चालू वित्तीय वर्ष में 30 स्लीपर वंदे भारत दौड़ाने की तैयारी
--जुलाई के अंत तक पटरी पर दौड़ सकती है पहली स्लीपर वंदे भारत ट्रेन --ट्रेन

नई दिल्ली, अरविंद सिंह। भारतीय रेल में ट्रेनों के सफर का अनुभव बदलने जा रहा है। रेल यात्री जल्द ही विश्वस्तरीय सुविधाओं से लैस सेमी हाई स्पीड वंदे भारत ट्रेन (स्लीपर) में सफर का आनंद उठा सकेंगे। चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने 30 वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को चलाने का लक्ष्य रखा है। पहली ट्रेन जुलाई के अंत तक पटरियों पर दौड़ेने लगेगी। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि पहली वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का स्पीड ट्रॉयल पूरा हो चुका है। अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) लखनऊ ने ट्रेन की तकनीक व स्पीड संबंधी जांच पूरी कर ली है। रेलवे बोर्ड पहले वंदे भारत स्लीपर ट्रेन का रेलमार्ग व किराया तय कर रहा है।
इसके बाद अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ट्रेन को हरी झंडी दिखा सकते हैं। अधिकारी ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुल 30 वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को चलाया जाएगा। इसमें सरकार के सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड (बीईएमएल) बंगलुरु में 10 वंदे भारत स्लीपर ट्रेन बनकर तैयार है। पहली ट्रेन को हरी झंडी मिलने के बाद अन्य ट्रेनों को चरणबद्ध तरीके से पटरी पर उतारा जाएगा। उन्होंने बताया कि इंटीग्रल कोच फैक्टरी (आईसीएफ) चेन्नई में आठ से 10 वंदे भारत का निर्माण हो रहा है। बीईएमएल व आईसीएफ संयुक्त रूप से उक्त ट्रेन के कोच को बना रहे हैं। --------------- बॉक्स 160 किलोमीटर प्रति घंटा होगी रफ्तार अगली पीढ़ी की वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की डिजाइन 160 से 240 किलोमीटर प्रतिघंटा की जा रही है। वर्तमान में राजधानी, शताब्दी सहित वंदे भारत (चेयरकार) अधिकतम 130 किमी प्रतिघंटा की गति से दौड़ रही है। भावी पीढ़ी की अत्याधुनिक सुविधाओं और उन्नत तकनीक के साथ वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को जल्द ही 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति से चलाने की योजना है। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से इनकी रफ्तार बढ़ाई जाएगी। इस रफ्तार के साथ वंदे भारत ट्रेन को प्रमुख रूप से दिल्ली-हावड़ा व दिल्ली-मुंबई रेलमार्गों पर चलाया जाएगा। विदित हो कि उक्त रेलमर्गों को हाई स्पीड बनाने के लिए टक्कररोधी तकनीक कवच लगाने व अन्य सुरक्षा उपाय किए जा रहे हैं। ---------------- अलग कॉरीडोर बनाए जाएंगे रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने एक अनौपचारिक मुलाकात में इस बात की ओर इशारा किया था कि भविष्य में विदेशी बुलेट ट्रेनों के बजाए वंदे भारत स्लीपर ट्रेनों को हाई स्पीड पर चलाया जाएगा। उनका तर्क है कि विश्व मानक के अनुसार 240 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार को हाई स्पीड माना गया है। इससे अधिक रफ्तार पर ट्रेन परिचालन का खर्च बढ़ जाता है। इसलिए जापान अथवा यूरोपियन देशों के साथ मिलकर बुलेट ट्रेन चलाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि 240 की रफ्तार पर वंदे भारत को चलाने के लिए पृथक हाई स्पीड एलीवेटेड कॉरिडोर बनाए जाएंगे।
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