India to Develop Advanced Medium Combat Aircraft AMCA with Domestic Expertise ब्यूरो-- देश में ही बनेंगे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, Delhi Hindi News - Hindustan
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ब्यूरो-- देश में ही बनेंगे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान

भारत ने हल्के लड़ाकू विमान तेजस की सफलता के बाद अब एडवांस मीडियम कांबेट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) का निर्माण करने का निर्णय लिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस कार्यक्रम को मंजूरी दी है, जिसमें केवल...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 27 May 2025 05:04 PM
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ब्यूरो-- देश में ही बनेंगे पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। हल्के लड़ाकू विमान तेजस के निर्माण में सफलता के बाद भारत ने अब एडवांस मीडियम कांबेट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) यानी मध्यम वजन वाले उन्नत लड़ाकू विमान का निर्माण देश में ही करने का फैसला किया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को इस नए कार्यक्रम को मंजूरी प्रदान की। रक्षा मंत्रालय ने पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों के देश में निर्माण के लिए एक निष्पादन मॉडल जारी किया है। एयरोनाटिकल डवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के नेतृत्व में इस परियोजना का क्रियान्वयन किया जाएगा। हाल में संपन्न हुए ऑपरेशन सिंदूर के बाद रक्षा तैयारियों से जुड़े भारत के इस कदम को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा।

एडीए जल्द ही भारतीय कंपनियों से विमान के प्रोटोटाइप निर्माण के लिए प्रस्ताव मांगेगी। अभी तक भारत में सिर्फ एलएएल ही लड़ाकू विमानों का निर्माण करता है़, लेकिन इस परियोजना में कोई भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आवेदन कर सकेगी। पहली बार लड़ाकू विमान निर्माण को निजी क्षेत्र के लिए भी खोला जा रहा। सरकारी कंपनियां निजी क्षेत्र के साथ संयुक्त उपक्रम के जरिये भी इस परियोजना में शामिल हो सकती हैं। सिर्फ भारतीय कंपनियां ले सकती हैं हिस्सा रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि सिर्फ भारतीय कंपनियां ही इस परियोजना में हिस्सा ले सकती हैं। यदि कोई विदेशी कंपनी इस परियोजना में शामिल होना चाहेगी तो उसे भारतीय कंपनी के साथ संयुक्त उपक्रम में आगे बढ़ना होगा। अभी तक टाटा-एयरबस द्वारा संयुक्त उपक्रम के जरिये वायुसेना के लिए सी-295 परिवहन विमानों का निर्माण किया जा रहा। मेक इन इंडिया के तहत इस परियोजना को बेहद सफल माना गया है। इसलिए लड़ाकू विमान निर्माण में भी इससे मिलते-जुलते मॉडल प्रस्तुत किया गया है। निर्माण में आएंगी कई कंपनियां सूत्रों ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियां टाटा संस, एलएंडटी, अडाणी आदि भी लड़ाकू विमानों की निर्माण की दौड़ में शामिल होंगी। निष्पादन मॉडल में कंपनियों को अकेले, संयुक्त उपक्रम या कंसौर्टियम (संघ) बनाकर भी आवेदन करने की अनुमति होगी। यानी दो से अधिक कंपनियां मिलकर एक कंसौंर्टियम बनाकर इस परियोजना पर कार्य कर सकती हैं। वर्ष 2035 से शुरू हो सकता है उत्पादन रक्षा मंत्रालय की योजना है कि लड़ाकू विमान का प्रोटोटाइप 2031 तक तैयार कर लिया जाए तथा 2035 तक उत्पादन शुरू किया जाए। बयान में कहा गया है कि यह एएमसीए विकसित करने के लिए स्वदेशी विशेषज्ञता और क्षमता का उपयोग करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो एयरोस्पेस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।' वायुसेना का एमआरएफए कार्यक्रम वायुसेना ने 114 लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए मल्टीरोल फाइटर एयरक्राफ्ट (एमआरएफए) कार्यक्रम शुरू किया है। यह कार्यक्रम वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने के लिए है। मंत्रालय द्वारा एएमसीए कार्यक्रम की घोषणा के बाद यह स्पष्ट नहीं है कि अब एमआरएफए के तहत विमानों की खरीद होगी या नहीं। सूत्रों का कहना है कि यह कार्यक्रम वायुसेना की तात्कालिक जरूरतों के लिए है, इसलिए यह खरीद प्रक्रिया जारी रहेगी। संभव है कि विमानों की संख्या में कुछ कमी कर दी जाए। भारत के लिए क्यों है जरूरी भारत अपनी वायु शक्ति क्षमता को बढ़ाने के लिए उन्नत 'स्टील्थ' (ऐसे विमान जिनकी हवाई क्षेत्र में मौजूदगी का पता लगाना मुश्किल होता है) विशेषताओं वाले और दुश्मन के क्षेत्र में भीतर तक जाकर लक्ष्य को भेद सकने वाले विमानों की जरूरत महसूस कर रहा। इसकी एक वजह यह है कि चीन पड़ोसी देश पाकिस्तान को अपनी पांचवीं पीढ़ी का विमान जे-35 देने की तैयारी कर रहा है। सीसीएस की मंजूरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने लड़ाकू विमान कार्यक्रम को पिछले साल सैद्धांतिक मंजूरी दी थी। परियोजना की प्रारंभिक विकास लागत करीब 15,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। भारतीय वायुसेना एएमसीए परियोजना की दीर्घकालिक आवश्यकता को देखते हुए इस पर जोर दे रही है।

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