India Implements Turtle Excluder Device to Protect Sea Turtles लुप्त होते समुद्री कछुओं को बचाने के लिए टेड का होगा इस्तेमाल, Delhi Hindi News - Hindustan
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लुप्त होते समुद्री कछुओं को बचाने के लिए टेड का होगा इस्तेमाल

प्रभात कुमार नई दिल्ली। समुद्री कछुआ को बचाने के लिए केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) द्वारा विकसित तकनीक कछुआ बहिष्कार डिवाइस (टेड

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 12 June 2025 08:12 PM
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लुप्त होते समुद्री कछुओं को बचाने के लिए टेड का होगा इस्तेमाल

प्रभात कुमार नई दिल्ली। समुद्री कछुआ को बचाने के लिए केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) द्वारा विकसित तकनीक कछुआ बहिष्कार डिवाइस (टेड) के इस्तेमाल को बढ़ाया जाएगा। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय की ओर से नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में पेश एक रिपोर्ट में इसका खुलासा किया किया है। इसके अलावा, कछुओं के प्रजनन के मौसम के दौरान मछुआरों को प्रतिबंधित किया जाएगा। एनजीटी के न्यायिक सदस्य जस्टिस पुष्पा सत्यनारायण और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. सत्यगोपाल कोरलापति की पीठ के समक्ष केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिर्वतन मंत्रालय और सरकार की ओर से पेश संयुक्त रिपोर्ट में समुद्र में कछुआ को बचाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र में कछुआ को कम होने से बचाने के लिए केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान (सीआईएफटी) द्वारा कछुआ बहिष्करण उपकरण (टेड) को इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा, बाय-कैच रिडक्शन पॉलिसी और स्मार्ट गियर के उपयोग को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि समुद्री कछुओं के संरक्षण किया जा सके। दरअसल, इस साल जनवरी में चेन्नई के समुद्र तट पर बड़े पैमाने पर लुप्तप्राय होते ‘ओलिव रिडले कछुए की लाशें तैरती मिली थी। कछुए की तैरती लाशें जिनकी आंखें उभरी हुई हैं और गर्दन सूजी हुई थी। साथ ही यह बताया गया था कि मरीना और कोवलम के बीच पर सिर्फ 15 दिनों में 350 से सेधिक कछुए मृत पाए गए हैं, जो पिछले दो दशकों में हुई मौतों का रिकॉर्ड है। मीडिया में आई इस खबर पर संज्ञान लेते हुए, एनजीटी ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था और समुद्री कछुओं को बचाने के लिए उठाए गए और जा रहे कदमों की जानकारी मांगा था। कछुओं के बारे में 5 साल का आंकड़ा मांगा एनजीटी ने रिपोर्ट पर विचार करते हुए कहा कि वर्ष 2024-25 (30 मई 2025 तक) के लिए समुद्री कछुओं के लिए पेश आंकड़ों को देखने से पता चलता है कि एकत्रित किए गए अंडों की संख्या और मृत कछुओं की दर्ज की गई दुर्घटना अधिक है, विशेष रूप से चेन्नई जिले में। जबकि कुड्डालोर जिले में, 1,00,000 से अधिक अंडे एकत्र किए गए हैं और 1,00,000 से अधिक हैचलिंग जारी किए गए हैं और चेन्नई की तुलना में दुर्घटना अपेक्षाकृत कम है। एनजीटी ने कहा कि इसलिए, इस बारे में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन बल प्रमुख) और तमिलनाडु सरकार से पिछले पांच वर्षों के आंकड़े मुहैया कराने का कहा है। जिसमें कछुए के एकत्र किए गए अंडे, बचाए गए कछुए और समुद्र में छोड़े गए कछुओं के बारे में जानकारी देने को कहा है। संरक्षित क्षेत्र में मछली मारने पर लगेगी रोक मत्स्य पालन एवं मछुआरा कल्याण विभाग के आयुक्त की ओर से एनजीटी में पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के संरक्षित क्षेत्रों में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध को प्रभावी तरीके से लागू किया जाएगा। इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने, प्रमुख स्थानों पर होर्डिंग लगाने और मत्स्य पालन एवं मछुआरा कल्याण विभाग द्वारा इस पर 24 घंटे निगरानी की जाएगी। एनजीटी को बताया गया कि कछुओं के प्रजनन के मौसम के दौरान मछुआरों को ट्रॉलर बोट, 10 एचपी से अधिक क्षमता वाली मोटर चालित मछली पकड़ने वाली नावों और मोटर चालित देशी नावों द्वारा रे मछली जाल के उपयोग को प्रतिबंधित क्षेत्र में रोका जाएगा। समुद्री कछुओं के संरक्षण के बारे में मछली पकड़ने वाले बंदरगाहों/मछली लैंडिंग केंद्रों/मछली लैंडिंग बिंदुओं के प्रमुख स्थानों पर पर्याप्त होर्डिंग लगाए जाएंगे। क्या है कछुआ बहिष्कार डिवाइस कछुआ बहिष्करण उपकरण (टेड) एक उपकरण है। केंद्रीय मत्स्य प्रौद्योगिकी संस्थान विकसित इस देशी तकनीक से मछली पकड़ने के दौरान इसमें फंसे समुद्री कछुए को मछुआरे के जाल में फंसने पर बाहर निकलने का प्रावधान होता है। विशेष रूप से, समुद्री कछुए तब पकड़े जा सकते हैं जब वाणिज्यिक झींगा मछली पकड़ने के उद्योग द्वारा बॉटम ट्रॉलिंग का उपयोग किया जाता है। झींगा को पकड़ने के लिए, एक महीन जालीदार ट्रॉल जाल की आवश्यकता होती है। इसके परिणामस्वरूप बड़ी मात्रा में अन्य समुद्री जीव भी बाईकैच के रूप में पकड़े जाते हैं।

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