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दिल्ली सरकार 22 बड़े नालों का कराएगी सर्वे, नक्शा बनाकर होगा यह काम

यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार हर उस नाले का सर्वे कराने जा रही है, जो सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम से नहीं जुड़ा है। इन नालों से बहने वाले बगैर शोधित गंदे पानी को यमुना में जाने से रोका जाएगा।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। हिन्दुस्तानFri, 6 June 2025 07:30 AM
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दिल्ली सरकार 22 बड़े नालों का कराएगी सर्वे, नक्शा बनाकर होगा यह काम

यमुना नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए दिल्ली सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार हर उस नाले का सर्वे कराने जा रही है, जो सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम से नहीं जुड़ा है। इन नालों से बहने वाले बगैर शोधित गंदे पानी को यमुना में जाने से रोका जाएगा। 22 बड़े नालों में ऐसे रिसाव (सीधे यमुना में जाने वाले गंदे पानी) को रोकने की दिशा में काम शुरू हो चुका है।

दिल्ली सरकार के अधिकारियों के अनुसार, बगैर सीवेज नेटवर्क से जुड़े नालों की मैपिंग के लिए सर्वे करने के लिए एक विशेषज्ञ एजेंसी का चयन किया जाएगा। वह ऐसे नालों की नक्शा तैयार करेगी जिसका गंदा पानी यमुना में गिर रहा है। सर्वे को सितंबर तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। उसके बाद इंजीनियरों द्वारा डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जाएगी। सरकार दिसंबर 2025 तक इन परियोजनाओं को अमल में लाने की तैयारी में है।

बता दें कि, बीते कुछ वर्षों से दिल्ली जल बोर्ड इंटरसेप्टर सीवर परियोजना पर काम कर रहा है, जिसके तहत सभी नालों का पानी नजदीक के सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) में भेजा जाना है। हालांकि, नजफगढ़ और शाहदरा जैसे बड़े नालों का पूरी तरह से रिसाव रोकना संभव नहीं है। ऐसे में 182 सब-ड्रेनों में से 26 को ट्रैप करने और बाकी का पानी नाले के मुहाने पर शोधित करने की योजना पर काम चल रहा है। इसके अतिरिक्त यमुना में सीधे गिरने वाले 22 नालों में से 9 के रिसाव की पहचान की जा चुकी है। दो ड्रेन दिल्ली गेट और सेन नर्सिंग होम ड्रेन में आंशिक रूप से रिसाव रोकने पर काम हुआ है। पूरा काम दिसंबर 2027 तक होगा। सात नालों के प्रवाह को अभी तक एसटीपी से जोड़ने के लिए डायवर्ट नहीं किया गया है।

सीपीसीबी करेगी एसटीपी का निरीक्षण : सरकार केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के जरिए भी अपने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता का मूल्यांकन कराएगी। जिससे छोटे-छोटे सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (एसटीपी) की आउटपुट गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जा सके। सीपीसीबी जुलाई 2025 तक सभी एसटीपी और उनके आउटफॉल्स का निरीक्षण करेगा और फिर दिल्ली जल बोर्ड (डीजेपी ) कार्ययोजना तैयार करेगा। उसके आधार पर उसमें जरूरी बदलाव किए जाएंगे।

नाला सफाई की जीपीएस से निगरानी होगी : प्रवेश वर्मा

वहीं, लोक निर्माण विभाग के मंत्री प्रवेश वर्मा ने गुरुवार को मॉनसून से पहले महरौली विधानसभा में पांच प्रमुख नालों का दौरा किया। उन्होंने अधिकारियों को 15 जून तक हर दिन रिपोर्ट भेजने के साथ नालों की सफाई का जीपीएस आधारित निगरानी करने का निर्देश दिया है। उन्होंने इस हालात के लिए पिछली सरकार पर भी निशाना साधा। दौरे के दौरान दक्षिणी दिल्ली से सांसद रामवीर सिंह बिधूड़ी भी मौजूद रहे।

प्रवेश वर्मा ने जिन नालों का दौरा किया, उसमें साकेत गुरुद्वारा के पास का नाला, दरगाह महरौली (मल्होत्रा प्रॉपर्टीज) के पास नाला, मोतीलाल नेहरू कैंप, कुसुमपुर पहाड़ी और कुतुब इंस्टिट्यूट क्षेत्र के पास का नाला। निरीक्षण के दौरान मंत्री ने देखा कि कई स्थानों पर नाले पूरी तरह से जाम थे, स्लैब टूटे हुए थे और जल निकासी के प्राकृतिक मार्ग अतिक्रमण से बाधित थे। उन्होंने निर्देश दिए कि उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में तत्काल अतिरिक्त मशीनें और श्रमिक लगाए जाएं।

वर्मा ने कहा कि पिछली सरकारों और अधिकारियों ने मॉनसून को हमेशा आपदा की तरह देखा, जबकि हम इसे अवसर के रूप में देखते हैं। खुद को साबित करने का अवसर कि शासन का मतलब है तैयारी, जवाबदेही और नतीजे देना। अब दिल्ली को लापरवाही का बोझ नहीं उठाना पड़ेगा।