Death due to health issue in Chardham Yatra why risk to life increase on mountain चारधाम यात्रा में अबतक 80 लोगों की मौत, आखिर पहाड़ पर क्यों अटक जाती हैं सांसें? जानें पूरी बात, Uttarakhand Hindi News - Hindustan
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चारधाम यात्रा में अबतक 80 लोगों की मौत, आखिर पहाड़ पर क्यों अटक जाती हैं सांसें? जानें पूरी बात

चारधाम यात्रा में कई श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते जान चली गई। ऊंचाई पर सांस लेने में तकलीफ, ठंड और मौसम की मार लोगों को काफी मुसीबत में डाल देती है।

Anubhav Shakya लाइव हिन्दुस्तान, देहरादूनThu, 5 June 2025 01:34 PM
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चारधाम यात्रा में अबतक 80 लोगों की मौत, आखिर पहाड़ पर क्यों अटक जाती हैं सांसें? जानें पूरी बात

हर साल लाखों लोग पवित्र चारधाम यात्रा के लिए जाते हैं। इस बार भी यह यात्रा शुरू हो चुकी है। हालांकि इस बार की चारधाम यात्रा एक दुखद वजह से भी चर्चा में है। इस साल यात्रा के दौरान अब तक 80 लोगों की जान जा चुकी है। आखिर ऐसा क्या हो रहा है कि पहाड़ों की ऊंचाइयों पर सांसें अटक रही हैं? अगर आप भी पहाड़ पर किसी यात्रा का प्लान बना रहे हैं तो किन बातों का ख्याल रखें? आइए समझते हैं।

लाखों लोग करते हैं चारधाम यात्रा

हर साल मई से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा (केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री) श्रद्धालुओं के लिए आस्था का सबसे बड़ा पड़ाव मानी जाती है। लेकिन इस बार यात्रा शुरू होने के बाद से ही मौत के आंकड़े डराने वाले हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल अब तक 80 श्रद्धालु अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें से ज्यादातर मौतें ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी, हार्ट अटैक और सांस लेने में तकलीफ की वजह से हुई हैं।

पहाड़ों की ऊंचाई है सांसों का दुश्मन!

चारधाम के मंदिर समुद्र तल से 3 हजार से साढ़े 3 हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित हैं।पहाड़ों पर जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती है, हवा में ऑक्सीजन का स्तर कम होता जाता है। समुद्र तल पर हवा में ऑक्सीजन की मात्रा 21% होती है, लेकिन 3,000 मीटर की ऊंचाई पर यह स्तर काफी कम हो जाता है। इसे मेडिकल भाषा में 'हाइपोक्सिया' कहते हैं। खासकर उन लोगों के लिए, जो मैदानी इलाकों से सीधे पहाड़ों पर चढ़ जाते हैं, यह स्थिति जानलेवा साबित हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि बिना तैयारी के ऊंचाई पर चढ़ने से 'एक्यूट माउंटेन सिकनेस' (AMS) का खतरा बढ़ जाता है, जिसके लक्षणों में सिरदर्द, चक्कर आना, उल्टी और सांस फूलना शामिल हैं।

किन लोगों को होता है सबसे ज्यादा खतरा?

मौत के आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा प्रभावित बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग हैं। हार्ट रोग, हाई ब्लड प्रेशर, शुगर और सांस की बीमारियों से जूझ रहे श्रद्धालु इस ऊंचाई पर सबसे ज्यादा जोखिम में होते हैं। इसके अलावा, कई लोग बिना मेडिकल जांच और तैयारी के यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जो खतरे को और बढ़ा देता है।

क्या है प्रशासन की तैयारी?

इन मौतों के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या प्रशासन इस स्थिति को संभालने के लिए तैयार है? उत्तराखंड सरकार ने यात्रा मार्गों पर मेडिकल कैंप, ऑक्सीजन सिलेंडर और आपातकालीन सेवाएं शुरू की हैं, लेकिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ के सामने ये सुविधाएं नाकाफी साबित हो रही हैं। इसके अलावा, मौसम की मार भी यात्रियों के लिए मुश्किलें बढ़ा रही है। अचानक बारिश, भूस्खलन और ठंड यात्रा को और जोखिम भरा बना देती है।

ये टिप्स बचा सकते हैं जान

अगर आप भी चारधाम यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो कुछ सावधानियां आपकी जान बचा सकती हैं...

मेडिकल जांच जरूरी: यात्रा से पहले डॉक्टर से सलाह लें और अपनी सेहत की पूरी जांच कराएं।

ऊंचाई की आदत डालें: सीधे ऊंचाई पर न चढ़ें। पहले कुछ दिन कम ऊंचाई वाले इलाकों में रुकें, ताकि शरीर को ऑक्सीजन की कमी की आदत पड़ सके।

सही कपड़े और दवाएं: ठंड से बचने के लिए गर्म कपड़े और जरूरी दवाएं साथ रखें।

हाइड्रेशन जरूरी: खूब पानी पिएं, ताकि शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बना रहे।