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राह नहीं छोड़ी आसान, केजरीवाल-सिसोदिया और आतिशी के खिलाफ भाजपा-कांग्रेस का क्या प्लान

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही मुकाबले की शुरुआत हो चुकी है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बाद अब भारतीय जनता पार्टी ने भी 29 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है।

Sudhir Jha लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 4 Jan 2025 02:56 PM
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राह नहीं छोड़ी आसान, केजरीवाल-सिसोदिया और आतिशी के खिलाफ भाजपा-कांग्रेस का क्या प्लान

दिल्ली में विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही मुकाबले की शुरुआत हो चुकी है। आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भी 29 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। भाजपा की पहली लिस्ट के बाद कई सीटों पर तीनों ही दलों के लड़ाके सामने आ गए हैं। आप मुखिया अरविंद केजरीवाल, उनके दाएं हाथ मनीष सिसोदिया और मौजूदा सीएम आतिशी के खिलाफ मुकाबले की तस्वीर साफ हो गई है। जीत किसकी होगी यह तो चुनाव के बाद पता चलेगा लेकिन दिल्ली की इन 3 हॉट सीटों पर जंग काफी रोचक होने जा रही है।

पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल का दो पूर्व सीएम के बेटों से मुकाबला

नई दिल्ली सीट से चौथी बार उतरे पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का मुकाबला दो पूर्व सीएम के बेटों से होने जा रहा है। कांग्रेस ने केजरीवाल के खिलाफ शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित को टिकट दिया तो भाजपा ने उम्मीद के मुताबिक प्रवेश वर्मा को उतार दिया है जो यहां 'लाडली योजना' के जरिए हलचल पैदा कर चुके हैं। प्रवेश वर्मा पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। छात्र नेता से सांसद तक रह चुके प्रवेश वर्मा एक तेज तर्रार नेता हैं। वहीं, संदीप दीक्षित अपनी मां शीला दीक्षित के 'गुडविल और सहानुभूति' के सहारे केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। केजरीवाल भले ही इस सीट से खुद शीला दीक्षित को हरा चुके हैं, लेकिन वह साल दूसरा था और यह साल दूसरा है। तब से अब तक यमुना में काफी पानी बह चुका है और हालात भी बदल चुके हैं। भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की कोख से जन्मे अरविंद केजरीवाल ने तब शीला दीक्षित पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए उन्हें चुनौती दी थी और अब वह अपनी ईमानदारी का सर्टिफिकेट मांगने उतरे हैं।

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2020 में अरविंद केजरीवाल ने इस सीट से 21697 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन तब उनके खिलाफ भाजपा ने सुनील कुमार यादव और कांग्रेस ने रोमेश सबरवाल को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, तब दोनों ही दलों ने ऐसे अपेक्षाकृत कमजोर उम्मीदवारों को उतारकर केजरीवाल को वॉकओवर ही दिया था। हालांकि, इस बार भाजपा और कांग्रेस ने जिस तरह अपने दो दिग्गज चेहरों को नई दिल्ली से उतारा है, उससे यह तो तय है कि केजरीवाल को अपनी सीट बचाने के लिए काफी जोर लगाना होगा।

सीट बदल चुके मनीष सिसोदिया के सामने भी कड़ी चुनौती

2020 में पटपड़गंज सीट पर बड़ी मुश्किल से जीत हासिल कर सके मनीष सिसोदिया को इस बार जंगपुरा सीट से उम्मीदवार बनाया गया है। पार्टी ने उन्हें बेहद सुरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया था। लेकिन कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद जंगपुरा की जंग भी आसान नहीं रह गई है। कांग्रेस ने सिसोदिया के खिलाफ फरहाद सूरी को उम्मीदवार बनाकर पहले ही सिसोदिया के लिए मुश्किलें पैदा कर दी थी अब भाजपा ने पूर्व विधायक सरदार तरविंदर सिंह मारवाह को टिकट देकर रही सही कसर पूरी कर दी है। इस सीट पर मुस्लिम और सिख वोटर्स की अच्छी आबादी है। भाजपा और कांग्रेस ने दोनों समुदायों से उम्मीदवार देकर सिसोदिया की घेराबंदी की है। कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे मारवाह तीन बार जंगपुरा से विधायक रह चुके हैं। वह 2022 में भाजपा में शामिल हो गए थे। वहीं, फरहाद सूरी भी जंगपुरा और दिल्ली की सिसायत के जानेमाने चेहरे हैं। वह निजामुद्दीन वार्ड से लगातार पार्षद का चुनाव जीतते रहे हैं। वह दिल्ली कांग्रेस की दिग्गज नेता रहीं ताजदार बाबर के बेटे हैं। सूरी की मां दो बार विधायक भी रही हैं।

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आतिशी के सामने भी दिग्गज नेता को उतारा

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी को भी कालकाजी सीट पर घेरने की पूरी तैयारी की गई है। कांग्रेस ने एक दिन पहले ही उनके खिलाफ तेज तर्रार महिला नेता अलका लांबा को उतारा तो अब भाजपा ने यहां पूर्व सांसद रमेश बिधूड़ी को उम्मीदवार बनाने की घोषणा की है। रमेश बिधूड़ी दक्षिणी दिल्ली के कद्दावर नेता हैं और यहां आम लोगों के बीच उनकी मजबूत पकड़ है। करीब 11 हजार वोटों से कालकाजी सीट से पिछले चुनाव में जीत हासिल करने वालीं आतिशी को इस बार दो त्रिकोणीय मुकाबाले का सामना करना पड़ेगा। यदि अलका लांबा यहां भाजपा विरोधई वोटों में बिखराव करने में कामयाब रहीं तो आतिशी के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उम्मीदवारी के ऐलान से पहले ही बिधूड़ी यहां घर-घर प्रचार में जुट चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उनका टिकट काटकर पार्टी ने पहले ही उन्हें तैयारी में जुट जाने का मौका दे दिया था।

क्या है भाजपा और कांग्रेस का क्या प्लान

एक तरफ जहां भाजपा दिल्ली में करीब तीन दशक पुराना वनवास खत्म करना चाहती है तो कांग्रेस भी अपने गढ़ में 'करो या मरो' वाला मुकाबला लड़ना चाहती है। पिछले दो चुनावों में शून्य पर सिमटी कांग्रेस ने इस बार जिस तरह उम्मीदवारों का चयन किया है उससे संकेत दिया गया है कि पार्टी पूरा दमखम लगाने जा रही है। भाजपा और कांग्रेस ने 'आप' के तीन सबसे बड़े नेताओं के खिलाफ दिग्गज उम्मीदवारों को उतारकर उन्हें घर में ही घेरने की कोशिश की है। दोनों दल चाहते हैं कि अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और आतिशी को अपनी ही सीट पर अधिक से अधिक फोकस करने पर मजबूर किया जाए ताकि वे दूसरी सीटों पर कम ध्यान दे सकें। 10 साल की एंटी इनकंबेंसी का सामना कर रही 'आप' के लिए यह दिल्ली का सबसे मुश्किल चुनाव माना जा रहा है।