Manish Sisodia and Satyendar Jain ACB summons, will be questioned in new corruption case मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को ACB का समन, भ्रष्टाचार के नए केस में होंगे सवाल जवाब, Ncr Hindi News - Hindustan
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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को ACB का समन, भ्रष्टाचार के नए केस में होंगे सवाल जवाब

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार के एक और नए मामले में घिरते दिख रहे हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने दोनों को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। एएनआईWed, 4 June 2025 07:21 AM
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मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को ACB का समन, भ्रष्टाचार के नए केस में होंगे सवाल जवाब

दिल्ली के पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के दो बड़े नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन भ्रष्टाचार के एक नए मामले में घिरते दिख रहे हैं। एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने करीब 2,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप में दोनों नेताओं को समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया है। एसीबी ने अप्रैल महीने में सिसोदिया और जैन के खिलाफ दिल्ली सरकार के स्कूलों में अत्यधिक लागत पर क्लासरूम्स के निर्माण में भ्रष्टाचार के संबंध में एफआईआर दर्ज की थी। इसके बाद दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने एसीबी से इस मामले में पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल की भूमिका की भी जांच करनी की मांग की थी।

एसीबी ने आज बताया कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में क्लासरूम्स के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर एसीबी ने दिल्ली के पूर्व मंत्रियों और ‘आप’ नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन को समन जारी किया है। सत्येंद्र जैन को 6 जून को एसीबी दफ्तर में बुलाया गया है, जबकि मनीष सिसोदिया को 9 जून को पेश होने को कहा गया है।

क्या है मामला?

एसीबी की ओर से अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली ‘आप’ सरकार के कार्यकाल में 12,748 क्लासरूम्स के निर्माण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर ‘आप’ नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ अप्रैल महीने में एफआईआर दर्ज की गई थी।

एसीबी ने एक बयान में कहा था कि यह घोटाला करीब 2,000 करोड़ रुपये का है और इसमें अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए थे। बयान के अनुसार, कथित तौर पर हर क्लासरूम का निर्माण 24.86 लाख रुपये में किया गया, जो सामान्य लागत से लगभग पांच गुना अधिक है। बयान के मुताबिक, यह कार्य कथित तौर पर 'आप' से जुड़े ठेकेदारों को सौंपा गया था। इसमें कहा गया है कि सक्षम प्राधिकारी से भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम की धारा 17-ए के तहत अपेक्षित मंजूरी मिलने के बाद मामला दर्ज किया गया।

एसीबी अधिकारियों के अनुसार, इस परियोजना में राजधानी में लगभग 12,748 क्लासरूम्स और स्कूल भवनों का निर्माण शामिल था, जिसमें ‘‘काफी वित्तीय अनियमितताएं हुईं और लागत में वृद्धि’’ देखी गई।

परियोजना को शुरू में स्वीकृत लागत पर इस शर्त के साथ मंजूरी दी गई थी कि इसे जून 2016 तक पूरा कर लिया जाएगा और भविष्य में इसमें वृद्धि की कोई गुंजाइश नहीं होगी। हालांकि, एसीबी ने बयान में आरोप लगाया कि निर्धारित समय सीमा के भीतर एक भी काम पूरा नहीं हुआ। कथित घोटाले के संबंध में भाजपा नेता हरीश खुराना, कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी से शिकायतें प्राप्त हुई थीं।

आरोप है कि इस परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे प्रति कक्षा लागत 24.86 लाख रुपये हो गई, जबकि मानक मानदंडों के तहत प्रति कमरे की अनुमानित लागत पांच लाख रुपये थी। बयान में कहा गया, ‘‘जांच से पता चला कि परियोजना 34 ठेकेदारों को दी गई थी, जिनमें से अधिकतर कथित तौर पर ‘आप’ से जुड़े हुए हैं।’’

निर्माण में अर्द्ध-स्थायी ढांचे (एसपीएस) शामिल थे, जिनकी अपेक्षित इस्तेमाल अवधि 30 साल है, फिर भी लागत सीमेंट कंक्रीट (आरसीसी) के ढांचों के बराबर थी। आरसीसी ढांचों की इस्तेमाल अवधि आमतौर पर 75 साल तक होती है।

बयान में कहा गया, ‘‘अधिकारियों ने पाया कि एसपीएस निर्माण को अपनाने से कोई वित्तीय लाभ नहीं हुआ।’’

एसीबी ने यह भी दावा किया कि परियोजना के लिए सलाहकार और वास्तुकार को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था।

बयान में कहा गया, ‘‘केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न खंडों के गंभीर उल्लंघन को उठाया था, जिसमें केंद्रीय लोक निर्माण विभाग कार्य नियमावली 2014, जीएफआर 2017 और सीवीसी दिशानिर्देशों के घोर उल्लंघन को उजागर किया गया था। हालांकि, रिपोर्ट को कथित तौर पर लगभग तीन साल तक दबा दिया गया था।’’

एसीबी के अनुसार, एसपीएस कक्षाओं के लिए प्रति वर्ग फुट लागत 2,292 रुपये आंकी गई, जबकि पक्के मॉडल स्कूलों के लिए यह 2,044-2,416 रुपये प्रति वर्ग फुट थी। इसने कक्षाओं के निर्माण में एसपीएस के उपयोग से अपेक्षित किसी भी वित्तीय लाभ को नकार दिया।

प्रारंभिक निविदा राशि 860.63 करोड़ रुपये थी, जो बाद में 17 प्रतिशत से 90 प्रतिशत हो गई। एसीबी ने कहा कि इसमें से 205.45 करोड़ रुपये सीधे तौर पर ज्यादा विनिर्देशों के कारण थे, जो मूल निविदा मूल्य का लगभग 24 प्रतिशत था।

सीवीसी दिशानिर्देशों के विपरीत, इन बदलावों को दर्शाने के लिए कोई नई निविदा आमंत्रित नहीं की गई। बयान में कहा गया है कि पांच स्कूलों में 42.5 करोड़ रुपये का काम बिना उचित निविदाओं के, मौजूदा अनुबंधों का उपयोग करके किया गया।

बयान में कहा गया कि पूरी साजिश का पता लगाने और ‘आप’ नेताओं, अज्ञात सरकारी अधिकारियों और ठेकेदारों की भूमिका और दोषसिद्धि तय करने के लिए एक व्यापक जांच शुरू की गई है।

(भाषा के इनपुट के साथ)