उत्तराखंड की बोलियों और लोक साहित्य की बनेगी ई लाइब्रेरी:धामी
दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान योजना भी शुरू करेगी सरकार सीएम ने भाषा संस्थान की बोर्ड

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने कहा कि उत्तराखंड की बोलियों, लोक कथाओं, लोकगीतों एवं साहित्य के डिजलिटीकरण किया जाएगा। सचिवालय में सोमवार को उत्तराखंड भाषा संस्थान की साधारण सभा एवं प्रबंध कार्यकारिणी समिति की बैठक में उन्होंने इसके लिए ई-लाइब्रेरी बनाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोक कथाओं पर आधारित संकलन बढ़ाने के साथ ही इन पर ऑडियो विजुअल, और माध्यमिक स्कूलों में सप्ताह में एक बार स्थानीय बोली भाषा पर भाषण, निबंध एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए। कहा कि उत्तराखंड भाषा एवं साहित्य का बड़े स्तर पर महोत्सव करें और इसमें देशभर से साहित्यकारों को बुलाया जाए।
उन्होंने स्थानीय बोलियों का एक भाषाई मानचित्र बनाने पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे भेंट स्वरूप बुके के बदले बुक के प्रचलन को बढ़ावा दें। भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने कहा कि पिछले तीन सालों में उत्तराखंड में भाषा संस्थान ने अनेक नई पहल की है। भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के साथ ही स्थानीय बोलियों को बढ़ावा देने की दिशा में तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। बैठक में प्रमुख सचिव आरके सुंधाशु, सचिव वी षणमुगम, श्रीधर बाबू अदांकी, निदेशक भाषा स्वाति भदौरिया, अपर सचिव मनुज गोयल, कुलपति दून विश्वविद्यालय डॉ. सुरेखा डंगवाल, कुलपति संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार प्रो. दिनेश चन्द्र शास्त्री आदि मौजूद रहे। ----- दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान योजना मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार दीर्घकालीन साहित्य सेवी सम्मान योजना शुरू की जाएगी, जिसकी सम्मान राशि पांच लाख रुपये होगी। उन्होंने उत्तराखंड साहित्य गौरव सम्मान की राशि पांच लाख से बढ़ाकर पांच लाख 51 हजार रुपये करने के निर्देश दिए। कहा कि राजभाषा हिंदी के प्रति युवा रचनाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए युवा कलमकार प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। इसमें दो आयु वर्ग में 18 से 24 और 25 से 35 के युवा रचनाकारों को शामिल किया जाएगा। ------ दूरस्थ स्थानों पर सचल पुस्तकालय बनाएं धामी ने कहा कि राज्य के दूरस्थ क्षेत्रों में सचल पुस्तकालयों की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने इसमें पाठकों के लिए विभिन्न विषयों से संबंधित पुस्तकें एवं साहित्य उपलब्ध कराने के लिए बड़े प्रकाशकों का सहयोग लेने के निर्देश दिए। भाषा संस्थान लोक भाषाओं के प्रति बच्चों की रूचि बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे वीडियो तैयार कर स्थानीय बोलियों का बढ़ावा देने की दिशा में कार्य करेगा। ----- ये फैसले भी लिए गए बैठक में जौनसार बावर क्षेत्र में पौराणिक काल से प्रचलित पंडवाणी गायन ‘बाकणा को संरक्षित करने के लिए इसका अभिलेखीकरण किया जाएगा।गोविन्द बल्लभ पंत का समग्र साहित्य संकलन, साहित्यकारों का 50 से 100 वर्ष पूर्व भारत की विभन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित साहित्य का संकलन और उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं के संरक्षण, राज्य में प्रकृति के बीच साहित्य सृजन, साहित्यकारों के मध्य गोष्ठी, चर्चा-परिचर्चा के लिए दो साहित्य ग्राम बनाने का निर्णय लिया गया।
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