How much India paid to launch Shubhanshu Shukla to space mission whopping price tag शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत ने कितनी रकम चुकाई? कल भरेंगे उड़ान, India News in Hindi - Hindustan
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शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत ने कितनी रकम चुकाई? कल भरेंगे उड़ान

भारत ने शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने के लिए कई सौ करोड़ रुपये खर्च किए हैं। यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम और गगनयान परियोजना के लिए महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 10 June 2025 09:58 AM
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शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत ने कितनी रकम चुकाई? कल भरेंगे उड़ान

भारत अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला जल्द ही एक्सिओम स्पेस के Ax-4 मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की यात्रा करेंगे। वह ISS पर जाने वाले पहले भारतीय बनेंगे और जीरो ग्रेविटी में रहकर रिसर्च कार्य करेंगे। यह मिशन भारत और एक्सिओम स्पेस के बीच हुए एक सरकारी कॉन्ट्रैक्ट का हिस्सा है। इसके लिए भारत ने करीब 70 मिलियन डॉलर (लगभग 538 करोड़ रुपये) चुकाए हैं।

रिपोर्टों के मुताबिक, यह राशि न केवल शुभांशु शुक्ला की सीट के लिए है, बल्कि उनके और उनके बैकअप अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर की ट्रेनिंग के लिए भी खर्च की गई है। यह राशि एक्सिओम स्पेस, नासा और स्पेसएक्स के साथ मिलकर इस मिशन को अंजाम देने के लिए दी गई है। हालांकि यह पैसे ब्लू ओरिजिन और वर्जिन गैलेक्टिक जैसी कंपनियों की तुलना में कहीं ज्यादा है, लेकिन Axiom का दृष्टिकोण केवल एक "स्पेस राइड" तक सीमित नहीं है। यह एक साल भर की प्रशिक्षण यात्रा है, जिसमें वैज्ञानिक रिसर्च, जीवन कौशल और कड़े सुरक्षा मानक शामिल हैं।

अंतरिक्ष यात्रा से पहले कठोर प्रशिक्षण

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सिओम स्पेस के CEO तेजपाल भाटिया ने बताया कि यह केवल एक टिकट नहीं है, बल्कि एक "फुल-ऑन एंटरप्राइज" है। मिशन से पहले शुभांशु शुक्ला को 700 से 1000 घंटे तक का कठोर प्रशिक्षण दिया गया है, जो कि नासा, स्पेसएक्स, ईएसए और JAXA जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सहयोग से हुआ है।

इस प्रशिक्षण में स्वास्थ्य, सुरक्षा, अंतरिक्ष यान संचालन, और ISS के सिस्टम्स की समझ शामिल रही। प्रशिक्षण 8 महीने से लेकर एक साल तक चलता है और NASA मानकों के अनुरूप तैयार किया गया है- हालांकि यह NASA के पूर्णकालिक अंतरिक्ष यात्रियों जितना कठोर नहीं होता।

दो हफ्ते का वैज्ञानिक मिशन, न कि केवल पर्यटन

Axiom के AX-4 मिशन की तुलना ब्लू ओरिजिन की 11 मिनट की उपकक्षीय उड़ानों से नहीं की जा सकती। यह मिशन लगभग दो हफ्ते तक अंतरिक्ष में रहकर वैज्ञानिक रिसर्च और सार्वजनिक सहभागिता पर केंद्रित होगा। इस दौरान हर एक मिनट की योजना बनाई जाती है- एक "रग्ड एक्सपीरियंस" जिसमें शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से पूरी तैयारी आवश्यक है।

वैश्विक साझेदारी और दीर्घकालिक लक्ष्य

AX-4 मिशन में केवल भारत ही नहीं, बल्कि पोलैंड और हंगरी जैसे देश भी शामिल हैं। ये देश Axiom के माध्यम से अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष भेज रहे हैं। यह एक किफायती विकल्प है, जो इन देशों को अपने स्वतंत्र अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने की तुलना में कहीं सस्ता पड़ता है। तेजपाल भाटिया के अनुसार, 70 मिलियन डॉलर का टिकट किसी भी सरकार के लिए उनके राष्ट्रीय बजट की तुलना में "बूंद भर" है, खासकर जब अमेरिकी अपोलो मिशन जैसे कार्यक्रमों पर अरबों डॉलर खर्च होते हैं।

निजी अंतरिक्ष स्टेशन

Axiom Space केवल यात्राओं तक सीमित नहीं रहना चाहता। कंपनी का लक्ष्य है कि ISS के रिटायर होने के बाद वह दुनिया का पहला कॉमर्शियल स्पेस स्टेशन बनाए। यह स्टेशन भविष्य में रिसर्च, अंतरराष्ट्रीय सहयोग और निजी क्षेत्र की अंतरिक्ष यात्राओं का केंद्र बनेगा। तेजपाल भाटिया का कहना है कि भले ही कीमत ज्यादा हो, लेकिन ऐसे मिशनों के प्रति दिलचस्पी लगातार बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि “अंतरिक्ष और पृथ्वी एक-दूसरे के प्रतिद्वंदी नहीं हैं,” बल्कि मानवता के व्यापक विकास का हिस्सा हैं।

मिशन का महत्व

Axiom-4 मिशन भारत के लिए केवल एक प्रतीकात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत की महत्वाकांक्षी गगनयान परियोजना के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष उड़ान संचालन, माइक्रोग्रैविटी अनुकूलन और आपातकालीन तैयारियों में महत्वपूर्ण अनुभव प्रदान करेगा। शुभांशु शुक्ला इस मिशन में पायलट की भूमिका निभाएंगे और 14 दिनों तक आईएसएस पर रहकर वैज्ञानिक प्रयोग, शैक्षिक गतिविधियां और वाणिज्यिक कार्य करेंगे। इस मिशन में भारत के सात और नासा के पांच प्रयोग शामिल हैं, जो माइक्रोग्रैविटी में जैविक प्रक्रियाओं और अंतरिक्ष अनुसंधान को समझने में मदद करेंगे।

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शुभांशु शुक्ला का सफर

लखनऊ, उत्तर प्रदेश में 10 अक्टूबर 1985 को जन्मे शुभांशु शुक्ला एक अनुभवी भारतीय वायु सेना पायलट हैं, जिनके पास 2000 घंटे से अधिक उड़ान का अनुभव है। शुक्ला को प्यार से “शक्स” नाम से भी पुकारा जाता है। उन्होंने सुखोई-30, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और एन-32 जैसे विमानों को उड़ाया है। 2019 में इसरो ने उन्हें मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम के लिए चुना था। इसके बाद, उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट प्रशिक्षण केंद्र में एक साल तक प्रशीक्षण लिया और बेंगलुरु में इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में आगे की ट्रेनिंग पूरी की।

मिशन की तैयारियां

Axiom-4 मिशन का प्रक्षेपण 10 जून 2025 को नासा के केनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से SpaceX के फाल्कन-9 रॉकेट पर ड्रैगन अंतरिक्ष यान के माध्यम से होना था जिसे एक दिन के लिए टाल दिया गया है। यह मिशन पहले 29 मई को निर्धारित था, लेकिन मौसम और तकनीकी कारणों से इसे 8 जून और फिर 10 जून और अब 11 तक के लिए स्थगित कर दिया गया। मिशन का नेतृत्व पूर्व नासा अंतरिक्ष यात्री पैगी व्हिटसन करेंगी, जबकि शुभांशु शुक्ला के साथ पोलैंड के स्लावोज उजनान्स्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु भी इस मिशन का हिस्सा होंगे। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा, ‘‘मौसम की स्थिति के कारण, भारतीय गगनयात्री को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन भेजने के लिए एक्सिओम-4 मिशन का प्रक्षेपण 10 जून 2025 के बजाय 11 जून 2025 के लिए स्थगित कर दिया गया है। प्रक्षेपण का लक्षित समय 11 जून 2025 को (भारतीय समयानुसार) शाम 5:30 बजे है।’’

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