विमान हादसा:: हादसे के वक्त विमान में था सवा लाख लीटर से अधिक तेल
अहमदाबाद से लंदन जा रहे एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान में 1.25 लाख लीटर ईंधन भरा था। दुर्घटना में आग लगने के कारण कई लोगों की जान गई। विमान के ब्लैक बॉक्स से हादसे के कारणों का पता लगाया जाएगा। जांच...

नई दिल्ली, अरुण चट्ठा। अहमदाबाद से उड़ान भरकर लंदन जा रहे एयर इंडिया के बोइंग 787-8 विमान के ईंधन टैंक में सवा लाख लीटर से अधिक तेल (एटीएफ) भरा था। इसी वजह से विमान आग का गोला बन गया। इसी कारण से आग पर काबू पाने में लंबा समय लगा और अधिक लोगों की जान गई। जानकार कहते हैं कि विमान को अहमदाबाद से लंदन तक 6,744 किलोमीटर की हवाई दूरी को तय करनी थी। विमान फुल टैंक के साथ करीब नौ हजार किलोमीटर की दूरी को तय कर सकता है। कई बार रनवे खाली नहीं होता है या फिर मौसम खराब होने की वजह से विमान को उतने में समय लगता है।
ऐसी स्थिति में विमान को हवा में चक्कर लगाना पड़ता है, आपात स्थिति के लिए विमान में अतिरिक्त तेल भरा जाता है। एक निजी विमान कंपनी से जुड़े अधिकारी ने बताया कि जब विमान उड़ान भरता है तो उसका फ्यूल टैंक पूरा भरा जाता है। खासकर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में यह सतर्कता बरती जाती है कि उनमें अनुमानित खपत से ज्यादा ईंधन हो क्योंकि लंदन जैसे एयरपोर्ट पर ट्रैफिक बहुत होता है। कई बार विमान को घंटों तक हवा में रहना पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय मानक भी यही कहते हैं कि विमान में आपात स्थिति के हिसाब से ईंधन उपलब्ध हो, लेकिन यह सतर्कता उस वक्त भार पड़ जाती है,जब विमान उड़ान भरने के बाद दुर्घटना का शिकार हो जाए। विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने पर ईंधन बड़ी आग का कारण बनता है, जिसमें विमान और यात्रियों को नुकसान पहुंचने का खतरा बढ़ जाता है। अहमदाबाद विमान हादसे में भी ऐसा ही कुछ हुआ। जांच के लिए सरकार द्वारा अलग से एक कमेटी भी गठित की जा रही है। विमान का ब्लैक बॉक्स सबसे अहम विमान हादसे का राज ब्लैक बॉक्स से खुलेगा। बताया जा रहा है कि ब्लैक बॉक्स के जरिए दुर्घटना के असल कारणों का पता लगाया जा सकता है। विमान में लगने वाले ब्लैक बॉक्स में दो डिवाइस होती है। एक फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर)और दूसरा, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीपीआर) लगी होती है। एफडीआर विमान की गति,ऊंचाई, इंजन की स्थिति और तकनीकी जानकारी को रिकॉर्ड करता है। जबकि सीपीआर पायलट, कंट्रोल रूम व चालक दल के सदस्यों के बीच होने वाली बातचीत को रिकॉर्ड करता है। इसलिए जांच में सबसे अहम ब्लैक बॉक्स के जरिए मिलने वाली रिकॉर्डिंग रहेगी, जिसके आधार पर यह पता लगाया जा सकता है कि उड़ान भरने के बाद अचानक ऐसा क्या हुआ कि विमान कुछ दूरी के बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया। जांच के अन्य बिंदु - कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग के जरिए हुई बातचीत - एयर ट्रैफिक कंट्रोल यूनिट में की गई रिकॉर्डिंग - घटना स्थल के फोटो और विमान के मलबे से मिलने वाले अन्य साक्ष्य - विमान के मलबे की फारेंसिक जांच, खासकर इंजन और इलेक्ट्रिक पार्ट्स की जांच की जाएगी - विमान को उड़ान भरने से पहले किस-किस एंगल से पखा गया - विमान में इससे पहले कोई इंजन, इलेक्ट्रिक, रडार या सिग्नल या अन्य कोई तकनीकी समस्या तो नहीं आई - उड़ान भरने से पहले चालक दल के सभी सदस्य चिकित्सकीय रूप से स्वस्थ्य थे? - विमान में यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की तरफ से लगैज में किस तरह की सामान ले जाया जा रहा था - क्या रनवे से उड़ान भरते वक्त पायलट ने उचित मानकों का पालन किया - टेकऑफ के दौरान विमान की गति,ऊंचाई और इंजन की स्थिति क्या थी - उड़ान भरते वक्त या भरने के बाद विमान का कोई हिस्सा, किसी पक्षी या अन्य किसी ढांचे से तो नहीं टकराया - मृतकों और घायलों की मेडिकल जांच के आधार पर चोटों और हादसे की तीव्रता का अंदाजा लगाया जाएगा
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