समय से आठ दिन पूर्व केरल में मानसून ने दी दस्तक
फ्लैग--अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी से मानसूनी हवाएं हुईं सक्रिय

नई दिल्ली, एजेंसी। अपने तय समय से आठ दिन पूर्व शनिवार को केरल में मानसून ने दस्तक दे दी है। इसका असर राज्य के कई हिस्सों झमाझम बारिश के रूप में दिखने लगा है। इस वर्ष मानसून का आगमन पिछले 16 वर्षों में सबसे जल्दी हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इससे पूर्व वर्ष 2009 में मानसून का आगमन 23 मई को हुआ था। उन्होंने कहा कि इसके जल्द ही तमिलनाडु और कर्नाटक के कई इलाकों में भी पहुंचने की संभावना है। एक हफ्ते में देश के दक्षिणी और पूर्वोत्तर राज्यों, जबकि चार जून तक मध्य और पूर्वी भारत को कवर कर सकता है।
वैज्ञानिकों ने कहा कि केरल में मानसून के जल्दी या देर से आने का मतलब यह नहीं है कि यह देश के अन्य हिस्सों में भी उसी तरह पहुंचेगा। देश के अन्य हिस्सों में मानसून का आगमन वैश्विक, क्षेत्रीय एवं स्थानीय समेत कई कारकों से तय होता है। आईएमडी ने इस साल मानसून में सामान्य से अधिक वर्षा का अनुमान जताया था, जिससे अल नीनो की स्थिति की संभावना खारिज हो गई थी। अल नीनो प्रणाली भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम वर्षा से जुड़ी है। सड़कों पर जलभराव केरल में भारी बारिश और तेज हवाओं के कारण शनिवार को राज्य के कई हिस्सों में पेड़ और बिजली के खंभे उखड़ गए। साथ ही सड़कों पर जलभराव हो गया। केरल के विभिन्न हिस्सों में बारिश होने से सामान्य जनजीवन बाधित हो गया है। राज्य में सभी जिला कलेक्टरों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। मानसून जल्द पहुंचेगा महाराष्ट्र मौसम विभाग (आईएमडी) ने कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून के जल्द ही महाराष्ट्र पहुंचने की संभावना है, क्योंकि अगले दो से तीन दिनों तक जलवायु परिस्थितियां अनुकूल रहेंगी। आईएमडी ने रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग के तटीय जिलों के लिए रेड अलर्ट जारी किया है। गोवा में रेड अलर्ट जारी आईएमडी ने गोवा के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जिसमें रविवार तक भारी से बहुत भारी बारिश का अनुमान है। साथ ही राज्य सरकार ने लोगों को नदियों और झरनों में न जाने की सलाह दी है। पिछले 24 घंटों में तटीय राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश हुई। इस साल मानसून जल्दी क्यों पहुंचा? भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं। पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है। सामान्यत: एक जून को प्रवेश करता है मानसून दक्षिण-पश्चिमी मानसून सामान्यतः एक जून या उसके बाद केरल में प्रवेश करता है और आठ जुलाई तक पूरे देश में पहुंचता है। उत्तर-पश्चिमी भारत से इसकी वापसी 17 सितंबर के आसपास शुरू हो जाती है और 15 अक्तूबर तक यह पूरी तरह से वापस चला जाता है। 1990 में 13 दिन पूर्व पहुंचा था मानसून मौसम विभाग के 1975 से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, मानसून केरल में सबसे जल्दी 1990 में 19 मई को पहुंचा था, जो सामान्य तिथि से 13 दिन पहले था। वर्ष कब पहुंचा मानसून 2024 30 मई 2023 08 जून 2022 29 मई 2021 03 जून 2020 01 जून -------------------------------------- पिछले पांच वर्षों में हुई बारिश वर्ष बारिश 2024 934.8 मिमी 2023 820 मिमी 2022 925 मिमी 2021 870 मिमी 2020 958 मिमी
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