सेवानिवृति के बाद कोई सरकारी पद नहीं लूंगा : सीजेआई खन्ना
निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि भविष्य में वे कानूनी क्षेत्र में कुछ करेंगे। नए मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने भी...

देश के कई पूर्व मुख्य न्यायाधीशों के सेवानिवृत्ति के बाद सरकारी पद लेने के बीच निवर्तमान सीजेआई संजीव खन्ना ने एक नई लकीर खींचने की कोशिश की है। उन्होंने घोषणा की है कि सेवानिवृत्ति के बाद वह कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे। खन्ना 13 मई को सीजेआई के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। जस्टिस खन्ना के बाद बुधवार को देश के नए सीजेआई बनने जा रहे जस्टिस बी.आर. गवई भी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद वह कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे। देश के 51वें सीजेआई के पद से मंगलवार को सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस संजीव खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में मीडिया से बात करते हुए कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद वह कोई सरकारी पद स्वीकार नहीं करेंगे।
उन्होंने कहा कि शायद कानूनी क्षेत्र से संबंधित कुछ करेंगे। अनौपचारिक बातचीत में, सीजेआई खन्ना ने कहा कि हमारे जेहन में कई विचार चल रहे हैं, हम विधि/कानून के क्षेत्र में ही कुछ करेंगे। इसके अलावा 14 मई (बुधवार) को देश के 52वें सीजेआई बनने जा रहे जस्टिस बी.आर. गवई ने भी पहले ही अपने आवास पर मीडिया से बातचीत में कह चुके हैं कि वह अपनी सेवानिवृत्ति के बाद कोई भी सरकारी पद नहीं लेंगे। भविष्य बताता है, आपका निर्णय सही था या गलत : सीजेआई खन्ना जस्टिस यशवंत वर्मा के घर भारी मात्रा में नकदी मिलने को लेकर की गई कार्रवाई के बारे में सीजेआई खन्ना ने कहा कि न्यायिक सोच हमेशा निर्णायक होनी चाहिए। सीजेआई खन्ना ने कहा कि एक जज के रूप में हम धनात्मक और ऋणात्मक सभी पहलुओं पर विचार करते हैं और फिर तर्कसंगत तरीके से फैसला करते हैं। जब हम ऐसा करते हैं तो एक निर्णय लेते हैं और भविष्य आपको बताता है कि आपका निर्णय सही था या गलत। जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने के बाद सीजेआई खन्ना ने गंभीरता से लिया और समिति की रिपोर्ट के आधार पर जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश की। जस्टिस गवई सुप्रीम कोर्ट के मूल्यों को बनाएं रखेंगे : सीजेआई खन्ना सुप्रीम कोर्ट में उन्हें विदाई देने के लिए आयोजित समारोहिक पीठ को संबोधित करते हुए, सीजेआई खन्ना ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर कहा कि जस्टिस गवई को अपने सबसे बड़े सहायक बताते हुए कहा कि हम कई बार एकसाथ चर्चा कर चुके हैं और मुझे पूरा भरोसा है कि वे इस संस्थान को मजबूत बनाएंगे। सीजेआई खन्ना ने कहा कि जस्टिस गवई सीजेआई के तौर पर लोगों के मौलिक अधिकारों और संविधानिक सिद्धांतों को कायम रखेंगे। समारोहिक पीठ में सीजेआई खन्ना के साथ, देश के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गई और जस्टिस संजय कुमार शामिल थे। सादगी और शालीनता के प्रतीक हैं सीजेआई खन्ना : जस्टिस गवई इस मौके पर जस्टिस गवई ने सीजेआई खन्ना की मानवाधिकारों के प्रति उनकी संवेदनशीलता और संवैधानिक मू्ल्यों के प्रति अटूट निष्ठा की सरहाना की। जस्टिस गवई ने जस्टिस खन्ना को सादगी और शालीनता का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि जस्टिस खन्ना ने न्यायिक और प्रशासनिक फैसलों में अपनी अलग छाप छोड़ी है। जस्टिस गवई ने कहा कि सीजेआई खन्ना उसी कोर्ट रूम में बैठे हैं, जहां उनके चाचा दिवंगत एचआर खन्ना कभी बैठा करते थे, जो जबलपुर एडीएम मामले में असहमति का फैसला देकर चर्चित हो गए थे। साथ ही कहा कि जजों की संपत्ति और कर्ज सार्वजनिक करने का फैसला न्यायपालिका में उनके पारदर्शिता की भावना को दर्शाता है। सीजेआई खन्ना शांत व्यवहार करते थे : जस्टिस संजय कुमार इस मौके पर जस्टिस संजय कुमार ने कहा कि सीजेआई खन्ना नोट्स नहीं बनाते। सब कुछ पृष्ठ संख्या, पैराग्राफ संख्या, हर सामग्री उनकी स्मृति में होती है। साथ ही कहा कि वकीलों के साथ सीजेआई खन्ना शांत और धैर्यपूर्ण व्यवहार पर प्रकाश डालते हुए कई बार जब अधिवक्ता बिना तैयारी के आते थे, तब भी वे कभी अपना आपा नहीं खोते थे। इसके बजाय, वे विनम्रता से उन्हें अगली बार तैयार होकर आने के लिए कहते थे। समृद्ध कानूनी विरासत वाले परिवार में जन्में सीजेआई खन्ना जस्टिस संजीव खन्ना का जन्म 14 मई, 1960 को एक समृद्ध कानूनी विरासत वाले परिवार में हुआ था। उनके पिता देव राज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे और उनकी मां सरोज खन्ना लेडी श्री राम कॉलेज में लेक्चरर थीं। वे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एचआर खन्ना के भतीजे हैं। उनके दादा, सरव दयाल, एक प्रमुख वकील थे, जिन्होंने 1919 के जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच करने वाली भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस समिति में काम किया था। दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर में अपनी कानूनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, जस्टिस खन्ना ने वर्ष 1983 में दिल्ली बार काउंसिल के साथ एक वकील के रूप में दाखिला लिया। दिल्ली की जिला अदालतों में शुरू में प्रैक्टिस करने के बाद, उन्होंने मुख्य रूप से दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी प्रैक्टिस स्थापित की। 24 जून 2005 को, न्यायमूर्ति खन्ना को दिल्ली हाईकोर्ट के अतिरिक्त जज के रूप में पदोन्नत किया गया और 20 फरवरी 2006 को उन्हें स्थायी जज बनाया गया। उन्हें 18 जनवरी 2019 को भारत के सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया।
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