 के तहत लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33% आरक्षण देने का प्रावधान है। मुझे उम्मीद है कि यह कानून हमारे जीवनकाल में लागू होगा। यह दिन महिलाओं द्वारा सदियों से चली आ रही समानता की लड़ाई की परिणति होगा, जिसे हमारे संविधान निर्माताओं ने एक आदर्श लक्ष्य के रूप में देखा था।"

जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि महिलाएं सार्वजनिक जीवन और जिम्मेदारियों में अपनी उचित हिस्सेदारी की हकदार हैं। उन्होंने कहा, "वे पुरुषों की जगह नहीं ले रही हैं, बल्कि उस अधिकार क्षेत्र को वापस ले रही हैं, जिसे पितृसत्तात्मक सोच और भेदभाव ने उनसे छीन लिया था। हम पुरुष विरोधी नहीं हैं, हम महिला समर्थक हैं।"

कानून आयोग से की खास अपील

उन्होंने हाल ही में कानून आयोग के अध्यक्ष नियुक्त हुए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज डी. एन. महेश्वरी से अपील की कि वे महिलाओं के खिलाफ भेदभाव करने वाले सभी कानूनों का अध्ययन करें और केंद्र सरकार को ऐसे सभी कानूनों को संशोधित करने के लिए सिफारिशें भेजें।

समानता सिर्फ शब्दों में नहीं, व्यवहार में भी जरूरी

कार्यक्रम में जस्टिस नागरत्ना ने यह भी कहा कि संविधान में समानता का अधिकार केवल कागज़ों पर नहीं, बल्कि व्यवहारिक रूप में भी दिखना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है कि देश की आधी आबादी को समान अवसर और प्रतिनिधित्व मिले।